हिमाचल और गुजरात चुनाव तय करेंगे 18वीं लोकसभा की तस्वीर

इस साल हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा के चुनाव हैं। हिमाचल चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग ने कर दी है। देर सबेर गुजरात विधानसभा की तिथियां सामने आ जाएंगी। अगले साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और नागालैण्ड विधानसभा के चुनाव हैं। इन चुनावों के बाद 18वीं लोकसभा के चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी लेकिन इस बीच पिछले एक वर्ष से हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनावों के लिए सक्रिय हुई आम आदमी पार्टी और इससे पूर्व कांग्रेस पार्टी के मंथन, पदयात्रा, नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद इन दो राज्याें में चुनाव परिणामों का क्या आंकड़ा आएगा, यह अभी कह पाना मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव परिणाम आगामी 18वीं लोकसभा की तस्वीर को साफ  कर देंगे। 
भारतीय जनता पार्टी अगला चुनाव समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर लड़ सकती है। इस बात के संकेत भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता को लेकर चल रही कवायद से मिल रहे हैं। उत्तराखंड में पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने संहिता को लागू करने के लिए कमेटी के गठन का निर्णय ले लिया है। उत्तर प्रदेश में संगोष्ठियों के जरिए समान नागरिक संहिता पर विचार विमर्श हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी भाजपा के भीतर से ही यह मांग उठी है कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए। हालांकि इससे पूर्व आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अलग-अलग राजनीतिक दल अपने गवर्नेंस मॉडल को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी लम्बे समय से गुजरात विधानसभा चुनाव में और राज्य के बाहर के चुनावों में भी नरेंद्र मोदी के शासन के गुजरात मॉडल का जमकर प्रचार करती रही है तो वहीं अब आम आदमी पार्टी यानि ‘आप’ और तृणमूल कांग्रेस भी क्रमश: अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल और ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल मॉडल को दूसरे राज्यों के चुनाव में इस्तेमाल करते देखे जा रहे हैं।
वैसे देखा जाए तो समान नागरिक संहिता भाजपा के हिंदुत्व वाले उन मुद्दों में एक है जिन्हें पिछले चार दशक से पार्टी चुनाव में आगे रखती आई है। भाजपा ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार अपने घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता के मुद्दे को जगह दी थी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा चर्चा में रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे ने सभी मुद्दों को पीछे छोड़ दिया था। समान नागरिक संहिता के अलावा राम मंदिर और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त किया जाना भाजपा के प्रमुख चुनावी मुद्दे रहे हैं। भाजपा के इन मुद्दों को 2014 के बाद देश में बहुसंख्यक का साथ मिल रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक 303 सीटें हासिल हुईं थीं। पांच दशक से भी अधिक समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी की करारी शिकस्त हुई थी। 
देश में समान नागरिक संहिता लागू न हो पाने की वजह मुस्लिम अल्पसंख्यक रहे हैं। समान नागरिक संहिता लागू होने की स्थिति में मुस्लिम अथवा ईसाई अल्पंख्यक के अपने-अपने कानूनों का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। बहरहाल भारतीय चुनाव आयोग ने शुक्त्रवार को हिमाचल प्रदेश में चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। हिमाचल प्रदेश में 12 नवम्बर को मतदान होगा और नतीजे 8 दिसम्बर को आएंगे। 2017 के विधानसभा चुनावों  में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात व हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्यों में सरकार का गठन किया था। इस बार भी भाजपा ही प्रबल दावेदार मानी जा रही है। 2017 में गुजरात का  मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को बनाया गया था। वहीं हिमाचल प्रदेश की सत्ता बतौर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संभाली थी।  सितंबर 2021 में रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल ने ली थी।
हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भाजपा समेत सभी राजनीतिक पार्टियों ने ताकत झोंक रखी है। हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रचार का जिम्मा संभाल रखा है। वहीं कांग्रेस ने भी हिमाचल के सोलन से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की है। जहां सभी पार्टियां गुजरात में चुनावी वादों का पिटारा लिए बैठी हैं वहीं भाजपा ने अब तक किसी तरह का वादा नहीं किया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कई बार राज्य के दौर पर गए और अनेक तोहफे भी दिए हैं। भाजपा के गुजरात प्रभारी सीआर पाटिल को प्रदेश की सभी 182 विधानसभा सीटों पर पार्टी की जीत का लक्ष्य है। सीएम भूपेंद्र पटेल भी गुजरात में भाजपा की जीत के प्रति आश्वस्त हैं। 
हाल ही में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने कई बार गुजरात के दौरे किए हैं। इस दौरान उन्होंने कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया है। अमित शाह ने कहा है कि प्रदेश में भाजपा भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में चुनाव लड़कर जीत हासिल करेगी। 2017 में 9 से 14 दिसंबर के बीच विधानसभा चुनाव में मतदान हुआ था। इसका परिणाम 18 दिसंबर को आया था। उस वक्त कुल 182 में से 99 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी और 77 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 68 सीटों में भाजपा ने 48.8 फीसदी वोट शेयर के साथ 44 सीटें हासिल कर हिमाचल में सरकार बनाई थी। वहीं, 41.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 21 सीटों पर जीतकर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। 
2017 की अपेक्षा इस बार दोनों राज्यों में दिल्ली राज्य में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी की घुसपैठ से कुल हलचल जरूर है। भाजपा को हराने के लिए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता से कई चुनावी वादे किए हैं। उन्होंने फसल नुकसान पर 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा, पर्याप्त बिजली, किसानों की सभी समस्याएं दूर करने, 300 यूनिट मुफ्त बिजली, पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की गारंटी, मुफ्त शिक्षा व स्वास्थ्य की गारंटी, महिलाओं को एक-एक हज़ार रुपये का भत्ता देने का वायदा किया है। इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने भी चुनावी वायदे किये हैं। उनमें कांग्रेस की सरकार बनने पर पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली, किसानों का तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ, 500 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर और किसानों को मुफ्त बिजली और आम उपभोक्ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली का वायदा शामिल है। इसके बावजूद अगर भाजपा पुन: इन दो राज्यों में वापसी करती है, तो यह आगामी लोकसभा चुनाव  में एक बार फिर मोदी लहर का इशारा होगा। अन्य राज्यों में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी हिमाचल और गुजरात के चुनाव परिणाम का असर होगा।