अनिद्रा का कारण और निवारण

अनिद्रा दुनिया भर की आम स्वास्थ्य समस्या में से एक है जो हर उम्र के पुरुष और महिलाओं में हो सकती है। नींद एक ऐसी चीज है जो किसी को पत्थर पर सोने से भी आ जाती है और किसी को मखमली बिस्तर पर भी नहीं आती। वास्तव में नींद केवल प्यारी ही नहीं बल्कि जीवन के लिए अति आवश्यक भी है लेकिन यह प्यारी सी चीज नींद सबके हाथ लगती कहां है? दुनिया में सैकड़ों ऐसे लोग मिल जाएंगे जो नींद के लिए तरसते हैं। चिकित्सकों के अनुसार 18 से 40 वर्ष तक 8 घंटे की नींद और 40 से 50 वर्ष तक स्वस्थ मनुष्य के लिए 6 घंटे की नींद जरूरी होती है। 50 वर्ष से अधिक उम्र होने पर नींद कम आने लगती है। 
नींद न आने की समस्या उम्र के साथ-साथ बढ़ती है। जब एक व्यक्ति की रोज की नींद पूरी नहीं होती है तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। ऐसे लोग बहुत जल्दी गुस्सा करने लगते हैं।  वे धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और उनका व्यवहार असामान्य होने लगता है। अनिद्रा को आमतौर पर तीन प्रकार में विभाजित किया जाता है। 
 अस्थाई अनिद्रा - यह तब होती है जब लक्षण तीन रातों तक रहते हैं ।
एक्यूट अनिद्रा - इसे अल्पकालीन अनिद्रा भी कहा जाता है। लक्षण कई हफ्तों तक जारी रहते हैं।
क्रानिक अनिद्रा - यह आमतौर पर महीनों और कभी-कभी सालों तक रहती है।
 अनिद्रा रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यह वयस्क पुरुषों की तुलना में वयस्क महिलाओं में अधिक पाया जाता है।
 अनिद्रा से बचाव कैसे करें ?
 ४ व्यक्ति को सही समय पर उठना और सोना चाहिए।
४  जब नींद आए, तभी सोने जाना चाहिए।
४ सोने वाले कमरे को साफ रखें और उस कमरे में अधिक सामान न रखें।
 ४सोने वाले कमरे में लाइट का उपयोग न करें। अंधेरा करके सोए।
 ४ अनिद्रा से बचने के लिए सोने से पहले मोबाइल या लैपटाप का इस्तेमाल न करें।
४ सोने के 2 घंटे पहले हमेशा भोजन करें।
 ४ धूम्रपान की आदत है तो तुरंत अपनी आदत बदल दीजिए।
 ४ हमको कुछ स्थिति में दवाइयों का सेवन करना होता है इसलिए दवाइयों का सेवन सावधानीपूर्वक करें।
यदि अनिद्रा की समस्या हल न हो तो साइकलोजिस्ट की सहायता लें। 
(स्वास्थ्य दर्पण)