शीत ऋतु में पनपने वाली आम बीमारियां

सर्दी का मौसम खाने-पीने का मौसम होता है, रजाई में बैठकर गर्म-गर्म चाय के साथ पकौड़े या समोसे या गाजर का हलवा इत्यादि अच्छी-अच्छी वस्तुएं खाने का मौसम। नवम्बर, दिसम्बर तथा जनवरी ठंड का खुशगवार मौसम होता है पर यही मौसम लेकर आता है  मौसम में ऐसी परेशानियां जो सहन योग्य नहीं होती।सर्दी की बीमारियां तथा उनसे बचाव के तरीके को मैं नीचे प्रस्तुत कर रहा हूं जिससे उस बीमारी के आने के पूर्व ही आप सतर्क हो जाएं।
पैरों का फटना
हम चेहरे, बाल तथा हाथों पर जितना ध्यान देते हैं उतना अपने पैरों की देखभाल पर नहीं जिसका परिणाम होता है कि हमारे पैर तथा एड़ियां खुरदरी, काली तथा फटी रह जाती हैं। पैरों तथा एड़ियों के फटने के कई कारण हैं। स्नान के समय हम पैरों की सफाई पर ध्यान नहीं देते जिसके कारण पैरों पर मैल एकत्र होकर रक्त के संचार को रोक देता है जिससे एड़ियों में दरारें पड़ जाती हैं। 
डर्माटाइटिस 
 घरेलू औरतें आमतौर पर पानी का काम ज्यादा करती हैं मसलन कपड़े धोना, बर्तन मांजना, पोछा लगाना इत्यादि। जाड़े के दिनों में पानी में ज्यादा रहने से खून का दौरा कम हो जाता है और हाथ पैर की अंगुलियां सूज जाती हैं। इस रोग को डर्माटाइटिस कहते हैं। ठंड से बचाव करने पर यह रोग नियंत्रण में रहता है।
चिलब्लेंस
यह रोग अत्यधिक ठंडे स्थान और बर्फ गिरने वाले प्रदेशों में ज्यादा होता है। इसमें अंगुलियां सुन्न पड़ जाती हैं, सूज जाती हैं और लाल हो जाती हैं। यह बेहद तकलीफदेह रोग है। धूप का नियमित सेवन और गर्म तेल का सेंक इसका सबसे उपयुक्त उपचार है।
खुजली 
कुछ लोग जाड़े में नहाने से कतराते हैं और कई कई दिनों दिनों तक नहीं नहाते। न नहाने से खुश्क त्वचा पर मैल जमा होकर गंदगी के दाने बन जाते हैं जिनमें असहनीय खुजली शुरू होने लगती है। यह एक संक्र ामक रोग है। यह त्वचा की गंदगी से पनपती है। इससे मुक्ति का उपाय है नियमित स्नान और तेल की मालिश। 
त्वचा के रोगों से बचाव 
* सर्दी के मौसम में स्वस्थ त्वचा के लिए जरूरी है नियमित स्नान। भले ही आप प्रतिदिन न नहाएं परन्तु हर दूसरे दिन नहाने का नियम बनाएं। जिस दिन नहीं नहाएं, उस दिन स्पंज करें तथा अंदर के कपड़े अवश्य बदलें। नहाने के लिए ठंडा-गर्म जैसा पानी चाहें, इस्तेमाल कर सकते हैं।
*  जाड़े में साबुन का उपयोग ज्यादा न करें। नहाने से पहले पूरे बदन में तेल लगाएं। नहाने के बाद तेल या माश्चराइजर का उपयोग करें। पानी से करने वाले काम एक ही बार में निपटा लें। बार-बार पानी में हाथ न डालें। यदि पानी का काम करना जरूरी है तो पहले हाथों में मलाई  लगाएं। दस्ताने पहन कर काम करने से त्वचा सुरक्षित रहती है।
* सर्दियों में धूप का नियमित सेवन करके चिलब्लेंस व डर्माटाइटिस जैसे रोगों से बचा जा सकता है। धूप में उतनी ही देर बैठें, जितनी देर आराम महसूस करें। अगर त्वचा लाल पड़ने लगे या सूजने लगे, तो धूप से हट जाएं। 
* हाथ-पैर की अंगुलियों के सुन्न होने, खून का दौरा कम होने या त्वचा के फटने से बचाने का सबसे अच्छा उपाय है  संतुलित आहार। 

 (स्वास्थ्य दर्पण)