पापा का ए.टी.एम.

शैंकी अपनी मौसी जी के घर आया हुआ था। छुट्टियां होने के बावजूद भी वह पढ़ने के लिए अपनी पुस्तकें अपने साथ लेकर आया हुआ था। वह 11वीं कक्षा में पढ़ता था। वह सुबह जल्दी ही उठ कर पढ़ने लगता था। परन्तु उसकी मौसी जी का बेटा अनमोल जो 12वीं कक्षा का छात्र था, अपनी मनमर्जी से उठता था। उसकी मम्मी उसे जब उठाने लगती तो वह आगे से कह देता- ‘मम्मी सो लेने दो, अब तो छुट्टियां ही हैं।’ शैंकी कमरे में बैठा पढ़ रहा होता परन्तु अनमोल नाश्ता करके कोठे पर पतंग उड़ा रहा होता या फिर टैलीविज़न देख रहा होता। उसकी मम्मी उसे कहती- ‘अनमोल बेटा, तुम्हारी 12वीं कक्षा की पढ़ाई है, तुम मैडीकल ग्रुप के छात्र हो। तुम भी शैंकी की तरह उसके पास बैठ कर पढ़ ले। वह अपनी मम्मी की बात पर अमल करने की बजाए उन्हें रटा हुआ एक ही उत्तर देता- ‘मम्मी जी छुट्टियां ही तो हैं, पढ़ लूंगा। हर समय पढ़ ले, पढ़ ले न किया करो।’ शैंकी अपने मन ही मन सोचता कि अनमोल कितना लापरवाह है। उसे पढ़ाई की ज़रा-सी भी चिन्ता नहीं।एक दिन अनमोल शैंकी को कहने लगा- ‘शैंकी, आओ हम दोनों बाज़ार घूम फिर कर आएं। कुछ खा-पीकर आते हैं। शैंकी ने उसके साथ जाने से इन्कार भी किया परन्तु अनमोल उसे जबरदस्ती बाज़ार ले गया। अनमोल ने बाज़ार जाते समय अपनी मम्मी-पापा से पूछा भी नहीं। वह जाते समय अपने मम्मी-पापा के कमरे से कुछ लेकर आया। वह बाज़ार में पहुंच कर सबसे पहले बैंक के ए.टी.एम. के पास रुका। उसने अपने पापा के ए.टी.एम. से पैसे निकलवाए। उसके पश्चात् वह और शैंकी फास्ट फूड की दुकान पह पहुंच गए। अनमोल ने दुकानदार को ‘फास्ट फूड’ देने के लिए कहा। शैंकी ने अनमोल द्वारा मंगवाए ‘फास्ट फूड’ को सुनकर कहा- ‘अनमोल भैया तुमने इतना फास्ट फूड मंगवा तो लिया है पर इतना कुछ खाएगा कौन?’ अनमोल शैंकी का प्रश्न सुन कर बोला- ‘शैंकी, यह कौन सा ज्यादा है, हम तो इतना खा ही लेते हैं। शैंकी अनमोल का उत्तर सुनकर कुछ नहीं बोला। अनमोल जब दुकानदार को पैसे देने लगा तो दुकानदार ने उसे आगे से कहा- ‘बेटा तुम्हारे उधार के पहले पैसे भी रहते हैं। वे पैसे तुम कब चुकाओगे।’ अनमोल ने आगे से कहा-‘अंकल, आप बताओ, आपके पहले पैसे कितने हैं। उधार की रकम एक हज़ार रुपये से ऊपर थी। शैंकी को यह समझने में देर नहीं लगी कि अनमोल आते समय अपने पापा के कमरे से ए.टी.एम. निकाल कर लाया था। वे दोनों दुकानदारों के पैसे देने के बाद दुकान से बाहर आ गए। शैंकी ने अनमोल से पूछा-‘भैया, क्या तुम अपने पापा का एम.टी.एम. उनसे पूछ कर लाए थे?’ अनमोल झिझकता हुआ बोला- ‘शैंकी यार, यदि पापा से पूछो तो वह झट से इन्कार कर देते हैं। मम्मी तो बहुत ज्यादा गुस्से होने लग पड़ती हैं। शैंकी ने आगे से उसे कहा-‘भैया तुम जरा गहराई से सोचो कि क्या बच्चों को ए.टी.एम. का प्रयोग करना चाहिए। वह भी अपने मम्मी-पापा से चोरी?’ अनमोल ने आगे से कहा-‘बच्चों को भी तो एम.टी.एम. का प्रयोग करना आना चाहिए। क्या तुम ए.टी.एम. का प्रयोग नहीं करते? शैंकी आगे से बोला-‘भैया, सबसे पहले अपने मम्मी-पापा के होते हुए एम.टी.एम. की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। आपकी तरह तो मैं कभी भी ए.टी.एम. का प्रयोग कभी भी नहीं करूंगा। मुझे आपकी यह आदत अच्छी नहीं लगी। आपको यह बात भी समझ लेनी चाहिए कि यदि किसी बच्चे से ए.टी.एम. का गलत प्रयोग हो जाए तो उनके मम्मी-पापा के खाते से पैसे भी निकल सकते हैं। अनमोल, शैंकी की बातें सुनकर कुछ नहीं बोला। उसने मन ही मन फैसला किया कि भविष्य में में वह ऐसी गलती नहीं करेगा।’

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