ड्रिब्ंिलग से सब को हैरान कर देते थे मोहम्मद शाहिद

भारत के महान हाकी खिलाड़ियों में से एक मोहम्मद शाहिद का जन्म 14 अप्रैल, 1960 को वाराणसी में हुआ था। भारत के लिए आज तक खेलने वाले कुछ सबसे बेहतरीन हॉकी खिलाड़ियों में शुमार हैं। उन्हें खास तौर पर उनकी ड्रिब्ंिलग स्कील के लिए जाना जाता है। वह रूस में 1980 में हुए ओलंपिक के दौरान भारतीय टीम का भाग थे। उन्हें 1980 में अर्जुन अवार्ड और 1986 में पद्मश्री अवार्ड से विभूषित किया गया। 1980 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का शाहिद अहम हिस्सा थे। हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के बाद अगर किसी को इस खेल का पर्याय कहा गया तो वह शाहिद ही थे, जिन्होंने हॉकी के जादूगर दादा ध्यानचंद को नहीं देखा  वे मो. शाहिद में उनकी छवि देखते थे। लोगों की नज़र में शाहिद भी हॉकी के मौजूदा जादूगर थे।  बनारस कचहरी से सटे अर्दली बाज़ार इलाके का एक दुबला-पतला सा लड़का कभी दुनिया के दिग्गज हॉकी खिलाड़ियों को अपनी स्टिक के आगे-पीछे नचा डालेगा, यह तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। कमिश्नरी मैदान पर वह अपने साथियों के साथ जब गेंद को स्टिक से ड्रिबल करते तो सभी हैरत में पड़ जाते थे। मिट्टी और घास से उन्होंने अपना लगाव बना लिया था। मैदान में कहीं छोटे गड्ढे होते तो गेंद अनियंत्रित होकर उछल जाती, पर वाह शाहिद, मजाल कि गेंद उनकी स्टिक से दूर हो जाये। यही विशेषता रही कि जल्दी ही कमिश्नरी मैदान से निकलकर शाहिद महज 17 साल की आयु में फ्रांस के दौरे पर जाने वाली भारतीय जूनियर हॉकी टीम का भाग बन गये। फ्रांस का मैदान बिल्कुल दूसरी तरह का था, एकदम समतल। यह मैदान शायद शाहिद के लिए वरदान बनने वाला था। यहां उनकी कलाई का जादू पूरी दुनिया ने देखा। जिन लोगों ने हॉकी के जादूगर के रूप में ध्यानचंद को खेलते देखा था, वे भी शाहिद का खेल देख हैरत में पड़ गये थे। फारवर्ड के रूप में खेलते हुए शाहिद ने फ्रांस में कई बार विपक्षी खिलाड़ियों को जिस तरह चकमा देकर हमला बोला, वह लोगों को ध्यानचंद की याद दिला गया। फ्रांस में टीम तो कोई कामयाबी हासिल नहीं कर सकी, पर चयनकर्ताओं को शाहिद के रूप में एक हीरा ज़रूर मिल गया था। शाहिद को उसी वर्ष कुआलालम्पुर में चार देशों की हॉकी प्रतियोगिता के लिए भारतीय सीनियर टीम में चुन लिया गया। शाहिद के लिए 1980 स्वर्णिम वर्ष था। उस वर्ष कराची में हुई चैंपियन्स ट्रॉफी में शाहिद और जफर इकबाल की जोड़ी ने काफी धूम मचाई। इस प्रतियोगिता में शाहिद को बैस्ट फारवर्ड प्लेयर घोषित किया गया। इस प्रतियोगिता के बाद मॉस्को में हुए ओलंपिक खेलों के लिए शाहिद का चयन भारतीय टीम में हुआ। इस ओलंपिक में शाहिद की टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। भारतीय हॉकी के लिए वर्षों तक बेहतरीन योगदान देने वाले शाहिद 20 जुलाई, 2016 को इस नश्वर संसार को अलविदा कह गए।