कलात्मक पद-चिन्ह—11 पंजाबी शोध एवं चिंतन की हस्ताक्षर डा. गुरशरण कौर जग्गी

डा.गुरशरण कौर जग्गी जिन्हें भाषा विभाग की ओर से ज्ञान साहित्यकार पुरस्कार के साथ नवाज़ा गया। एक बहु-पक्षीय प्रतिभावान शख्सियत हैं। 13 अप्रैल, 1949 में डा. गुरशरण कौर जग्गी ने ऐतिहासिक शहर माछीवाड़ा में मास्टर राज कौर के घर जन्म लिया। सिख इतिहास से संबंधित दो शहर माछीवाड़ा और कुछ समय सुल्तानपुर लोधी में रहने के दौरान आपकी शख्सियत में अध्यात्मिकता की रंगत स्वाभाविक ही थी। क्योंकि आप स्वाभाविक पक्ष से संवेदनशील हैं। 1975 में डा. रतन सिंह जग्गी प्रसिद्ध चिंतक और विद्वान के साथ शादी होने के बाद उनके सपनों को परवाज़ मिल गई और पंजाबी यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक माहौल से पंजाबी और हिन्दी दोनों भाषाओं में एम.ए. करके पी.एच.डी. गुरु नानक वाणी में प्रेम भक्ति का स्वरूप विषय पर गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर से करके कई वर्ष अध्यापन के साथ जुड़ी रही। 1999 से 2007 तक सरकारी कालेज (लड़कियां) पटियाला में प्रिंसीपल के रूप में कार्यभार सम्भाला। आप पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के रजिस्ट्रार के पद पर भी कार्यरत रहीं। लेकिन शोध कार्य और साहित्यक रुचियों के चलते आप प्रबंधकीय कार्यों के अलविदा कहकर साहित्यक शोध और आलोचना में जुटे रहे शोध कार्य में। शोध कार्य में लगन और प्रतिभा के साथ निरन्तर गतिशील रहते हुये आपने भागलपुर यूनिवर्सिटी से ‘पंजाब में भक्ति आन्दोलन’ के इतिहास विषय पर डी-लिट की उपाधि प्राप्त की।
पारिवारिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियां निभाते हुए भी आपने साहित्यक आलोचना के क्षेत्र में निरन्तर उपलब्धियां हासिल कीं। गुरु नानक बाणी, श्री गुरु अर्जुन देव जी, श्री गुरु तेग बहादुर जी और अन्य गुरु साहिबान और भक्ति बाणी के बारे अध्ययन करने वाली इस शख्सियत ने मौलिक खोज और चिंतन कार्य को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया है। बहुत-सी सम्पादित पुस्तकें जिनमें साहित्य सौरभ, विचार विश्लेषण, पुरातन जन्म साखी, बाबे मोहन वालिया पोथियां, बारां भाई गुरदास, गुरु विलास पातशाही, कबीर, विचित्र नाटक शामिल हैं। 
आम पाठकों के लिए गुरुवाणी, श्री दशम ग्रंथ और अन्य धार्मिक ग्रंथों और वाणियों की व्याख्याएं और अनुवादित पुस्तकों की रचना करके डा. गुरशरण कौर ने अपना महान योगदान डाला। हिन्दी भाषा में भी आपने श्री कृष्ण साहित्य, श्री गुरु  नानक साहिब की प्रेम-भक्ति की पुस्तकों की रचना की। प्रतिभावान और विद्वान शख्सियत डा. गुरशरण कौर की उपलब्धियों को देखते हुए बहुत-सी सरकारी और ़गैर-सरकारी संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की ओर से नैशनल ट्रांसलेशन अवार्ड (1995) पंजाबी साहित्य समीक्षा बोर्ड जालन्धर, भाई मोहन सिंह वैद्य केन्द्र अमृतसर, भाषा विभाग की ओर से तेजा सिंह अवार्ड (1989 से लेकर 1990) में, भाषा विभाग की ओर से इन्द्रनाथ मदान अवार्ड, ज़िला रैडक्रास सोसायटी, पटियाला की ओर से वर्ष 2000 में वूमैन ऑफ मिलेनियम अवार्ड एवं अवार्ड ऑफ ऑनर के साथ 2001, 2002, 2004, 2005 से नवाज़ा गया।
डा. जग्गी साहित्य खोज क्षेत्र की आन-बान और शान हैं। गौरवमयी इस शख्सियत को आलोचना के क्षेत्र में भाषा विभाग की ओर से डा. अत्तर सिंह अवार्ड 2014 में प्राप्त हुआ। 2016 में कला सहित्य पुरस्कार के साथ पंजाब सरकार ने नवाज़ा। 
डा. गुरशरण कौर जग्गी एक युग का नाम है। एक लम्बी पखडंडी जिस पर पड़े हुये पग-चिन्ह के द्वारा उनके संघर्ष एवं मेहनत भरपूर स़फर की गवाही भरते रहेंगे। अपने हमस़फर डा. रतन सिंह जग्गी के साथ, सोच एवं हौसले के साथ डा. गुरशरण कौर साहित्य शोध को समर्पित शख्सियत हैं। सरकारी तौर पर सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपने साहित्यक कर्त्तव्यों को और गहराई से पहनाचे हुए पंजाबी सूफी कोष और गुरमति सिद्धांत कोष को सम्पादन किया, जोकि आपके इस शोध काल में एक मील पत्थर है। अपने विद्वान चिंतक पति डा. रतन सिंह जग्गी के साथ हमेशा कदम से कदम मिलाकर चलने वाली डा. गुरशरण कौर ने सिख पंथ विश्व कोष, गुरु ग्रंथ विश्व कोष, अर्थ बोध श्री गुरु ग्रंथ साहिब अर्थात प्रबंधकीय व्याख्या श्री गुरु ग्रंथ साहिब आदि ग्रंथों की सृजना में सहायक की भूमिका निभाई और दशम ग्रंथ के व्याख्या के समय सह-व्याख्याकार की भूमिका निभाई। पंजाबी साहित्य में आलोचना और शोध कार्य में आपसे भविष्य में बहुत-सी उम्मीदे हैं। कार्यालय ‘अजीत प्रकाशन समूह’ आपके लिए शुभकामनाएं करते हुए भाषा विभाग की ओर से मिले सम्मान के लिए आपको मुबारकबाद देता है।
-हंसराज महिला महाविद्यालय, जालन्धर।