नये कानून से रुकेगी उपभोक्ताओं की लूट

पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित नए उपभोक्ता संरक्षण कानून को इस महीने की बीस तारीख से लागू कर दिया गया है। ज़रूरी है कि इसके बारे में सामान्य उपभोक्ता को जानकारी हो ताकि उसके साथ धोखाधड़ी या फरेब या गुमराह किए जाने पर वह सही कदम उठा सके और अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए उचित कार्रवाई करने की दिशा में आगे बढ़ सके।
कानून का विस्तार
नए कानून में बाज़ार में बिकने के लिए आई सभी वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है, जिसमें अब टेलीकॉम, हाऊसिंग कंस्ट्रक्शन, ऑनलाइन और टेली शॉपिंग के ज़रिए खरीदी जाने वाली वस्तुएं और सेवाएं भी शामिल कर ली गई हैं। अनुचित व्यापार के दायरे में अब बिल या रसीद न देना, तीस दिन में वापिस की गई वस्तु को स्वीकार न करना और व्यक्तिगत जानकारी जो खरीददारी करते हुए दी गई, उसे उजागर करना भी शामिल कर लिया गया है। आम तौर से कोई खरीद करने पर दुकानदार नाम, पता, फोन नम्बर, ईमेल जैसी जानकारी लेता है जिसमें कुछ गलत नहीं लगता, लेकिन अगर उसकी यह जानकारी दुकानदार किसी अन्य को देता है तो अब उसके खिलाफ  कार्यवाही की जा सकती है। अब निर्माता, विक्रेता या सर्विस देने वाले पर इस बात की कानूनन ज़िम्मेदारी है कि वह जो बेच रहा है, वह ठीक न निकलने पर उसकी  शिकायत का निपटारा करने के लिए कदम उठाए। इसका अर्थ यह हुआ कि अब कोई दुकानदार यह कह कर नहीं बच सकता कि उसे जैसा सामान निर्माता कम्पनी ने दिया, वह वैसा ही दे रहा है। मतलब यह कि अब विक्रेता को निर्माता से बेचने के लिए उत्पाद लेते समय यह निश्चित करना होगा कि वह वस्तु सभी मानदंडों पर खरी है। अगर कोई गड़बड़ है और वस्तु की जो क्वालिटी  बताई गई है, वह नहीं पाई जाती तो इसकी ज़िम्मेदारी दुकानदार की भी उतनी ही है जितनी उसे बनाने वाली निर्माता कम्पनी की। इसी के साथ अब यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि खरीदी गई वस्तु से चोट लगती है या शारीरिक नुकसान होता है तो पहले केवल वस्तु की कीमत का ही मुआवज़ा मिल सकता था, अब निर्माता को उस वस्तु से हुए सभी तरह के जान-माल के नुकसान का भी भुगतान करना होगा। पहले इसके लिए सिविल कोर्ट जाना पड़ता था, अब उपाभोक्ता अदालत में ही इसका फैसला किया जा सकेगा।
कहीं से भी शिकायत करें
अब कहीं से भी उपभोक्ता शिकायत कर सकता है, पहले विक्रेता या सेवा देने वाले के इलाके में शिकायत करने जाना होता था। अब देश में कहीं से भी खरीदी वस्तु के खराब निकलने पर निर्माता, विक्रेता के खिलाफ  किसी भी जगह से शिकायत  की जा सकती है। इससे बड़ी राहत मिलेगी। पहले होता यह था कि मान लीजिए आप दिल्ली किसी काम से आए और कुछ खरीददारी कर वापिस अपने शहर चले गए। सामान खराब था तो शिकायत करने दिल्ली आना पड़ता था। अब जहां रहते हैं या काम करते हैं, वहीं पर उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकते हैं। इसके साथ ही अब वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग से भी अपनी शिकायत की सुनवाई की जा सकती है, उसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत न रह जाने से समय और पैसे दोनों की बचत होगी।अभी तक कोई अलग से रेगुलेटर अथॉरिटी नहीं थी। अब सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटैक्शन अथॉरिटी का गठन होने से उपभोक्ताओं को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। अक्सर दुकानदार और निर्माता अपनी मिलीभगत से उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने से चूकते नहीं थे। इसका कारण उन पर कोई वैधानिक नियंत्रण का न होना था। अब यह अथॉरिटी बनने से वे अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे। इसका असर वस्तुओं की ज़रूरत से ज्यादा रखी और वसूली जा रही कीमतों पर भी पड़ेगा। इसके गठन से उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए बनी संस्थाओं को बेहतर ढंग से काम करने का अधिकार मिलेगा और वे ऐसे मामलों में ठोस कार्रवाई करने के लिए मुकद्दमा कर सकती हैं, जिनका व्यापक असर होता है। अब एक करोड़ तक के लिए ज़िला, दस करोड़ तक राज्य और उससे अधिक के लिए राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। पहले यह सीमा क्रमश: बीस लाख, एक करोड़ और एक करोड़ से अधिक की थी। अब निचली अदालत के फैसले पर उससे ऊपर की अदालत में अपील की जा सकेगी। राष्ट्रीय आयोग तक में मामला नहीं सुलझता है तो सुप्रीम कोर्ट में जाया जा सकता है।
ब्रांड अंबेस्डर सावधान
गुमराह करने वाले विज्ञापनों के लिए दो साल की कैद और दस लाख तक का जुर्माना हो सकता है। अगर दोबारा ऐसा किया तो पांच साल की कैद और पचास लाख का जुर्माना हो सकता है। अगर कोई ऐसे विज्ञापनों को एंडोर्स करता है तो उसके खिलाफ  भी कार्यवाही की जा सकती है। अब ब्रांड अंबेस्डर बनने से पहले किसी भी सेलेब्रिटी को उस वस्तु या सेवा के सही और बताई गई क्वालिटी के मुताबिक होने के बारे में पूरी जांच कर लेनी होगी वरना उन पर भी कार्यवाही हो सकती है। अब बड़ा सवाल यही है कि इस कानून को लागू करने के लिए क्या इंतज़ाम किए गए हैं। हमारी जो ज़िला उपभोक्ता अदालत है, उनकी हालत देखकर नहीं लगता कि इस नए कानून के प्रावधानों को पूरी तरह लागू किए जाने के लिए वे सक्षम हैं। इस कानून से सबसे बड़ी राहत उन उपभोक्ताओं को मिलेगी जो घर बैठकर खरीददारी करते हैं। पहले उनके अधिकारों की रक्षा की ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने पर कोई व्यवस्था नहीं थी। अब जैसे आमने सामने बिक्री होती है, उसी तरह इसे भी माना जाएगा और कानून के दायरे में रखा गया है। ऑनलाइन वस्तुएं बेचने वाली या सर्विस देने वाली कम्पनियों की भी जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी जैसी शर्तों का खुलासा करना होगा। अब सामान की डिलीवरी करने के बाद उन्हें सामान के सही क्वालिटी का होने और जो ऑर्डर दिया गया था, उसी के अनुसार सामान देने की ज़िम्मेदारी भी लेनी होगी। किसी भी ई कॉमर्स कंपनी को 48 घंटों में किसी भी शिकायत के प्राप्त होने की रसीद देनी होगी और उसके एक महीने के भीतर उस शिकायत का निपटारा करना होगा।  पहले मध्यस्थता का कोई कानूनी प्रावधान नहीं था, अब अदालत इसके ज़रिए सैटलमेंट करा सकती है। (भारत)