भोजन बनाने के उपयोगी नियम

भोजन शुद्ध और स्वादिष्ट हो, इसके लिए न सिर्फ यह जरूरी है कि जिन-जिन पदार्थों का उपयोग भोजन बनाने में किया जा रहा हो, वे शुद्ध (मिलावट रहित), ताजे और पोषक तत्वों से युक्त हों बल्कि यह भी जरूरी है कि उन पदार्थों को सही ढंग से पकाया भी जाए। यहां भोजन बनाने के कुछ लाभकारी और स्वास्थ्य रक्षक नियम प्रस्तुत हैं। भोजन बनाने से पहले स्नान करना और धुले हुए कपड़े पहन लेना जरूरी है ताकि रसोई में कोई गंदगी या किसी रोग के कीटाणु प्रवेश न कर सके। हमारे यहां भोजन बनाने और खाने से पहले स्नान करने की परंपरा इसीलिए चली आ रही है। 
आपके विचारों का प्रभाव भोजन पर भी पड़ता है अत: भोजन बनाने वाले को प्रसन्न मन से, अच्छे कल्याणकारी विचार करते हुए ही भोजन बनाना चाहिए। शोक, क्र ोध और दु:ख से पीड़ित मन: स्थिति में भोजन बनाने से भोजन दूषित और तमोगुण से युक्त हो जाता है। होटलों या भोजनालयों में बने पदार्थों को खाने पर ऐसा ही दुष्प्रभाव होता है।
सभी खाद्य पदार्थ ढक कर रखें। उन्हें साफ करके प्रयोग में लें और यह देख लें कि वे सड़े हुए, दुर्गंधयुक्त, बासी और गन्दे न हों। बर्तन भी साफ, धुले हुए और साफ कपड़े से पोंछे हुए हों।
भोजन को तेज आंच पर नहीं, मंदी आंच पर पकाएं और अधिक समय तक न पकाएं। इससे पदार्थों के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। उपयुक्त मात्रा में पानी डाल कर पकाएं और इसका पानी फेंकें नहीं क्योंकि इस पानी में भी पोषक तत्व आ जाते हैं।
सफेद नमक और दानेदार शक्कर का अधिक प्रयोग न करें। इसके स्थान पर सेंधा नमक और खाण्डसारी शक्कर या गुड़ का प्रयोग करें तो कई रोगों से बचे रह सकेंगे। 
पीने का पानी साफ, छना हुआ और ढक कर रखा हुआ होना चाहिए। जल दूषित हो तो उबाल कर प्रयोग करना चाहिए। सभी खाद्य पदार्थ भी ढक कर रखने चाहिए। (उर्वशी)