तेज़ी से बदल रहा भारत का स्वरूप

देश की आज़ादी के बाद बहुत लोगों का मानना था कि हमारा देश भगवान भरोसे चल रहा है। गरीबी, बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, लूट और घोटाले ही इसकी नियति हैं। हद तो तब हुई जब अन्ना हज़ारे ने भी कहा कि कोई भी मौजूदा राजनीतिक दल देश को उज्ज्वल भविष्य नहीं दे सकता। अब अन्ना हज़ारे जैसे लोगाें को तो दलीय प्रणाली से ही विरोध है, फिलहाल जिसका कोई विकल्प नहीं है। इसलिए यदि वह राजनीतिक दलाें के विरोध में बोलते हैं तो उनकी बात समझ में आने वाली है पर ऐसा कहने के बाद क्या अन्ना हज़ारे उसी तरह अनशन पर बैठ सकते हैं जैसे वर्ष 2011 में जनलोकपाल के लिए बैठे थे और पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था। अब अनशन पर बैठना तो दूर, अन्ना हज़ारे इस बारे में सोच भी नहीं सकते। उन्हें पता है कि उनके ऐसे कदम का देश कोई प्रतिउत्तर नहीं देगा और वह अलग-थलग पड़ जाएंगे। 
बड़ा सवाल यह कि यदि देश बदल नहीं रहा है तो फिर कैसे नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उनका जनसमर्थन बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना जैसी महामारी जिसने देश की अर्थव्यवस्था को काफी हद तक ठहरा दिया और सीमा पर अढ़ाई महीने में अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित जब चीनी सेना खड़ी है, तब भी देश के रिकार्ड  66 प्रतिशत नागरिक मोदी सरकार के कामकाज के प्रति यदि सकारात्मक स्थान रखते हैं, तो यह तभी है, जब देश में बदलाव आ रहा है।यह बदलते भारत का ही प्रमाण है कि इस कोरोना काल में भी आम लोगों द्वारा अन्वेषण हो रहे हैं जिस पर सहसा आम लोग विश्वास न करें। एक घंटे में 5 टन कचरे को छांट देने वाला रोबोट बना दिया जाता है, किसानों को बिजली के झटके से उभारने वाला यंत्र बाज़ार में आ चुका है। केले के पत्तों से ऐसे बर्तन बनाए जा रहे हैं जो तीन वर्ष तक खराब नहीं हाेंगे। बेकार हो चुकी ट्यूबलाईट्स को फिर से ठीक कर उनका उपयोग शुरू हो गया है। स्टार्ट अप योजना के तहत 10 रुपये में ब्लड काउंट जांचने वाला उपकरण तैयार कर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि मैक्सिमम् गवर्नेस, मिनिमम् गर्वमेंट। इसी का नतीजा है कि इतने भयावह कोरोना संकट के चलते देश में बिजली चालित वाहनों की खरीद में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। आई.आई.टी. कानपुर के छात्रों ने मानवरहित हैलिकाप्टर का प्रोटोटाइप तैयार किया है जो लगातार 24 घंटे उड़ सकता है। एन.आई.टी. वारगंल ने बगैर सैनेटाइज के ओजोन गैस के माध्यम से फल, सब्जी, मोबाइल, जूते, कपड़े, पर्स वगैरह सेनेटाइज करने वाला यंत्र बना दिया है। आई.टी. खड्गपुर ने 1 घंटे में परिणाम देने वाली रैपिड टैस्ट किट बना दी है। ठाणे में स्टार्टअप के माध्यम से किसानों के लिए चंद हज़ार रुपये में तैयार हो जाने वाला कोल्ड स्टोरेज तैयार कर दिया गया है। बिजली से चलने वाला सस्ता ट्रैक्टर, कचरे से बनी बेहद मजबूत ईंट, दृष्टिहीन लोगों के लिए कृषि उपकरण, गाय के गोबर से फर्नीचर—ये सब चमत्कारिक कार्य धरातल पर आ गए हैं जो यह बताते हैं कि सचमुच में भारत बदल रहा है।संभवत: भारतवासियों ने भी यह नहीं सोचा होगा कि हमारी सेनाएं चीन के मुकाबले में इस तरह से सीना तानकर खड़ी हो जाएंगी कि चीन के बढ़ते कदम पूरी तरह ठिठक जाएंगे। कौन सोच सकता था कि पहले चीन के समक्ष सदैव रक्षात्मक रहने वाले भारत में अब उसके सेनापति यह कह सकते हैं कि यदि चीन से शांति वार्ता से समस्या नहीं सुलझती तो भारत के पास सैन्य विकल्प का मार्ग खुला है। हथियारों के लिए दूसरे देशों पर सदैव निर्भर रहने वाला भारत हथियारों का निर्यातक भी बन सकता है, यह कल्पना से परे की बात है परन्तु आज भारत की ब्रह्मोस मिसाइलें वियतनाम मंगा कर चीन से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। सिर्फ ब्रह्मोस ही क्यों, नाग मिसाइलें, बज्र टैंक, तेजस लड़ाकू विमानों की भी विश्व बाज़ार में मांग है। इस सबसे स्पष्ट है कि भारत बदल रहा है।यह बदलते भारत का ही प्रमाण है कि उसके सभी रुके हुए कार्य पूरे हो रहे हैं। प्रसिद्ध विचारक दत्तोपंत ठेगड़ी ने कहा था कि जब सामान्य व्यक्ति की राष्ट्रीय चेतना का स्तर थोड़ा भी ऊंचा उठता है तो बड़े-बड़े परिवर्तन होते हैं। देश में सत्ता परिवर्तन भी इस बढ़े हुए राष्ट्रीय चेतना का ही प्रतिफलन कहा जा सकता है। संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहिब देवरस ने 1987 में कहा था, ‘हमें किसी न किसी निमित्त राष्ट्रीय जागरण करते रहना चाहिए। जब हिन्दू समाज की राष्ट्रीय चेतना का स्तर पर्याप्त उन्नत होगा, तब हो सकता है कि सभी विषयों का समाधान एक साथ निकल आए।’ राष्ट्रीय चेतना के समुचित होने के चलते ही देश में बदलाव का माहौल साफ दिख रहा है। इसी के चलते तीन तलाक की सम्पति, कश्मीर में धारा 370 का खात्मा और राम मंदिर के निर्माण का पथ प्रशस्त हो सका है। आगे इसी प्रवाह में एकीकृत सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून का रास्ता भी निकलेगा। जैसा कि प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल वसु ने किसी शिष्य को आशीर्वाद देते हुए कहा था—बेटा, तेरा जीवन सफल न हो, दुनिया में सफल होने वाले बहुत हैं पर तू अपना जीवन सार्थक कर। इसका मतलब सिर्फ इतना कि हम समाज से जितना लेते हैं, उससे अधिक समाज को लौटाने का प्रयास करें। यही सार्थक जीवन का मर्म है। यदि प्रत्येक भारतवासी इस मर्म को समझ सकेगा तो बदलता हुआ भारत सम्पन्न और शक्तिशाली होने के साथ विश्व का सिरमौर भी होगा। तभी तो वर्ष 2017 में चीन डोकलाम मेें सड़क बनाने आया पर 73 दिन गर्जन तर्जन करके उल्टे पांव वापस लौट गया। 29-30 अगस्त के मध्य चीनी सेना के द्वारा तीन-तीन बार हमले के प्रयास के बावजूद भारतीय सेना एलएसी के 4 कि.मी. तक अन्दर घुस गई।  (अदिति)