गेहूं की बिजाई और डी.ए.पी. खाद की कमी

किसान जानते हैं कि गेहूं का अच्छा उत्पादन लेने के लिए मौसम का बड़ा योगदान है। गेहूं के अधिक उत्पादन हेतु कम तापमान तथा कम नमी की आवश्यकता है। इसे मुख्य रखते हुए किसान इसी महीने के अंतिम सप्ताह से गेहूं की बिजाई शुरू कर देंगे और लम्बे समय में पकने वाली अगेती किस्मों की काश्त इसी माह करने लग जाएंगे। बिजाई का ज़ोर नवम्बर के पहले पंद्रवाड़े में पड़ेगा, जब किसान सही किस्मों का चयन कर गेहूं की बिजाई करेंगे।  सुपर एस.एम.एस. फिटिड कम्बाईन हार्वेस्टर से धान की कटाई के बाद गेहूं की सीधी बिजाई हैपी सीडर या सुपरसीडर से की जा सकती है। यदि धान की कटाई आम कम्बाईन से की गई हो तो शेष पराली को जड़ से काट कर कुतरा करने वाली मशीन से कुतरा कर खेत में बिखेरना पड़ता है। बारीक पराली को ज़मीन में मिलाने हेतु बहाई वाली मशीनें बरतनी पड़ती हैं। खेत में यदि हाथ से कटाई की गई हो और सीलन काफी हो तो बहाई की जा सकती है नहीं तो रौणी करने की आवश्यकता पड़ती है। खेत की तैयारी के लिए सुहागे तथा तवियों का प्रयोग करना पड़ता है। अब तो 95 प्रतिशत कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ होती है और कम्बाईन हार्वेस्टर पर सुपर एस.एम.एस. लगाना आवश्यक है। पराली को आग लगाना बंद करने हेतु केन्द्र ने इन सीटू नाड़ प्रबंधन के लिए विशेष सबसिडी पैकेज दिया है। गत 2 वर्षों में 51709 मशीनें कृषि तथा किसान भलाई विभाग द्वारा 80 प्रतिशत सबसिडी ग्रुपों तथा सोसायिटियों को देकर तथा 50 प्रतिशत किसानों को देकर उपलब्ध की गई हैं। 
सीमांत किसानों के लिए पंजाब सरकार ने यह सेवा मुफ्त उपलब्ध करने के आदेश दिये हैं। ज़ीरो टिलेज के तहत किसान बिना या कम बहाई करके भी गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त बैड्डों पर भी बिजाई की जा सकती है। इस विधी से पानी की बचत होती है और नदीन कम उगते हैं। 
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा 55 किलो डी.ए.पी. तथा 110 किलो प्रति एकड़ निम्मलिप्त यूरिया डालने की सिफारिश की गई है। छोटे किसानों में ताज़ा किए गए अनुसंधान की जानकारी की कमी है। वे सामान्य तीन थैले (135 किलो) यूरिया के गेहूं में डाले जा रहे हैं। जो भूमि स्वास्थ्य कार्ड दिये गए हैं (प्रत्येक स्थान पर तो वह भी नहीं दिये गये) उनमें की गई सिफारिशें अधिकतर किसानों को समझ में नहीं आतीं। लगभग एक तिहाई किसान गांवों में पढ़-लिख नहीं सकते। वे भूमि स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों की कैसे जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। रेल रोको आन्दोलन के कारण वह अभी से यूरिया तथा डी.ए.पी. खरीद कर भंडारण कर रहे हैं। रबी में 13.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की अवश्यकता है और 5.50 लाख मीट्रिक टन डाईअमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.) । सितम्बर के अंत तक पंजाब में 3 लाख मीट्रिक टन यूरिया का भंडार था और 2.50 लाख मीट्रिक टन इस माह आना था। शेष यूरिया खाद नवन्बर से जनवरी के मध्य आनी थी जबकि गेहूं को यूरिया देने की आवश्यकता होती है परन्तु अक्तूबर की सप्लाई रेलें रुक जाने का कारण नहीं हो रही। इसी तरह डी.ए.पी. की भी कमी आ रही है क्योंकि 80 हज़ार टन डी.ए.पी. जो इस महीने आनी थी, नहीं आ रही। यूरिया में तो देरी सहन की जा सकती है क्योंकि बिजाई के महीने बाद ही इसे डालने की ज़रूरत पड़ती है परन्तु डी.ए.पी. की तो तुरंत आवश्यकता है। डी.ए.पी.की सम्भावित कमी होने के कारण कई स्थानों पर यह तय कीमत से अधिक पर बिकना शुरू हो गई है। इस संबंध में कृषि भलाई विभाग किसानों को आश्वासन दे रहा है कि डी.ए.पी. या यूरिया की कमी नहीं आने दी जाएगी। अब सिर्फ यही उम्मीद की जाती है कि किसान नेता माल गाड़ियां के चलने देंगे और गेहूं की बिजाई के लिए ज़रूरी मात्रा में किसानों को डी.ए.पी. खाद उपलब्ध होगी।