पंजाबी भाषा से भेदभाव कयों?

जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक 2020 संबंधी घोषणा करते हुए केन्द्र द्वारा पांच भाषाओं उर्दू, कश्मीरी, हिन्दी, डोगरी तथा अंग्रेज़ी को वहां की राज भाषाओं का दर्जा देकर पंजाबी को भुला दिया गया है। परिणामस्वरूप विश्व में रह रहे समूचे पंजाबियों विशेषकर सिखों को ठेस पहुंची है। देश का आज़ादी से लेकर आज तक जम्मू-कश्मीर में पंजाबी को विशेष संविधान दर्जा प्राप्त था।  जिस  राज्य में लाखों ही पंजाबी रह रहे हों, वहां इस भाषा को दरकिनार करना दुर्भाग्यपूर्ण बात है। जम्मू-कश्मीर 27 वर्ष तक सिख राज का हिस्सा रहा है और बोली जाने वाली भाषा डोगरी पंजाबी भाषा की उप-भाषा है।

 -मा. जसपिन्दर सिंह गिल