अंतरिक्ष में इसरो की बड़ी उपलब्धि ईओएस-04  सैटेलाइट

पिछले दिनों इसरो ने अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत के नवीनतम अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट ईओएस-04 को अंतरिक्ष में सफ लतापूर्वक स्थापित कर दिया और इस स फलता के साथ ही इसरो की सफ लता के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया। इसरो का इस साल का यह पहला मिशन था और इस मिशन की एक अन्य विशेष बात यह भी थी कि इसरो के नए चेयरमैन तथा अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस. सोमनाथ द्वारा पदभार संभालने के बाद भी इसरो का यह पहला लांच था। इसरो के इस मिशन में गत 14 फ रवरी को धरती की निगरानी करने वाले सैटेलाइट ईओएस-04 के साथ दो अन्य छोटे सैटेलाइट भी सफ लतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिए गए। साढ़े 25 घंटे के काउंटडाउन के बाद पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल पीएसएलवी-सी52 ने सुबह करीब 6 बजे तीनों सैटेलाइट के साथ उड़ान भरी और करीब 17 मिनट 34 सैकेंड की उड़ान के बाद तीनों सैटेलाइट को सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में प्रविष्ट करा दिया, जो लक्षित ऑर्बिट के बहुत करीब है। पीएसएलवी के जरिये ईओएस-04 को पृथ्वी से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है।
    इसरो के मुताबिक ईओएस-04 सैटेलाइट अगले कुछ दिनों में आंकड़े उपलब्ध कराने लगेगा। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र एसएचएआर से इसरो का यह 80वां लांच व्हीकल मिशन था तथा पीएसएलवी की 54वीं उड़ान थी जबकि एक्सएल कांफिगरेशन में 6 पीएसओएस-एक्सएल, स्ट्रैप ऑन मोटर्स  के जरिये इस सिस्टम का प्रयोग करते हुए पीएसएलवी का यह 23वां अभियान था। अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित होने के बाद 1710 किलोग्राम वजनी ईओएस-04 अगले कुछ दिनों में आंकड़े उपलब्ध कराने लगेगा और आगामी 10 वर्षों तक कार्य करेगा। इसरो चेयरमैन एसण् सोमनाथ के मुताबिक यह स्पेसक्राफ्ट देश की सेवा करने के लिए सबसे बड़ी परिसम्पत्तियों में से एक बनने जा रहा है। सैटेलाइट डायरेक्टर श्रीकांत का कहना है कि ईओएस-04 ने अंतरिक्ष क्षेत्र को उद्योग जगत की भागीदारी के लिए खोलने के देश के सपने को साकार करने की दिशा में छोटा कदम बढ़ाया है और इसरो अपने प्रयासों में सफ ल रही है।
    इससे पूर्व इसरो द्वारा नवम्बर 2020 में पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की श्रृंखला का पहला उपग्रह ईओएस-01 सफ लतापूर्वक लांच किया गया था। उसके बाद ईओएस-02 को मार्च-अप्रैल 2021 के आसपास लांच किया जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उसे लांच किया जाना संभव नहीं हुआ। 12 अगस्त 2021 को इसरो द्वारा ईओएस-03 उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया लेकिन इसरो का वह मिशन असफल रहा, जिससे इसरो को झटका लगा। जीएसएलवी.एफ 1 के जरिये जब इसरो द्वारा धरती पर निगरानी रखने वाले उपग्रह ईओएस-03 का प्रक्षेपण शुरू किया गया था, तब पहले दो चरणों में वह सफ लतापूर्वक आगे बढ़ा था लेकिन तीसरे चरण में इसके क्त्रायोजेनिक इंजन में खराबी आने के कारण इसरो को आंकड़े मिलने बंद हो गए, जिससे इसरो का महत्वाकांक्षी मिशन पूरा नहीं हो सका था। 2017 के बाद से किसी भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण में यह पहली विफ लता थी। ईओएस-03 लांच की विफ लता से पहले इसरो के लगातार 14 मिशन सफ ल रहे थे। ईओएस-03 को अंतरिक्ष से धरती की निगरानी करनी थी।
जहां तक हाल ही में अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किए गए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-04 की बात है तो यह एक ऐसा अग्रिम रडार इमेजिंग उपग्रह है, जिसे अंतरिक्ष में भारत की सबसे तेज आंखें भी कहा जा रहा है। यह अर्थ ऑब्जर्वेशन रीसैट उपग्रह की ही एक एडवांस्ड सीरीज है। बेंगलुरु स्थित यूआर राव सेटेलाइट सेंटर में बनाया गया यह उपग्रह एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसका इस्तेमाल पृथ्वी की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में किया जाएगा और इन तस्वीरों का उपयोग जलीय स्रोतों, फ सलों, जंगलों तथा बड़ी परियोजनाओं की निगरानी में किया जा सकेगा। इस उपग्रह को हर तरह के मौसम में कृषि, वानिकी, पौधारोपण, मिट्टी में नमी, जल विज्ञान, बाढ़ मैपिंग जैसे कार्यों के लिए हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है। ईओएस.04 का सिंथैटिक अपरचर रडार बादलों के पार भी दिन-रात तथा हर प्रकार के मौसम में स्पष्टता के साथ देख सकता है और इसमें लगे कैमरों से बेहद स्पष्ट तस्वीरें खींची जा सकती हैं। इस सैटेलाइट की बेहद ताकतवर आंखों से सीमाओं पर दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखना भी आसान हो जाएगा। भारत के दुश्मन पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की सीमा के आसपास की गतिविधियों पर नजर रखने में यह उपग्रह इन्हीं खूबियों के चलते भारतीय सेना के लिए भी मददगार साबित हो सकता है। इसकी मदद से सेना हर तरह के मौसम में दिन-रात दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रख सकेगी। यह उपग्रह धीरे-धीरे सूर्य की समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होगा। यह कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन सहायता में प्रयोग किया जाने वाला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो अंतरिक्ष में भारत की तीसरी आंख साबित होगा।
इसरो द्वारा धरती की निगरानी करने वाले ईओएस-04 के साथ दो अन्य छोटे ध्रुवीय उपग्रहों इंस्पायर सैट-1 तथा आइएनएसटी-2टीडी को भी सफ लतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया। इनमें इंस्पायर सैट-1 को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान तकनीक संस्थान द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ  कोलोराडो बोल्डर स्थित लेबोरेटरी ऑफ  एटमोस्फेरिक एंड स्पेस फि जिक्स के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इसके अलावा इसमें एनटीयू सिंगापुर तथा एनसीयू ताइवान का भी योगदान है। 81 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह का मिशन काल एक वर्ष है और इसके जरिये आयनोस्फ ीयर डायनेमिक्स तथा सूर्य की कोरोनल हीटिंग प्रक्रियाओं के बारे में शोध किया जाएगा। दूसरे छोटे टैक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर उपग्रह आईएनएस.2टीडी में एक थर्मल इमेजिंग कैमरा है, जिसके जरिये भूमि के तापमान, झीलों के पानी की सतह के तापमान इत्यादि का पता लगाया जाएगा। इस उपग्रह को भारत तथा भूटान के संयुक्त उपग्रह आईएनएस-2वी के पहले ही विकसित कर अंतरिक्ष में भेजा गया है, जो इसरो का तकनीक प्रदर्शन सैटेलाइट है। 175 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह का मिशन काल छह माह का ह, जिसके जरिये धरती की सतह, जलाशयों तथा झीलों में पानी की सतह के तापमान का आकलन और दिन-रात फ सलों व वनों तथा तापीय निष्क्रियता का चित्रण किया जा सकेगा।
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