नेत्रहीन खिलाड़ियों की जिंद-जान हैं कोच नरेश सिंह नयाल उत्तराखंड

उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के ओखलकांडा ब्लाक के नाई नया गांव में दीवान सिंह और माता लक्ष्मी देवी के घर 4 जून, 1980 को जन्म नरेश सिंह नयाल की प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से शुरू हुई और फिर अपने चाचा जीवन सिंह नयाल के साथ असम राज्य में चले गये। जहां उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा पूरी की और इस दौरान वह अरुणाचल प्रदेश के आलो कालेज में होस्टल में भी पढ़े और कुछ महीनों के बाद भारतीय वायु सेना में भर्ती हो गए। भारतीय वायु सेना में 15 वर्ष सेवाएं निभाने के बाद स्वै-इच्छा से सेवानिवृत्त हो गए। एक वर्ष राजस्थान के राणा इंटरनैशनल स्कूल में पढ़ाने के बाद वह वर्ष 2015 में राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांग जन-सशक्तिकरण संस्थान अर्थात् नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल में बतौर शारीरिक शिक्षा के अध्यापक बनें, जहां से उनकी उपलब्धियों का सफर शुरू हुआ। जब वह नेत्रहीन स्कूल आए तो अपनी खेल उपलब्धियों में हासिल किए खेल तुजुर्बे से नेत्रहीन खिलाड़ियों को खेलों के क्षेत्र में तराशने लगे और स्कूल में खेलों का माहौल ऐसा बनाया कि देहरादून का नेत्रहीन स्कूल विश्व भर में अपना अहम स्थान रखता है। नरेश सिंह नयाल ने अब तक इस स्कूल में 6 अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाइंड फुटबॉल खिलाड़ी, 2 इंटरनैशनल ब्लाइंड क्रिकेट खिलाड़ी एवं राष्ट्रीय स्तर पर धावक, शतरंज के खिलाड़ी, पावरलिफ्ंिटग एवं जूडो के खिलाड़ियों सहित लड़कियों को भी खेलों में प्रशिक्षण देकर उन्हें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया।

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