सुरजीत हांस को याद करते हुए

सुरजीत हांस को नश्वर संसार से गए एक वर्ष हो चुका है। मेरी उनके साथ पहली मुलाकात जून 1980 में ब्रिटेन की विश्वव्यापी पंजाबी कान्फ्रैंस के समय इंग्लैंड में हुई थी। माहिलपुरिया होने के कारण वह मुझ से अधिक हित रखते थे। मित्रों को शराब खानों में शराब का आमंत्रण देते तो मेरा विशेष ध्यान रखते। हमें किसी को पैसे न देने देते। वह कालेजों की प्रोफैसरी छोड़ कर शेक्सपीयर और मिल्टन की दुनिया के आबकारी विभाग में छोटी-मोटी नौकरी करने हेतु विलायत चले गए थे। बायरन, कीट्स, शैली की कार्य भूमि का आनंद लेने, जिनको पढ़ना-पढ़ाना अपने देश में रहते, उनका पसंदीदा व्यवसाय था। वैसे उन्होंने एम.ए. तक की पढ़ाई अंग्रेज़ी के अतिरिक्त इतिहास और फिलासफी  में भी की हुई थी। वह चलते-फिरते इन्साइक्लोपीडिया थे। उनके कार्य क्षेत्रों की कहानी बहुत लम्बी है। होशियारपुर के सरकारी कालेज में पढ़ते समय वहां के होस्टल में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उसके परिचित हो चुके थे। केन्द्र में वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने चंडीगढ़ के लाजपत राय भवन में किसी समारोह का उद्घाटन करना था। वह समय से चार मिनट पहले ही पहुंच गए। समारोह के मुख्य प्रबंधक ओंकार चंद उन्हें अंदर बिठाने आए तो मुझे उनके पास बिठा दिया। मैं उस समय पंजाब रैड क्रास का
सचिव था। मुझे पता था कि वह हांस को जानते थे। मैंने बताया कि मैं हांस को जानता हूं। मुझे पता है कि वह आजकल पंजाबी यूनिवर्सिटी में विज़िटिंग प्रोफैसर हैं। उनकी टिप्पणी ने मुझे हैरान कर दिया। देश के वित्त मंत्री होने तक वह सुरजीत हांस के पदचिन्हों पर चलते रहे थे। उसकी जिसने उससे कभी कोई मांग ही नहीं की।  हांस की बातों एवं उपलब्धियों की गाथा बहुत लम्बी है। मैं दिल्ली छोड़ कर पंजाबी ट्रिब्यून का सम्पादक बन कर चंडीगढ़ आया तो मेरा दिल्ली से परिचित कपूर घुम्मण 15 जनवरी, 1985 को मुझे मिलने आया तो भाई काहन सिंह नाभा का महानकोष मुझे भेंट कर गया। गत वर्ष तक मुझे उस  कोष का उपयोग करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। ज़रूरी जानकारी के लिए महानकोष के पृष्ठ पलटने से हांस को टैलीफोन करके पूछ लेना आसान था। कई बार उनके द्वारा दी गई जानकारी  महानकोष से भी अच्छी होती थी। जाते-जाते यह भी बता दूं कि हांस ने अपने प्रत्येक जानकार  का नाम रखा हुआ था। पटियाला यूनिवर्सिटी की डा. धनबंत कौर का धन्नो, वहां के वाइस चांसलर के सचिव मोहन सिंह जौहल का मैक्सी, जनसंचार विभाग के प्रमुख नवजीत जौहल का मिन्नी, वाइस चांसलर जे.एस. पुआर का बड़ा बाबू और मेरा छोटा बाबू। परन्तु उसे पता था या नहीं कि मैं और मेरा जालन्धर का मित्र प्रेम प्रकाश उन्हें ब़ुजुर्ग कह कर याद करते थे, उनकी समझदारी के कारण।उनके द्वारा लिखित नाटकों, नावलों एवं काव्य पुस्तकों को भूल भी जाएं तो उनकी पंजाबी साहित्य को सबसे बड़ी देन उनके द्वारा किया शेक्सपीयर का समूची रचना का पंजाबी अनुवाद है। उसने सौनेटां सहित उसकी 39 जिल्दें बनती हैं। उनकी अभी-अभी प्रकाशित हुई काव्य पुस्तक मित्र का सपना है,
जिसकी मुख्य भूमिका प्रेम प्रकाश ने लिखी है। 
ताज़ा-ताज़ा
(क) किसी हवाई जहाज़ का सफाई कर्मचारी छुट्टी पर था। मालिकों ने यह ड्यूटी अपने वेटर को सौंप दी जिसे जहाज़ के ‘कॉक पिट’ में एक पुस्तिका मिल गई। पुस्तिका में लिखा था कि स्टार्ट करने के लिए पीला बटन दबाएं। बटन दबाया तो चालू होने की आवाज़ आने लगी। आगे पढ़ा चलाने के लिए हरा बटन दबाएं। जहाज़ चल पड़ा। उड़ाने के लिए लाल बटन था। उसने लाल बटन दबाया तो आसमानी हवा के नज़ारे आने लग पड़े। मज़े लेने के बाद उसने सोचा कि उड़न खटोले को धरती पर उतार लें। पुस्तिका में देखा तो उसमें लिखा था कि इसके लिए दूसरी पुस्तिका पढ़ें जो कि हवाई अड्डे के बुक स्टालसे मिलती है। उड़ाने वाला कौन था? बताने की ज़रूरत नहीं(ख) एक वकील का कुआं जट्ट ने खरीद लिया। वकील ने जितने पैसे मांगे जट्ट ने दे दिए। वकील के मन में आई कि जट्ट से और भी पैसे लिए जा सकते हैं। उसके घर गया और जट्ट को कहने लगा कि मुझे कुएं के पैसे तो मिल गए हैं, इसके भीतर पानी के नहीं, यह तुम्हारी तरफ और बनते हैं। जट्ट ने कहा जल-पानी छको, यह बात भी करते हैं। जट्ट बोला कि मैंने तो स्वयं आपके घर आना था। यह कहने कि कुएं में से अपना पानी तुरंत निकाल लें नहीं तो कल से किराया लगना शुरू हो जाएगा। 
(ग) विरोधी कहने लगे प्रधानमंत्री ने लाल किला, बीमा कम्पनी, हवाई जहाज़ और रेलें बेच दी हैं। 
प्रधानमंत्री के समर्थकों ने उत्तर दिया होश से बात करो। उन्होंने चुनाव आयोग, मीडिया, सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट भी तो खरीदी है। 

अंतिका
(लोक बोलियां/गुरभजन सिंह)
कई तुर गए कईयां ने तुर जाना
दिल्लीए तूं माण न करीं
असीं सत्त पतणां दे तारू 
आ बैठे जी टी रोड ते
सानूं एकता का सबक पढ़ाया 
कालियों कानूनां ने।