अच्छी भावना की अभिव्यक्ति की ज़रूरत

विगत कुछ समय से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के वार्षिक चुने जाने वाले प्रधान एवं अन्य पदाधिकारियों के चुनाव की काफी चर्चा होती आ रही है। चाहे यह कमेटी पांच वर्ष की अवधि के लिए चुनी जाती है परन्तु कुछ तकनीकी एवं अन्य कारणों के दृष्टिगत यह काफी समय पहले अपनी अवधि पूर्ण कर चुकी है परन्तु नये चुनाव होने तक यही कमेटी कार्यशील रहती है। वर्ष में इसके चुने हुये सदस्यों के होने वाले दो जनरल  इजलास महत्त्वपूर्ण होते हैं। एक इजलास में बजट पास किया जाता है तथा दूसरे में प्रधान सहित अन्य पदाधिकारियों के चुनाव में यह प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष की जाती है। पदाधिकारियों के वार्षिक चुनाव हेतु अकाली दल (ब) के विरोधी पक्षों की ओर से भी प्रधान सहित अन्य पदाधिकारियों के लिए उम्मीदवार खड़े किये जाते हैं परन्तु अधिकतर इन पदों के लिए दल के उम्मीदवार ही चुने जाते हैं।
जहां तक इस कमेटी के प्रधान का संबंध है, इसके लिए प्राय: प्रमुख बड़े व्यक्तित्व ही चुने जाते रहे हैं। वर्ष 1920 से अस्तित्व में आई इस संस्था के स. सुन्दर सिंह मजीठिया से लेकर बाबा खड़ग सिंह, मास्टर तारा सिंह तथा जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा जैसे व्यक्तित्व समय-समय पर प्रधान रहे हैं। मास्टर तारा सिंह जी भी काफी समय इसके प्रधान चुने जाते रहे तथा जत्थेदार टोहरा भी लम्बी अवधि तक शिरोमणि कमेटी के प्रधान रहे। इसी प्रकार बीबी जगीर कौर भी इस संस्था के चार बार प्रधान रह चुके हैं। पिछली बार एडवोकेट हरजिन्दर सिंह धामी को इस पद के लिए चुना गया था जिन्होंने एक वर्ष के काल में बड़ी परिपक्वता, विशाल-हृदयता एवं ईमानदारी के साथ अपना कर्त्तव्य पूरा किया। बीबी जगीर कौर की भी अपने कार्यकाल के दौरान बड़ी उपलब्धियां रही हैं। समय-समय पर उन्होंने इस संस्था में बड़े साहसिक फैसले लिये थे। इस बार भी बीबी जी ने इस पद पर रह कर सेवा निभाने की बात की थी। इस संबंध में उन्होंने अकाली नेतृत्व को भी अवगत करवा दिया था परन्तु अकाली दल (ब) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल एवं उनके साथी स. धामी की विगत कारगुज़ारी को देखते हुये उन्हें ही इस पद की ज़िम्मेदारी दोबारा देने के इच्छुक थे परन्तु बीबी जगीर कौर की ओर से अपनी बात पर अड़े रहने के बाद जहां उन्हें अकाली दल से खारिज कर दिया गया, वहीं पार्टी की ओर से स. धामी का नाम भी इस पद के लिए घोषित कर दिया गया। इसके बाद यह चुनाव अतीव दिलचस्प एवं सरगर्मीपूर्ण बन गया था। संयुक्त अकाली दल के प्रधान सुखदेव सिंह ढींडसा सहित अन्य कई विरोधी नेताओं ने बीबी जगीर कौर का साथ देने की घोषणा कर दी थी। 
परन्तु अमृतसर के तेजा सिंह समुन्द्री हाल में जनरल हाऊस की हुई बैठक में पुन: स. धामी प्रधान चुने गये हैं। दूसरी ओर बीबी जगीर कौर को भी आशा के अनुरूप काफी वोट मिले हैं। हम इस चुनाव को लोकतांत्रिक प्रक्रिया समझते हैं। पहले काबिज़ अकाली नेतृत्व पर यह आरोप अवश्य लगता रहा था कि वह ऐन अंतिम दिन शिरोमणि कमेटी के इजलास में ही प्रधान पद हेतु अपने उम्मीदवार की घोषणा करता रहा है तथा ऐसा करके वह तानाशाही प्रवृत्तियों का ही प्रदर्शन करता रहा है।  हम समझते हैं कि ऐसे चुनाव को अच्छी भावना के साथ ही लिया जाना चाहिए। इसके बाद शिरोमणि कमेटी के कामकाज में गुटबाज़ी उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि मौजूदा स्थिति में सिख पंथ को दरपेश चुनौतियों के सन्दर्भ में इस बात की बड़ी आवश्यकता है कि कमेटी के कामकाज को बेहतर ढंग से चलाने एवं निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बड़ी विशाल-हृदयता एवं प्रतिबद्धता के साथ कर्त्तव्यों की पूर्ति की जाये ताकि पंथक हितों के निरन्तर हो रहे नुकसान को कुछ न कुछ कम किया जा सके। 


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द