कोरोना वायरस के टीके की खोज रूस की बड़ी उपलब्धि

पिछले कई महीनों से विश्व भर में कोरोना महामारी के मुकाबले के लिए प्रभावशाली टीका बनाने की दौड़ लगी रही है। रूस सहित इंग्लैंड, अमरीका, भारत एवं अन्य कई देश इस महामारी के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए दिन-रात टीका बनाने के यत्न करते आ रहे हैं। विश्व भर की प्रसिद्ध संस्थाओं आक्सफोर्ड, एस्ट्राजैनीका तथा फाइज़र आदि कम्पनियां इस क्षेत्र में सफलता के निकट पहुंचती प्रतीत हुई हैं। अधिकतर परीक्षण के तीसरे पड़ाव में दाखिल हो चुकी हैं, परन्तु जिस तेज़ी के साथ रूस के गामेलिया अनुसंधान संस्थान एवं रूस के रक्षा मंत्रालय ने यह टीका तैयार किया है, यह आश्चर्यजनक बात है। जब इनके द्वारा परीक्षण किए जाने समाचार मिले थे, उसके मात्र दो मास बाद की गई यह उपलब्धि विश्व भर के लिए बड़ी प्रसन्नता वाली बात है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह घोषणा करते हुए कहा है कि वैक्सीन को पंजीकृत करवाने के बाद उनकी अपनी एक बेटी ने टीका लगवाया है तथा उसके बाद वह स्वयं को बिल्कुल ठीक महसूस कर रही है। उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन सभी आवश्यक परीक्षणों में से गुज़री है तथा यह भी कि यह टीका सबसे पहले मैडीकल कर्मचारियों एवं अध्यापकों के अतिरिक्त उन लोगों को भी लगाया जाएगा जिनके इस बीमारी में फंसने का अधिक ़खतरा है तथा इसके बाद यह टीका पूरे देश के लोगों को लगाया जाएगा। रूस भी अमरीका, ब्राज़ील, इंग्लैंड एवं भारत की भांति उन देशों में शामिल है, जो इस बीमारी से बुरी तरह से प्रभावित हैं। इस समय रूस में लगभग 9 लाख लोग इस महामारी से ग्रस्त हैं। यह विश्व का चौथा सर्वाधिक प्रभावित देश है। चाहे कुछ देशों ने इस दावे पर अंगुलियां अवश्य उठाई हैं परन्तु यह आशा की जाती है कि यह टीका निश्चय ही प्रभावशाली होगा। विगत महीनों में जैसे-जैसे इस बीमारी का प्रभाव बढ़ता गया, वैसे-वैसे भिन्न-भिन्न देशों की ओर से टीका बनाने की दौड़ भी बढ़ती गई। अमरीका, जापान, इंग्लैंड एवं कई अन्य विकसित देशों ने टीका बनाने वाली बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों के साथ समझौते भी कर लिए हैं। चाहे ऐसा टीका तैयार करने के लिए काफी महीने का समय लगता है परन्तु किसी को आशंका नहीं थी कि टीका बनाने में सफलता नहीं मिलेगी। 20वीं शताब्दी  के मध्य के बाद बहुत-सी गम्भीर बीमारियों के लिए टीकों का आविष्कार करने में सफलता मिल गई थी। इन रोगों में टी.बी., डिप्थेरिया, चेचक, पोलियो एवं इन्फ्लूएंजा आदि शामिल हैं। आज इनके उपचार हेतु बनें प्रभावशाली टीकों के कारण ही विश्व ने एक प्रकार से इन बीमारियों से निजात पा ली है। 
रूस की इस उपलब्धि के बाद आशा है कि आगामी महीनों में अन्य देशों एवं कम्पनियों की ओर से भी बढ़िया प्रभावशाली टीके तैयार कर लिए जाएंगे। यह महामारी विश्व भर में फैली हुई है। अब तक लगभग दो करोड़ व्यक्ति इसके संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इसलिए प्रत्येक स्तर पर यह विचार भी किया जा रहा है कि इस टीके की कीमत आम व्यक्ति की क्षमता के भीतर होनी चाहिए। इस संबंध में आज के विश्व के बेहतरीन व्यक्ति बिल गेट्स ने भी निरन्तर दिलचस्पी दिखाई है। भारतीय कम्पनियों ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाऊंडेशन के साथ साझेदारी की है ताकि इस बीमारी का टीका विकासशील देशों एवं कम आय वाले व्यक्तियों की क्षमता में रहे। सोवियत यूनियन ने अन्तरिक्ष में सबसे पहले बड़ी उपलब्धियां हासिल की थीं। अब रूस ने दवाइयों के क्षेत्र में भी भारी उपलब्धि हासिल करके एक और आयाम स्थापित कर लिया है जो विश्व भर के लोगों को उत्साहित करने के लिए एक उदाहरण बनेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द