भारत विरोधी अलगाववादी शक्तियों को कठोरता से नियंत्रित करना होगा

भारत से बहुत दूर कनाडा में बसे कुछ लोग यदा-कदा खालिस्तान की मांग उठाते रहते हैं। देश के विरोध में और अलगाववाद के पक्ष में बार-बार धरने-प्रदर्शन करते हैं, जुलूस निकालते हैं। गुरपतवंत पन्नू जिसका अपना न कोई आधार है और न पंजाब में कोई पहचान, वह केवल सोशल मीडिया पर ही नौजवान मनों में नफरत और देश विरोधी भाव पैदा करने का काम कर रहा है। बहुत हैरानी की बात है कि पन्नू जैसे एक व्यक्ति को देशद्रोह के केस में भारत सरकार अभी तक देश में क्यों नहीं ला पाई? शायद कोई अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की बाधा होगी।  इंटरपोल ने भारत सरकार की यह मांग ठुकरा दी है कि पन्नू के विरुद्ध केस बनाकर उसे भारत को सौंपा जाए। उन्होंने यह तर्क दिया है कि भारत पन्नू के विरुद्ध पूरे सबूत पेश नहीं कर पाया। याद रखना होगा कि इंटरपोल में 195 देश हैं जिनमें एक भारत भी है और आतंकवादी आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए इन देशों की पुलिस आपस में सम्पर्क कर अपराधियों को नियंत्रित करने का काम करती है।
अब चिंता और दुख का विषय है कि पंजाब से लेकर कनाडा तक देश के विरोध में और अलगाववाद के पक्ष में बार-बार आवाज़ उठने लगी है, पर आज सुखद समाचार यह भी है कि हमारे देश के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा सरकार को बड़े खुले शब्दों में बता दिया कि कनाडा की धरती पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर भारत के विरोध की आज्ञा मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। कनाडा सरकार को ऐसे लोगों को कानून के घेरे में लेना चाहिए, जो भारत के विरुद्ध और खालिस्तान के समर्थन में प्रचार करते हैं। केवल प्रचार ही नहीं करते, अपितु मंदिरों में तोड़-फोड़ करने अथवा खालिस्तान समर्थक नारे लिखने का काम भी वहां किया। अफसोस है कि इंग्लैंड जैसे देश के लेस्टर और बर्मिंघम में हिन्दू मंदिरों के विरुद्ध अशोभनीय ही नहीं, हिंदुत्व विरोधी कार्य किए गये। मंदिर को हानि पहुंचाई गई और साध्वी ऋ तम्भरा के कार्यक्रम नहीं होने दिए गये। लेस्टर और बर्मिंघम पर तो हम चिंतित हैं, पर जो कुछ हमारे देश में हो रहा है, जिस तरह सर तन से जुदा करने के नारे ही नहीं लगाए गये अपितु ऐसा करना शुरू कर दिया गया। यह आतंकवाद का अत्यंत घृणित और भयानक रूप है। कश्मीर का आतंकवाद भी देश के लिए बहुत बड़ी चिंता और समस्या है, जहां सुरक्षा बल दिन रात जूझते रहे हैं। देश की आतंरिक सुरक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सीमाओं की रक्षा। जब तक देश में अलगाववाद और आतंकवाद की आवाज़ उठती रहेगी, तब तक देश के आमजन की सुरक्षा खतरे में ही रहती है। 
हमें गर्व है कि भारत के शांतिप्रिय, कानून का पालन करने वाले हर धर्म, हर वर्ग के लोग यूरोप, अमरीका, आस्ट्रेलिया आदि जिस जिस देश में गए, वहां भारत का मान बढ़ाया, उच्च पदों पर पहुंचे और लगभग हर देश की सरकार भारतीयों के योगदान को स्वीकार करती है। अमरीका और इंग्लैड में तो राज्य सत्ता के केंद्रों तक भारतीय मूल के लोग महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। कनाडा और आस्ट्रेलिया में भी भारतवंशी बड़ी शान से राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। 
क्या किसी सांसद या विधायक को कानून की किसी धारा में अलगाववादी भाषण देने से रोका नहीं जा सकता? भारत और पंजाब सरकार दोनों को ऐसे व्यक्ति पर कड़ी दृष्टि रखते हुए अलगाव की ओर उसके बढ़ते कदमों को रोकने ही होगा, अन्यथा स्थिति अनियंत्रित होने में देर भी नहीं लगेगी। कौन नहीं जानता कि कुछ पल की लापरवाही की कीमत सदियों तक भरनी पड़ती है। आज का आशाजनक पक्ष यह है कि पंजाब के जिन लोगों ने काले दौर को देखा और सहा है, जिन्होंने अपने परिजन खोये हैं, वे किसी भी धर्म-सम्प्रदाय के हों, आतंकवाद और अलगाववाद का समर्थन नहीं करेंगे, परन्तु इसके लिए कुप्रयास करने वाले देश विरोधी और विदेशी भारत विरोधी शक्तियों के हाथ में खेलने वाले लोगों को कठोर नीति से नियंत्रित करना होगा, तभी देश में शांति रहेगी।