कबड्डी वालों को मिला स्व-मंथन का अवसर

कोविड-19 महामारी ने जनजीवन के बहुत से पक्षों में आई गिरावट के मंथन करने हेतु मानव जाति को अवसर प्रदान किया है। इसके तहत ही पंजाबियों केरखून में रची खेल दायरे वाले कबड्डी के प्रमोटरों, संचालकों, खिलाड़ियों तथा कोचों को भी तालाबंदी ने इस खेल में आईं कमियों को दूर करने का अवसर प्रदान  कर दिया है। अधिकतर खेल प्रमोटरों, खिलाड़ियों तथा खेल पे्रमियों के साथ इस संबंध में बातचीत करने का मौका मिला तो उन्होंने इस दौर के कबड्डी खेल को नया मोड़ देने वाला करार दिया है। कोरोना संकट के कारण विभिन्न तरह की पाबंदियों का शिकार खेलें भी हुई हैं। पंजाब के हर कोने में हर समय कबड्डी से संबंधित किसी न किसी तरह की गतिविधियां चलती रहती हैं परन्तु वर्तमान समय में ये सभी गतिविधियां ठप्प हो गई हैं। इन पाबंदियों के कारण जहां कबड्डी खिलाड़ियों को आर्थिक पक्ष से नुक्सान हुआ है, वहीं शारीरिक तथा मानसिक पक्ष से लाभ भी हुआ है। प्रसिद्ध जाफी बलबीर पाला जलालपुर का कहना है कि लगभग पूरा वर्ष ही दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में कबड्डी मेले लगते रहते हैं। इसी कारण अधिकतर खिलाड़ी लगभग पूरा वर्ष ही कबड्डी खेलने में व्यस्त रहते हैं। वे चोटों की परवाह न करते हुए लगातार खेलते रहते हैं और इसी कारण कई खिलाड़ियों की चोटें भयानक रूप भी धारण कर जाती हैं और बात महंगे आपरेशनों तक पहुंच जाती है। वर्तमान कोरोना संकट के दौरान कबड्डी खिलाड़ियों को जहां बाकायदा आराम करने का अवसर मिला है, वहीं अपने चोटों को ठीक करने का भी मौका  मिला है। इसके साथ भी बहुत से खिलाड़ियों ने अपनी फिटनैस का स्तर भी ऊंचा किया है। पाला जलालपुर का कहना है कि इस दौर ने खिलाड़ियों को सिखा दिया है कि खेलने के साथ-साथ आराम भी बहुत ज़रूरी है। डोप रहित कबड्डी खेलने के पहरेदार पिंका जरग का कहना है कि उसने इस दौर में अपनी लम्बे समय की तमन्ना मस्कूलर बॉडी बना कर पूरी की है। उसने साबित कर दिया है कि घर की खुराक तथा कसरत से भी इंसान जैसा चाहे मज़र्ी शरीर बना सकता है। समूचे रूप में देखा जाए तो कोरोना संकट के दौरान एक बात सामने आई है कि कबड्डी वालों को इस खेल के हर पहलु पर मंथन करके खेल को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए वचनबद्ध हो जाना चाहिए।

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