उप-चुनावों की सम्पन्नता लोकतंत्र के पथ पर एक और आयाम

देश के 6 राज्यों में सात विधानसभा सीटों पर हुए उप-चुनाव के दौरान मतदान प्राय: शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया हालांकि इस दौरान कई जगहों पर छिट-पुट हिंसा एवं झड़पों आदि की सूचनाएं भी मिली हैं। तथापि, सायं काल तक किसी भी क्षेत्र से हिंसा की किसी बड़ी घटना की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी। उप-चुनाव के अन्तर्गत आई इन सातों सीटों में से तीन भाजपा के पास, दो कांग्रेस के पास एवं एक-एक सीट शिवसेना और राजद के कब्ज़े में है। मौजूदा मतदान में महाराष्ट्र की अंधेरी सीट पर सबसे कम 31.74 प्रतिशत और सर्वाधिक तेलंगाना की मनुगोडा सीट पर 77.55 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इन सात में से बिहार की दो सीटें मोकामा और गोपालगंज शामिल हैं जिनके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ अन्य अनेक वरिष्ठ नेता भी चुनाव प्रचार के अन्तिम पल तक व्यस्त रहे। ये दोनों सीटें एक ओर जहां भाजपा गठबन्धन से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नितीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल (यू) के लिए बड़ी अहम बनी थीं, वहीं राष्ट्रीय जनता दल के लालू यादव और उनकी पारिवारिक राजनीतिक शक्ति के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हैं। तेलंगाना की मनुगोडा, उत्तर प्रदेश की गोला गोरखनाथ, उड़ीसा की धाम नगर और महाराष्ट्र की अन्धेरी (पूर्वी) पर भी उप-चुनाव हेतु मतदान हुआ। महाराष्ट्र की इस सीट  हेतु सहानुभूति वोट के साथ इसी सीट के मरहूम हुए विधायक रमेश लटके की धर्म पत्नी रुतुजा लटके मैदान में हैं। भाजपा द्वारा इस सीट से अपना उम्मीदवार हटा लेने के बाद रुतुजा लटके को विजयश्री मिलना लगभग तय हो गया है।
हरियाणा में आदमपुर की सीट देश और प्रदेश में दिग्गज माने जाते राजनीतिक परिवारों से सम्बद्ध होने के कारण पहले से ही काफी चर्चित और उल्लेखनीय हो गई थी। प्रदेश के हिसार ज़िला की यह सीट हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई द्वारा दल-बदल कर भाजपा में शामिल होने से पूर्व अपनी सदस्यता से त्याग-पत्र दे दिये जाने के कारण रिक्त हुई थी। इसके बाद जब इस सीट से उप-चुनाव की घोषणा हुई तो इन्हीं कुलदीप बिश्नोई के पुत्र और चौधरी भजन लाल के पौत्र भव्य बिश्नोई को भाजपा की ओर से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। इस सीट हेतु सम्भवतया उसी समय समझौता हो गया था जब कुलदीप बिश्नोई ने प्रदेश कांग्रेस नेताओं के साथ उपजे मतभेदों के बाद कांग्रेस को छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के दामन को थामा था। इस सीट पर कांग्रेस के जय प्रकाश जिन्हें अधिकतर जे.पी. के नाम से जाना जाता है, इनैलो के कुरड़ा राम नम्बरदार और आम आदमी पार्टी के सतेन्द्र सिंह सहित 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन उप- चुनावों के अन्तर्गत आई सभी सातों सीटों में से आदमपुर एकमात्र ऐसी सीट है, जिस पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं।
 हरियाणा का यह उप-चुनाव इसलिए भी अहम हो जाता है कि एक ओर तो इनैलो के 88 वर्षीय वयोवृद्ध एवं वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश चौटाला स्वयं कुरड़ा राम नम्बरदार के सारथी बनने पर विवश हुए हैं, वहीं उनकी पारिवारिक राजनीतिक विरासत में पड़ी दरार भी बड़ी साफ होकर फिर सामने आ उभरी है।
आदमपुर सीट तो बेहद अहम होने के साथ-साथ नाज़ुक भी हो गई थी क्योंकि प्राय: सभी उम्मीदवारों की पारिवारिक प्रतिष्ठा के कारण यह उनकी नाक का सवाल बन गई है। इस सीट की हार-जीत के साथ इस प्रदेश की साझा सरकार का भविष्य भी वाबस्ता हो गया है, इस तथ्य पर भी दो राय नहीं हो सकतीं। नि:सन्देह जजपा नेता दिग्विजय चौटाला चुनाव प्रचार के दौरान की गई अपनी उपेक्षा से नाराज़ और खिन्न हुए हैं, और कि यह खिन्नता संयुक्त सरकार की तस्वीर में लम्बी लकीर भी बन सकती है। इसी प्रकार बिहार की दोनों सीटें राजद और जद-यू के ताज़ा बने गठबन्धन के भाग्य-पन्ने पर नई तहरीर लिख सकती हैं। इस उप-चुनावों के परिणाम का एक छोर राष्ट्रीय राजनीतिक धरातल पर भाजपा नीत गठबन्धन राजग के विरुद्ध गठित होने वाले सम्भावित विपक्षी मोर्चे के दामन से भी जा जुड़ता है। यदि नितीश कुमार और उनके सहयोगी ये दोनों उप-चुनावी सीटें जीत जाते हैं, तो राष्ट्रीय धरातल पर उनका दावा मजबूत हो जाता है। तथापि, अभी इन तमाम सम्भावनाओं का भविष्य लगभग एक मास के लिए मशीनों के भीतर ही बन्द रहेगा क्योंकि इन उप-चुनावों का परिणाम भी हाल ही में घोषित हुए गुजरात विधानसभा चुनावों और इससे पूर्व होने वाले हिमाचल विधानसभा चुनावों के साथ ही घोषित होगा। 
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए मतदान 12 नवम्बर को होगा और गुजरात में पहली और पांच दिसम्बर को दो चरणों में मतदान होगा। हम समझते हैं कि बेशक इन सभी चुनावों के लिए भाग्य आज़मा रहे उम्मीदवारों और उनसे सम्बद्ध राजनीतिज्ञों को अभी एक मास तक सांस रोक कर इन चुनाव परिणामों की प्रतीक्षा करते रहना होगा, परन्तु इन तमामतर उप-चुनावों की सफलता से सम्पन्नता, भारतीय लोकतंत्र और देश के चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा में एक और सफल आयाम को जोड़ने वाली सिद्ध होगी।