वर्षा ऋतु में रखें स्वास्थ्य का विशेष ध्यान

गर्मी के मौसम के बाद वर्षा का आगमन सुहाना लगता है। मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी भी गर्मी के प्रकोप से राहत की सांस लेते हैं। पेड़ हरे भरे हो जाते हैं, चारों तरफ खुशहाली का वातावरण छा जाता है। किसान मजदूर खुश होकर खेती के काम में लग जाते हैं। लेकिन दूसरी तरफ यही वर्षा ऋतु अनेक बीमारियों का कारण भी है क्योंकि इस मौसम की आर्द्रता और तापमान जीवाणुओं और कीटाणुओं को पनपने में सहायक होते हैं। यही कारण है कि बरसात में खांसी-जुकाम, आंख आना आदि बीमारियां अधिक होती हैं। 
यदि इस मौसम में खान-पान पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्वास्थ्य बिगड़ने में देर नहीं लगती क्योंकि वर्षा ऋतु में गंदे पानी के कारण खाद्य पदार्थों में अम्लता बढ़ जाती है और शरीर का पित्त दूषित हो जाता है। भारी पानी और गंदगी के कारण कफ भी दूषित हो जाता है। इस प्रकार बरसात में वात-पित और कफ तीनों के दूषित होने के कारण रस-रक्तादि धातुओं में विकार उत्पन्न होने लगते हैं। 
इस ऋतु में धान्यादि (गेहूं, चावल,चना आदि) नम और अल्पवीर्य वाले होते हैं। ऊपर आकाश बादलाें से घिरा रहता है और पृथ्वी भी गीली होती है, इसके साथ-साथ हवा में भी नमी होती है। परिणाम स्वरूप जठराग्नि की मंदता के कारण खाया आहार ठीक से पचता नहीं है। जिससे वायुजनित बीमारियां, विशेषकर पेट कीं बीमारियां घेरे रहती हैं। अत: इस ऋतु में तापमान में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। 
वर्षा ऋतु में इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक है:-
इन दिनों बिल्कुल शुद्ध पानी का इस्तेमाल करें। हो सके तो पानी को पांच मिनट उबाल कर ठंडा करके पिएं।
ठंडे व बासी खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। जहां तक हो सके, गर्म और ताजा खाना ही खाएं।
ठंडे पेय पदार्थों का इस्तेमाल न करें। इससे संक्र मण होने की संभावना रहती है।
वर्षा ऋतु में दही भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे जीवाणु जल्दी पनपते हैं।
खाद्य पदार्थों को जालीदार अलमारियों में बंद करके रखना चाहिए।
वर्षा से भीगे कपड़े घर आते ही तुरंत बदल लें। गीले कपड़ों से ठंड लग सकती है।
शरीर को स्वच्छ रखें। कम से कम दो बार साबुन लगाकर नहाना ठीक रहता है। पसीने की दुर्गंध और कीटाणुओं को धो डालने से त्वचा के रोग नहीं होते।
बरसात में चावल का सेवन कम से कम करना चाहिए।
सप्ताह में एक बार उपवास रखने या कम खाने से संपूर्ण वर्षा ऋतु में आप स्वस्थ रह सकते हैं।
बरसात में जगह-जगह कूड़े के ढेर न लगने पाएं और न ही गड्डों में पानी जमा होने पाए क्योंकि इससे मच्छर, मक्खियां, कॉकरोच आदि पनपते हैं जो अनेक रोगों को उत्पन्न कर सकते हैं।

(स्वास्थ्य दर्पण)