विश्व कैंसर दिवस पर विशेष मृत्यु के दस बड़े कारणों में कैंसर दूसरे स्थान पर

करीब एक दशक तक चले दो वैश्विक अध्ययनों में यह तथ्य उभर कर सामने आया है कि विकसित देशों में अब कैंसर के कारण सबसे ज्यादा लोग प्राण गंवा रहे हैं। कनाडा की लावल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता गिल्सडेगनिस के मुताबिक वर्ष 2017 में दुनिया भर में करीब 26 लाख मौतें कैंसर के कारण हुई थीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया भर में हर छह में से एक व्यक्ति की मौत अब कैंसर के कारण होती है और वर्ष 2018 में विश्व भर में 96 लाख लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण हुई। इनमें में से 21 लाख कैंसर रोगियों की मृत्यु फेफड़ों के कैंसर, 20 लाख की स्तन कैंसर, 18 लाख की कोलोरेक्टल कैंसर, 12 लाख की प्रोस्टेट कैंसर, 11 लाख की त्वचा कैंसर और 10 लाख  मरीजों की मृत्यु पेट के कैंसर के कारण हुई। दुनिया भर में कैंसर के जितने भी मामले सामने आते हैं, उनमें से करीब 22 फीसदी तम्बाकू के किसी भी रूप में सेवन के कारण ही होते हैं।
वर्ष 2016 में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन ने एक व्यापक अध्ययन के बाद ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’नामक अपनी जो रिपोर्ट पेश की थी, उसके अनुसार भारत में मृत्यु के दस बड़े कारणों में से कैंसर दूसरे स्थान पर है। ‘प्रॉस्पेक्टिव अर्बन रूरल एपीडेमियोलॉजिक’ नामक एक अध्ययन के तहत कुछ समय पहले जब भारत सहित लगभग दो दर्जन देशों के स्वास्थ्य आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि कैंसर अब पूरी दुनिया में सबसे बड़ी महामारी के रूप में उभर रहा है और अगर यह इसी गति से उभरता रहा तो आगामी कुछ दशकों या वर्षों में ही यह दुनिया भर में सबसे बड़ी प्राणघातक बीमारी बन जाएगा। प्रति वर्ष कैंसर से पीड़ित लाखों मरीज मौत के मुंह में समा जाते हैं और माना जा रहा है कि कैंसर के मरीजों की संख्या, एक करोड़ को पार कर चुकी है।
देश में कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए नवम्बर 2019 में विज्ञान एवं तकनीक, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी संसद की स्थायी समिति ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कैंसर के मामलों से निपटने और मरीजों को एक ही जगह इलाज की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए देश भर में ट्रीटमेंट हब (विशिष्ट इलाज केन्द्र) बनाने की सिफारिश की थी। समिति को अक्तूबर 2019 में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जानकारी दी गई थी कि भारत में प्रतिवर्ष कैंसर के करीब सोलह लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों में करीब 68 फीसदी मृत्यु दर बेहद दुखद है और मौजूदा समय में कैंसर के इलाज का देश में जो नेटवर्क है, वह इस बीमारी की भयावहता को देखते हुए बहुत छोटा और अपर्याप्त है। इसके लिए एक ऐसे मजबूत और विशालतंत्र की जरूरत है, जो कैंसर की दवाओं के मूल्य को नियंत्रित रख सके।
बहरहाल, केन्द्र सरकार द्वारा कैंसर के सस्ते इलाज के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाते हुए देश-विदेश के सरकारी और गैर सरकारी करीब 170 अस्पतालों का एक समूह बनाकर ‘नेशनल कैंसरग्रिड’ बनाया गया, जो कैंसर मरीजों तक कैंसर विशेषज्ञों की सलाह और इलाज के तौर-तरीकों को पहुंचाने में मददगार साबित हो रहा है। ग्रिड में शामिल अस्पतालों के कैंसर विशेषज्ञों द्वारा कैंसर मरीजों के लिए विशेष रूप से आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। मरीज को एक बार डॉक्टर  के  पास जाकर अपनी जांच करा लेने के बाद फिर बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती। दरअसल मरीज का सारा डाटा एक एप में डालकर कैंसर विशेषज्ञों से परामर्श हासिल किया जा सकता है। फिलहाल ये सेवाएं गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए मुफ्त हैं।
शरीर में कैंसर होने के कारणों की बात की जाए तो हालांकि इसके कई तरह के कारण हो सकते हैं लेकिन अक्सर जो प्रमुख कारण माने जाते रहे हैं, उनमें मोटापा, शारीरिक सक्रियता का अभाव, व्यायाम न करना, ज्यादा मात्रा में अल्कोहल व नशीले पदार्थों का सेवन, पौष्टिक आहार की कमी इत्यादि  हो सकते हैं। कभी-कभार ऐसा भी होता है कि कैंसर के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते किन्तु किसी अन्य बीमारी के इलाज के दौरान कोई जांच कराते वक्त अचानक पता चलता है कि मरीज को कैंसर है लेकिन फिर भी कई ऐसे लक्षण हैं, जिनके जरिये अधिकांश व्यक्ति कैंसर के शुरुआती चरण में ही पहचान कर सकते हैं। कैंसर के कुछ प्रमुख लक्षणों की बात करें तो हालांकि कई बार शुरुआती दौर में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते लेकिन फिर भी जानकारी होना बेहद जरूरी है। ऐसे ही लक्षणों में लगातार वजन घटते जाना, शरीर में रक्त की कमी होते जाना, पेशाब और शौच के समय खून आना, खांसी के दौरान खून आना, तेज बुखार आना और बुखार ठीक न होना, निरन्तर थकान व कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, भूलना, दौरे पड़ना, आवाज में बदलाव, सांस लेने में दिक्कत होना, लम्बे समय तक कफ  रहना  इत्यादि शामिल हैं। अगर शरीर में ऐसे कोई भी बदलाव या लक्षण नजर आएं तो तुरंत योग्य चिकित्सक से सम्पर्क कर जरूरीजांच करा लेनी चाहिएं।
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