ऐसे बचाएं त्वचा को प्रदूषण से

सरकार द्वारा अनलॉक की प्रक्रिया पूरी करने के बाद अब फैक्टरियां, दफ्तर, सड़क, रेल, हवाई यातायात आदि सामान्य रूप से चलने से वातावरण में वायु प्रदूषण में इज़ाफा रिकार्ड़ किया जा रहा है। इसी समय हर साल किसान अपनी फसल पराली खेतों में जलाते हैं जिससे महानगरों में प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है। इससे बचाव इन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है।
द्य मुंह पर मास्क और आंखों पर चश्मा लगा कर ही बाहर निकलें।
द्य यदि कोई व्यक्ति धूल-धुआं और गंध से हाइपर सेसटिव हो तो वायु में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होने पर घर से बाहर न निकलें।
द्य जिन्हें पहले से ही श्वासन तंत्र की कोई बीमारी हो तो वह प्रदूषित एरिया में जाने से परहेज़ करे।
द्य कूड़े-कर्कट का निस्तारण सुरक्षित ढंग से किया जाए। रिहायशी इलाकों के पास उन्हें कभी न जलाया जाए।
द्य औद्योगिक क्षेत्र के आस-पास रिहायशी मकानों को बनने से सख्ती के साथ रोका जाए एवं उद्योगों को प्रदूषण नियमों का ठीक से कार्य में करवाया जाए।
द्य किसानों को कृषि उपज संबंधी नुकसान को समझाया जाए और उनका सहयोग किया जाए तो वे आसानी से मान जाएंगे। जो पराली आज समस्या बनी हुई है वही गांवों में जाड़े से बचने के लिए तापने और बिछावन के साथ-साथ पशुओं का आहार रही है। पूरे 3 महीने उससे बनी आग को ताप कर भी किसान बहुत बीमार नहीं होते।
द्य घरों में व्यायाम, प्राणायाम और योगासन द्वारा अपनी इम्यूनिटी को बढ़ा कर प्रदूषण से काफी सीमा तक लड़ा जा सकता है।
द्य आंखों को कई बार ठंडे पानी से छींटा मार कर धोया जाए।
द्य  जितना सम्भव हो आस-पास पेड़-पौधे लगाएं। घर के भीतर और घर के बाहर भी और इन्हें पानी के फुहारों से समय-समय पर धोया जाए। ताकि उन पर धूल, धुआं, राख और कार्बन इत्यादि न जमने पाए जिससे पेड़ों की पत्तियां प्रकाश प्राप्त कर सकें और अधिक से अधिक आक्सीजन का उत्सर्जन करे।
द्य त्वचा को एलर्जी से बचाने के लिए भी प्रदूषित वायु से बचने का प्रबंध करना होगा। त्वचा सूखी न रहे इसके लिए अच्छे तेल का प्रयोग करते हुए स्नान किया जाए और शरीर को अच्छी तरह ढंक कर रखा जाए। जिन्हें स्किन एलर्जी है वह बाहर टहलने से अपने को रोकें। क्योंकि प्रदूषित वायु की धूल राख एवं हेवी मेटल्स के कण भाग कुहरे पर चिपक कर नीचे चल आते हैं और अनेक प्रकार के श्वासन एवं त्वचा एलर्जी उत्पन्न करते हैं।
द्य दुर्गन्ध अनेक प्रकार से पाचन संबंधी बीमारियां पैदा करती हैं, जिसमें भूख की कमी, मिचली, उल्टी और अतिसार प्रमुख हैं। अपने रहने के आस-पास सफाई का ध्यान रखा जाए। जल जमाव न होने दिया जाए। सीवर को साफ रखा जाए ताकि संडास की गंध लेकर हवा घर तक न पहुंचने पाए।