जानलेवा मलेरिया से बचें

मानसून के आगमन से बारिश के कारण आस-पास के गढ्ढों से लेकर तालाब, नाले, निर्झर, खेत-खलिहान, सभी पानी से भर जाना स्वाभाविक है किन्तु इसके साथ-साथ मच्छरों का आगमन भी तय है। जरा सी देर बाहर बगीचे या गलियारे में खड़े हो जाइए तो कानों में मच्छरों का मधुर संगीत सुनाई देने लगता है।  घर के अन्दर भी मच्छर नहीं छोड़ते। इनके इस संगीतमय  वातावरण से हमें खीज तो होती है। अपना गीत सुनाते-सुनाते कब काट जाते हैं पता भी नहीं चलता। इनके काटने से शरीर में लाल चकते पड़ जाते हैं। यही लाल चकते मनुष्य के लिए घातक सिद्ध होते है। मच्छरों के काटने से मलेरिया के साथ-साथ डेंगू, पीत-ज्वर, फाइलेरिया जैसे भयंकर रोगों से हम ग्रस्त हो सकते हैं। 
मलेरिया संक्रामक कैसे होता है
जब कभी हमें मच्छर काटते हैं, अचानक हम उसे मारने के क्र म में अपनी दोनों हथेलियों के बीच लाकर उसे मसल देते हैं। तब हम पाते हैं कि हमारे हाथ में मच्छर के साथ-साथ एक बूंद खून की आ गई है। यह एक बूंद मच्छर के द्वारा पिया हुआ खून हमारा ही होता है। हर प्रकार के मच्छरों को अपने अंडे को पोषणता प्रदान करने में खून की आवश्यकता होती है। अत: मच्छर के काटने के साथ-साथ इनकी प्रतिक्रि या होती है। परिणामत: मच्छर के जहर को शरीर में जाने से रोक रखने के क्र म में इस प्रतिक्रि या के चलते मनुष्य के शरीर पर छोटे लाल चकते पड़े जाते हैं तथा हम खुजाने लगते हैं।
मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को अगर मच्छर पुन: काटता है और इसके बाद वही मच्छर पुन: किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है तो रोगी व्यक्ति से मलेरिया पैरासाईट उस स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश ले लेते हैं। अत: वह भी इसका शिकार हो जाता है। 
मलेरिया से बचाव के उपाय
अपने घर आस पास के गढ्ढ़ों आदि में पानी न जमा  होने दें ताकि मच्छर अपने अंडे उसमें न दे पाएं। 
खुले नाली, गटर आदि स्थानों को ढकने का प्रबंध करें। 
घर के आस-पास, खाली गमले, टूटे-फूटे बोतल, कनस्तर, आदि में पानी जमा न होने दें। 
अपने घर के आस-पास कूड़े आदि का ढेर न होने दें।
अपने घर की खिड़कियों व दरवाजों में जाली लगवाएं।
मच्छरदानियों, मैट, फ्लीट, मच्छर भगाने की क्रीम (आडोमास) आदि की सहायता से बचाव करें। 
मच्छरों द्वारा होने वाली कुछ अन्य बीमारियां
डेंगू नामक रोग काफी संक्रामक रोग होता है। यह ऐडिस नामक मच्छर के काटने से होता है। सिरदर्द, अत्यधिक जोड़ों का दर्द, बदन में दिदोरा (रैश) का रोग के लक्षण हैं। इसे ब्रेकबोन, डेन्डी, डेंगू नाम से भी जाना जाता है। 
पीत ज्वर (येलो फीवर) यह बहुत ही जल्दी संक्र मण होने वाला रोग है।  ठंड, तेज बुखार, पीलिया तथा अत्याधिक कमजोरी इस रोग के लक्षण हैं। इसमें काफी रोगियों को अन्दरूनी रक्तस्त्रव, कोमा और अन्त में मृत्यु तक हो जाती है। 
एनसिफलाइटिस नामक रोग मस्तिष्क ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। उल्टी, ठंड, बुखार, कोमा और अंत में मृत्यु इसके लक्षण है। 
यह समस्त बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं। मच्छर की इन भयंकर बीमारियों से बचाव के लिए केवल आपको कुछ सावधानियां तथा साफ सफाई रखने की आवश्यकता है। तभी इससे निदान पाया जा सकता है।

 (स्वास्थ्य दर्पण)