आपदाओं के स्वरूप का बदलना तथा उनका उचित प्रबंधन 

आपदा एक अनपेक्षित घटना होती है जो मनुष्य के नियंत्रण में नहीं है। आपदा बिना चेतावनी के आती है तथा बड़े स्तर पर जानमाल की हानि पहुंचाती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई आपदा की परिभाषा जोकि आपदा प्रबंधन राष्ट्रीय अधिनियम 2005 में भी निहित है। आपदा किसी समुदाय या समाज के कामकाज में एक गंभीर व्यवधान है जिसके कारण बड़े पैमाने पर मानवीय, आर्थिक और पर्यावरणीय क्षति होती है। सावधानी से बनाई गई योजना, तत्परता और शमन के उपायों के प्रयोग द्वारा इन संकटों से बचा जा सकता है। आज के समय में आपदाओं ने भी अपना स्वरूप बदल लिया है मनुष्य को भी इनसे निपटने के लिए उसी तरह से तैयार रहना चाहिए। आपदाएं प्राकृतिक और मानव जनित दो तरह की होती हैं। भूस्खलन, चक्रवात, तूफान, सुनामी, बाढ़, भूकम्प आदि को प्राकृतिक आपदा माना जाता है जबकि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल तथा केमिकल आपदाओं को मानव जनित आपदा माना जाता है। आजकल के दिनों में बार-बार भूकम्प के झटके महसूस किए जा रहे हैं।
 तूफानों का भयंकर रूप से आना भी एक प्राकृतिक आपदा है।  गुजरात में हाल ही में बिपरजाय तूफान इसका एक प्रमुख उदाहरण है। एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ आपदा प्रबंधन से निपटने के लिए हर समय तैयार रहती है तथा आपदा आने से पहले तथा आपदा आने के दौरान विभिन्न तरीकों से लोगों का रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाती है। आज के आधुनिक दौर में मनुष्य अत्यधिक विकास करने की होड़ में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा है। जंगलों को  अत्यधिक काटना, सड़क बनाने के लिए पहाड़ों में छेद करना, पहाड़ों को काटना,भूमि के नीचे से अत्यधिक खनिज पदार्थों का दोहन करना इन सब क्रियाकलापों से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है तथा अचानक आपदाएं आने लगती है। इन आपदाओं के कारण भारी जानमाल की तबाही देखने को मिलती है। भूकम्प पृथ्वी की सतह में अचानक उत्पन्न होने वाला कम्पन है। भूकम्प की तीव्रता को रिएक्टर स्केल पर मापा जाता है अगर यह रिएक्टर स्केल 3 तक रहे तो इसका अर्थ होता है कि कोई हानि नहीं होगी। रिएक्टर स्केल 5 तक है तो इसका अर्थ है पुराने भवनों में  दरारें आना। अगर भूकम्प 7 रिएक्टर स्केल तक आ जाता है तो सड़कों में दरारें आना शुरू हो जाती है। तथा 8 से अधिक रिक्टर स्केल पर भूकम्प हो तो भवनों का गिरना तथा भारी जानमाल की हानि होती है। सुनामी जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है हार्वर वेव। मुख्य रूप से सुनामी समुद्र के अंदर भूकम्प तथा ज्वालामुखी फटने के कारण उत्पन्न होती है। भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केन्द्र द्वारा सुनामी, तूफानी लहरों के बारे में पूर्व सूचना मुहैया करवाता है। बादलों के फटने की आपदा के कारण अत्यधिक बारिश होती है। तथा उसी बारिश से जो बाढ़ आती है वह भूसखलन का कारण बनती है। ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प का आना, अत्यधिक बाढ़ का आना यह सभी कारक भूसखलन के लिए उत्तरदाई रहते हैं। भारत की तट रेखा पर विभिन्न प्रकार के चक्रवात भी देखे जाते हैं। गुजरात, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल चक्रवात से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। 
चक्रवात के कारण कृषि, मानव जाति, पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित होता है। मौसम विभाग के मुताबिक विपरजाय जो पहले से ही बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में बदल चुका है तथा गुजरात में 15 जून को यह सौराष्ट्र तथा कच्छ से टकरा सकता है। देश कि समस्त जनता को हिम्मत तथा सूझबूझ के साथ आपदा प्रबंधन के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करते हुए इस आपदा को हराना है। अब प्रश्न यह उठता है कि एक के बाद दूसरी आपदा दस्तक दे रही है तथा यह विश्व स्तर पर एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इन आपदाओं का स्थाई समाधान ढूंढना ही सबसे बड़ी आपदा प्रबंधन है। स्थाई समाधान तभी संभव है जब विश्व के समस्त देश इकट्ठे होकर पर्यावरण सुरक्षा तथा संतुलन के लिए कार्य करते हुए विकास को अपनाएंगे।