जल्दबाज़ी में आगे बढ़ता अमरीकी टीकाकरण अभियान 

1950 के दशक में पोलियो ने हर साल हज़ारों बच्चों को या तो अपंग बनाया और या मार डाला जिससे रहस्य में घिरी इस बीमारी का व्यापक भय पैदा हो गया था। इसलिए जब 1955 में जोनास साल्क ने इसके टीके का आविष्कार किया तो न केवल वैज्ञानिकों के बीच बल्कि सारे विश्व में इसे एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना गया हालांकि साल्क की उपलब्धि के महाउत्सव की परछाईं में इस टीके के इतिहास के एक बेहद दुखद अध्याय जो कि बहुत कम ज्ञात है, पूरी तरह से छिप जाता है कि जब टीके के एक निर्माता ने अनजाने में सीरम का एक खराब बैच वितरित कर दिया जिससे दर्जनों /बीसियों बच्चे या तो मृत्यु का अथवा लकवे का शिकार हो गए। 
बीच के वर्षों में विज्ञान और तकनीक ने टीका उत्पादन को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बना दिया है लेकिन आधी सदी से अधिक समय के बाद यह प्रक्रि या एक संतुलनकारी कार्य बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के लिए 130 से अधिक टीकों का अध्ययन किया जा रहा है जिसमें कम से कम डेढ़ दर्जन ऐसे हैं जो मानव परीक्षणों में आगे बढ़ चुके हैं।॒ 2009 में एच1एन1 (फ्लू) के टीके की असफलता और वर्तमान की अमरीकी राजनीति एच1एन1 फ्लू के शुरुआती मामले 2009 के मार्च में मैक्सिको से आई एक रिपोर्ट से पता चलाते है कि उनमें से गंभीर मामलों के 6.5 प्रतिशत मरीज थे और बहुत ऊँची 41 प्रतिशत की मृत्यु दर थी। इससे अति शीघ्र एक प्रभावी टीका प्राप्त करने की महादौड़ शुरू हुई। तभी पिछली बार अमरीका ने एक महामारी के जवाब में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाया था। 2009 के अप्रैल से नवम्बर तक एच1एन1 फ्लू वैक्सीन 2 बिलियन डालर में उत्पादित हुई थी। बिलकुल वैसी ही स्थिति अब फिर से 2020 में अमरीका में उत्पन्न हुई है। नवम्बर के पहले सप्ताह में राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर इसमें राजनीति का तड़का भी लग गया है। पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कायले मैकनी ने ट्वीट किया था कि 2009 की फ्लू महामारी के समय ओबामा और बाइडेन सरकार का राहत कार्य बहुत निम्न कोटि का था जिसने अंतत: 12,000 से अधिक अमरीकियों को मार डाला। यह उनकी बड़ी असफलता का प्रतीक है।
हालांकि वैज्ञानिकों की मानें तो फ्लू और वर्तमान महामारी फैलाने वाले कोरोना वायरस के बीच तुलना पूरी तरह से बेमानी है लेकिन इन परिस्थितियों में भी 2009 की फ्लू टीकाकरण की कहानी का पुनरावलोकन करना ही होगा। उस टीकाकरण की कम कवरेज दरों, ऊपर-नीचे होती मांग और शुरुआती दौर में उसका न मिलना और बाद में अधिप्रदाय में उपलब्ध होना, उस समय के भयंकर कुप्रबंधन को प्रदर्शित करता है। ट्रम्प प्रशासन तुलनात्मक रूप से कहीं ज्यादा प्रचंड महामारी में अपना काम दिखाने की चुनौती से जूझ रहा है जिसके कारण अब तक 1,85,000 से अधिक अमरीकियों की मृत्यु हो चुकी है। 
हाल ही में हुए गैलप पोल द्वारा की गयी रायशुमारी के मुताबिक इतनी मौतों के बावजूद, आने वाले कोरोना वायरस टीकों की सुरक्षा के विषय में जनता का विश्वास खराब है। 35 प्रतिशत अमरीकियों ने कहा कि वे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से मुफ्त टीका नहीं लेंगे। इसी तरह के भरोसे की कमी के कारण ही एच1एन1 टीके को असफल माना जाता है। एच1एन1 टीके के क्लीनिकल ट्रायल 2009 के जुलाई में शुरू हुए लेकिन चूंकि फ्लू वायरस मौसमी होता है, इसलिए उत्तरी गोलार्ध में गर्मी के साथ मामले कम होने शुरू हो जाते हैं और इसके साथ ही वायरस को लेकर जनता की चिंता भी फीकी पड़ जाती है। अगस्त तक एक सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 40 प्रतिशत माता-पिता ने अपने बच्चों के लिए एच1एन1 टीका लेने की योजना बनाई थी। इस बीच, दक्षिणपंथी रेडियो होस्ट रश लिंबोघ और कामेडियन बिल मैहर तेजी से विकसित वैक्सीन के जोखिमों के बारे में लोगों को बता रहे थे जो एक तरह का लोकप्रिय भय पैदा कर रहा था हालांकि बाद में किये गए वैज्ञानिक शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमरीकी एच1एन1 टीका पूरी तरह से सुरक्षित था। 
अक्तूबर की शुरुआत में ओबामा प्रशासन ने सबसे पहले उपलब्ध 2.4 मिलियन खुराकों के साथ टीका वितरण शुरू किया था। पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने से कुछ स्थानों पर मांग में वृद्धि हुई। महीने के अंत तक हेल्थ डिपार्टमेंट वितरण के अपने शुरुआती लक्ष्य से अभी बहुत पीछे था। बाद में करोड़ों खुराकों की और खेप तैयार हो गयी तो टीके की मांग कम हो गई जिसकी वजह से देश भर में सभी का एक समान रूप से टीकाकरण नहीं हो सका।  एच1एन1 का एक सबक यह था कि जब आपूर्ति अधिक भरपूर होती है तो लोग इसे कम पसंद करते हैं। यह केवल मानव स्वभाव है कि जब कोई वस्तु दुर्लभ होती है, तब वह हमें अधिक मात्रा में चाहिए होती है लेकिन इसका मतलब है कि आपको आपूर्ति की समस्याओं से निपटने के बाद भी लोगों को टीका लगाने के लिए प्रेरित करते रहना होगा। 
विशेषज्ञों का कहना बिलकुल सही मालूम होता है कि पुराने संक्र ामक रोगों के खिलाफ हमारी लड़ाई में अतीत की गड़बड़ियों की एक करीबी विवेचना बहुत महत्वपूर्ण है और यह स्वास्थ्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों, नौकरशाहों को एक सबक दे सकती है जिससे वे एक हताश आम नागरिक की रक्षा तो कर ही सकते हैं, साथ-साथ उसको टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति आश्वस्त भी रख सकते हैं । (अदिति)