जानलेवा साबित हो सकती है खून की कमी

एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में 60 प्रतिशत लोगों में रक्त की कमी है। इस रोग से 40 प्रतिशत लड़कियां प्रभावित हैं तथा प्रभावित गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत तो अस्सी है।  स्पष्ट है कि इस रोग की पकड़ में महिलायें अधिक हैं। रक्त की कमी का यह रोग रक्ताल्पता या अनीमिया के नाम से जाना जाता है। यह हमारे शरीर में लौह युक्त प्रोटीन अर्थात हीमोग्लोबिन की कमी का सूचक है। हीमोग्लोबिन ही वह तत्व है जिससे रक्त कोशिकाओं का रंग-लाल होता है और रक्त का ऑक्सीजन युक्त होना भी उसी पर निर्भर करता है। यह बीमारी महिलाओं में अधिक इसलिए पायी जाती है क्योंकि भारतीय समाज में लड़कियों की परवरिश पर उचित ध्यान न दिये जाने के कारण उनका पोषण अपर्याप्त रहता है।  अत: लड़कियों में रक्त की कमी तो कुपोषण के कारण पहले से ही रहती है तथा यह कमी गर्भाधान और प्रसव के समय के बीच अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है। इस कारण से यह बीमारी महिलाओं में अधिक पायी जाती है। इस बीमारी का मरीज थोड़े काम में थक जाता है। उसे उठने बैठने और खड़े होने में चक्कर आते हैं। उसे कई बार ऐसा भी लगता है कि दम फूल रहा है या सांस रूक रही है। रोगी का जीवन के प्रति उत्साह कम हो जाता हैं वह चिड़चिड़ा हो जाता है, उसकी आंखें निस्तेज हो जाती हैं तथा उसकी खुराक भी कम हो जाती है। रोगी के शरीर व सिर में दर्द रहता है। हाथ पैर सुन्न हो जाते हैं या फिर उनमें सूजन आ जाती है। खून की कमी आंख की रोशनी को भी प्रभावित करती है और आंख की श्लेष्मा वाली झिल्ली का रंग हल्का हो जाता है। इस मर्ज के रोगियों को नींद भी कम आती है। इस रोग के लक्षण रोगी की त्वचा पर भी देखे जा सकते हैं। त्वचा अपना स्वाभाविक रंग खोकर पीली सी नजर आने लगती है। मसूड़े तथा होंठ भी पीले हो जाते हैं। नाखूनों का रंग भी बदल जाता है। वे टूटने भी लगते हैं। व्यक्ति को अनीमिया है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है, हेमाटोक्रि ट की सान्द्रता का पता लगाया जाता है और साथ ही रक्त में रक्त कोशिकाओं की संख्या का पता भी लगाया जाता है। जांच में इन तीनों चीजों का स्तर औसत में कम निकलने पर मान लिया जाता है कि व्यक्ति अनीमिया का शिकार है।  इस बीमारी के रोगी को दवाओं के अलावा लौह तत्व की पूर्ति करने वाला भोजन जैसे गाजर, टमाटर, पत्तागोभी व हरी पत्तेदार सब्जियों का खूब प्रयोग करना चाहिए। लोहे की कड़ाही में बनी सब्जियां खाना अति उत्तम होता है। इसके अलावा मूंग, तिल, बाजरा आदि अनाजों का प्रयोग और आम, चीकू, केला, पपीता, नाशपाती, सेब आदि फलों का सेवन भी करना चाहिए। साथ ही हम यह भी ध्यान रखें कि रक्त के निर्माण में लौह तत्व के अलावा विटामिन्स, प्रोटीन तथा खनिजों की भी आवश्यकता होती है। अत: हमारे भोजन में यह तत्व भी पर्याप्त हों। तभी हम अनीमिया से बच सकते हैं। 

(स्वास्थ्य दर्पण)