कृषि खोज संस्थानों द्वारा करवाए जाते किसान मेले

किसानों के लिए मार्च का महीना बड़ा अहम है। जब वे रबी की कटाई तथा खरीफ की बिजाई संबंधी योजनाबंदी करते हैं। ज्ञान-विज्ञान तथा सुधरे संशोधित बीज कृषि का केन्द्रबिंदु हैं। कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा खरीफ की फसलों संबंधी किसान मेले इस माह आयोजित किये जाते हैं। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा इस वर्ष का ‘पूसा कृषि विज्ञान मेला’ 9 से 11 मार्च तक लगाया जा रहा है। इस मेले से इस वर्ष के किसान मेलों की शुरुआत होगी। इस मेले का उद्घाटन केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर 9 मार्च को पूसा आईएआरआई मेला ग्राऊंड में करेंगे। संस्थान द्वारा जो बासमती की नई किस्में पूसा बासमती-1885 (पूसा बासमती-1121 का संशोधन), पूसा बासमती-1886 (पूसा बासमती-1401, पूसा बासमती-6 का संशोधन), तथा पूसा बासमती-1847 (पूसा बासमती-1509 का संशोधन) संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान बड़े उत्सुक हैं। किसानों को इन किस्मों संबंधी उचित जानकारी इस पूसा कृषि विज्ञान मेले में उपलब्ध होगी। बासमती की अन्य किस्मों तथा सब्ज़ियों तथा दूसरी फसलों के बीज भी किसान मेले में खरीद सकेंगे। संस्थान के निदेशन तथा उप-कुलपति डा. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कोविड संबंधी बचाव के लिए जैसे मास्क पहनना, हैंड सैनेटाइज़ का इस्तेमाल करना तथा सामाजिक दूरी रखना आदि की पालन सुनिश्चित किया गया है। 
खरीफ की फसलों संबंधी जानकारी देने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वी वर्चुअल किसान मेले आयोजित किये जाएंगे। बल्लोवाल सौंकड़ी तथा नागकलां जहांगीर (अमृतसर) का वर्चुअल किसान मेला 14 मार्च को होना तय हुआ है। इसके बाद 16 मार्च को रौणी (पटियाला) का किसान मेला होगा तथा 21 मार्च को फरीदकोट तथा गुरदासपुर के मेले आनलाइन आयोजित होंगे। पीएयू लुधियाना का मुख्य किसान मेला 24-25 मार्च को आयोजित किया जाएगा। अंतिम मेला 29 मार्च को बठिंडा में वर्चुअल आयोजित किया जाएगा। गत कुछ समय से कोरोना वायरस के कारण किसान मेले विश्वविद्यालय द्वारा वर्चुअल आयोजित किये जा रहे हैं। जब मेले फिज़ीकल लगते थे तो किसान आवश्यक फसलों के शुद्ध बीज खरीद कर घर लौटते थे तथा आपस में विचार विमर्श कर लेते थे। वैज्ञानिकों के नेतृत्व में भी उन्हें आमने-सामने उपलब्ध होता था तथा फसलों के खेतों में खड़े होकर वैज्ञानिकों से फसलों संबंधी सब कुछ समझ लेते थे और उनके साथ विचार-विमर्श करके अपने संदेह दूर कर लेते थे। किसान जो विगत में आयोजित किये गये फिज़ीकल मेलों में दूर के गांवों से आकर बीज, पौधे आदि खरीद लेते थे और आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेते थे, अब वर्चुअल मेलों में उनके लिए ऐसा संभव नहीं होगा। अब पिछली शताब्दी के 6वें तथा 7वें दशक का माहौल तो खत्म है, जब अधिकारी तथा कर्मचारी किसानों के साथ उनके खेतों में जाकर सम्पर्क करते थे। कृषि प्रसार सेवा अब न कृषि विश्वविद्यालय और न ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किसानों को उपलब्ध की जा रही है। ज्ञान-विज्ञान तथा बीज उपलब्ध करने के केन्द्र होने के कारण, छोटी श्रेणी के किसान जिनमें ठेके पर ज़मीन लेकर कृषि कर रहे भी शामिल हैं, किसान मेलों में नये अनुसंधान की जानकारी लेने तथा बीजों से वंचित रह जाएंगे। चाहे प्रगतिशील तथा बड़े-बड़े किसान तो विश्वविद्यालयों तक पहुंच करके नये बीजों तथा आवश्यक जानकारी वैज्ञानिकों से प्राप्त कर लेंगे, परन्तु वे दूसरे किसानों को पुरानी किस्म के बीज ही बेचेंगे। बीजों की मंडी बड़ी जटिल व पेचीदा हो गई है, जहां अप्रमाणित किस्मों के बीज जो अखिल भारतीय केन्द्र की फसलों की किस्मों के बीज तथा स्तरों की स्वीकृति देने वाली कमेटी से नोटिफाइड नहीं होते, आम बेचे जाते हैं। 
विभिन्नता के पक्ष से किसानों को सब्ज़ियों व फलों के पौधे भी पीएयू द्वारा आयोजित किसान मेलों विशेषकर लुधियाना में लगाए मेलों में उपलब्ध हो जाते थे, जो इस बार आनलाइन आयोजित किये जाने वाले मेलों में उपलब्ध नहीं होंगे। किसानों को निजी नर्सरियों से ही इनके पौधे लेने पड़ेंगे। किसान मेलों से बाहरी व्यापारी भी अपनी फसलों के बीज बेचने के लिए आते थे। किसानों को निजी क्षेत्र से सम्पर्क करके भी कुछ ज्ञान की प्राप्ति होती थी। आनलाइन वर्चुअल मेले लगने से अब ये सुविधाएं किसानों को उपलब्ध नहीं होंगी।  धान, गेहूं का फसली-चक्र प्रधान होने के कारण किसानों को इन फसलों के बीज बहुत ज़रूरी हैं। बासमती का दाम मंडी में अच्छा रहने के कारण किसानों का रूझान अधिक बासमती किस्म की बिजाई की ओर है। बासमती की अधिकतर पूसा बासमती-1121, पूसा बासमती-1509 तथा पूसा बासमती-1401 (पूसा बासमती 6) किस्में धान की पूसा-44 किस्म जो सब किस्मों से अधिक उत्पादन देती हैं, के स्थान पर आईएआरआई पूसा संस्थान द्वारा विकसित की जा रही नई किस्म जिसका उत्पादन पूसा-44 जितना हो तथा पकने को कम समय लेती हो, अभी विकसित करके रिलीज़ नहीं की गई। किसान इसके रिलीज़ होने के इंतज़ार में हैं। 
चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा द्वारा भी 15-16 मार्च को हिसार में खरीफ की फसलों संबंधी किसान मेला आयोजित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त आईसीएआर-आईएआरआई -कौलेबोरेटीव आऊटस्टेशन रिसर्च सैंटर रखड़ा (पटियाला) में भी पंजाब यंग फार्मर्स एसोसिएशन द्वारा 22-23 मार्च को धान तथा बासमती की किस्मों के बीज दिये जाएंगे तथा किसानों को खरीफ की फसलों संबंधी जानकारी उपलब्ध की जाएगी।