बचपन का साथी बस्ता

बस्ता बचपन का साथी सच्चा,
साथन छोड़े कोई भी बच्चा।
रंग-आकार-गुणवत्ता भिन्न,
कई तरह के बस्ते के चिन्ह!
जो इसके बन्धन मे बँध जाते,
भविष्य मे निश्चित नाम कमाते।
काँपी-किताब-कटर औ रबर,
पानी बोतल टिफिन रहता हर।
सब कुछ अपने अन्दर समेट,
भरता है हर दिन अपना पेट।
कन्धे पर इसे लाद सब बच्चे,
स्कूल जाते दिखते हैं अच्छे।
आनाकानी और न करता देर,
कक्षा मे जाकर सीट लेता घेर।
धूप-वर्षा-तूफान और ओले,
सहन करते  आते-जाते झोले !
जिस दिन हमारी छुट्टी है होती,
उस दिन मम्मी झोले को धोती।
छिपा रहता है झोले में भविष्य ,मेहनत से उसे तराशें अवश्य।
भविष्य का होता है यह दर्पण,
जीवन रहता है पूर्ण समर्पण !
जो बच्चे बस्ते से रहते हैं। 
-डॉ.सुरन्ेद्र सेमल्टी