क्या इंसान 160 डिग्री तापमान सह सकता है ?

मानव अनुमान से अधिक गर्मी बर्दाश्त कर सकता है। दक्षिण अक्षांशों में इंसान उस तापमान को भी सहन कर लेता है जो मॉडरेट क्षेत्रों में अक्सर बर्दाश्त से बाहर होता है। केंद्रीय ऑस्ट्रेलिया में गर्मियों में तापमान अमूमन छाया में भी 46 डिग्री सेंटिग्रेड तक पहुंच जाता है। ऐसे भी मामले रिकॉर्ड किये गये हैं जब तापमान छाया में 55 डिग्री सेंटिग्रेड हो गया। जो शिप्स रेड सी से फारस की खाड़ी की तरफ  जाती हैं उनके केबिन में तापमान 50 डिग्री सेंटिग्रेड या उससे अधिक हो जाता है, बावजूद निरंतर व पर्याप्त वेंटिलेशन के। बहरहाल, इस पृथ्वी ग्रह पर उच्चतम प्राकृतिक तापमान जो रिकॉर्ड किया गया है वह 57 डिग्री सेंटिग्रेड से ऊपर कभी नहीं गया है। यह केलिफोर्निया की ‘मौत की घाटी’ में रिकॉर्ड किया गया था। 
एशिया की सबसे गर्म जगह केंद्रीय एशिया है, वहां तापमान कभी भी 50 डिग्री सेंटिग्रेड से ऊपर नहीं गया है। आपने शायद नोट किया हो कि हमने अब तक जिन तापमानों का ज़िक्र किया है वह सभी छाया से संबंधित हैं। ऐसा क्यों है? मैं आपको बताता हूं। पॉइंट यह है कि केवल छाया में ही थर्मामीटर हवा का सही तापमान रजिस्टर करेगा। आख़िरकार अगर उसे सूरज की धूप में एक्सपोज़ किया जायेगा तो वह गर्म हो सकता है और अपने इर्दगिर्द की हवा की तुलना में अधिक तापमान दिखायेगा। अनेक प्रयोग किये गये हैं यह तय करने के लिए कि मानव शरीर अधिकतम कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है। मालूम यह हुआ है कि जब हम आहिस्ता आहिस्ता सूखी हवा में वार्म-अप करते हैं तो पानी उबलने के पॉइंट (100 डिग्री सेंटिग्रेड) से भी अधिक तापमान बर्दाश्त कर सकते हैं। ब्रिटेन के भौतिक शास्त्रियों ब्लागडेन व सेंटरी ने अपने प्रयोगों के दौरान गर्म बेकरी भट्टी में घंटों गुज़ारे और साबित किया कि इंसान 160 डिग्री सेंटिग्रेड तापमान बर्दाश्त कर सकता है। 
इसका क्या अर्थ है? हमारा शरीर वास्तव में इस तापमान को पीछे धकेलता है, स्वयं को सामान्य रखने के लिए। वह खूब पसीना बहाकर गर्मी का मुकाबला करता है। जो हवा शरीर को सीधे घेरे हुए होती है उसकी परत की गर्मी को काफी हद तक पसीना हज़म कर लेता है और इस तरह तापमान को पर्याप्त कम कर देता है। ध्यान केवल इस बात पर देना होता है कि हीट के स्रोत के सीधे संपर्क में न आया जाये क्योंकि वहां हवा पूर्णत: सूखी नहीं होगी। जोधपुर में 37 डिग्री सेंटिग्रेड तापमान या हीट को बर्दाश्त करना मुंबई की 24 डिग्री सेंटिग्रेड हीट-वेव की तुलना में कहीं आसान होता है, क्योंकि मुंबई में हवा में उमस या नमी बहुत अधिक होती है और जोधपुर में हवा काफी सूखी होती है व बारिश भी कम ही होती है।
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