भारतीय बाज़ार में तेज़ी से बढ़ता डिजिटल भुगतान 

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के दो आदेशों के तहत गूगल को नियमों का उल्लंघन के कारण एक सप्ताह के भीतर 2,274 करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ा। ये आदेश गूगल प्ले स्टोर के संबंध में अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करने और अनुचित व्यावसायिक तौर तरीकों में गूगल के संलग्न होने के लिए जारी किये गये थे। हालांकि, टेक्नोलॉजी दिग्गज कम से कम क्षमाप्रार्थी थे तथा इस बात पर बल दिया कि कम्पनी ने भारत के डिजिटल परिवर्तन को शक्ति दी, करोड़ों भारतीयों के लिए उस तक पहुंच को विस्तारित किया तथा उसने भारतीय उपयोगकर्ताओं और डिवेल्पर्स के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की कसम खायी।
जहां एक ओर गूगल का दावा उसके योगदान के संदर्भ में कुछ हद तक सही है, भारतीय बाज़ार ने भी बड़े तकनीकी दिग्गज के लिए राजस्व उत्पन्न करने में कोई छोटी भूमिका नहीं निभायी, विज्ञापन राजस्व के माध्यम से भी तथा विश्व के सबसे गत्यात्मक डिजिटल भुगतान  बाज़ार में हिस्सेदारी के मामले में भी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ ) सूत्रों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में भारत का डिजिटल भुगतान लगभग 50 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है। यह अपने आप में दुनिया की सबसे तेज विकास दर में से एक है। देश का अपना यूपीआई इको सिस्टम भी सालाना लगभग 160 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
इन स्रोतों के अनुसार एक साल पहले जून में लेन-देन दोगुने से अधिक बढ़कर 5.86 अरब रुपये हो गया क्योंकि भाग लेने वाले बैंकों की संख्या 44 प्रतिशत बढ़कर 330 हो गयी। इसी अवधि में मूल्य लगभग दोगुना हो गया। इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च में फीचर फोन के लिए एक यूपीआई पेश किया जो संभावित रूप से दूर के ग्रामीण क्षेत्रों में 40 करोड़ उपयोगकर्ताओं को जोड़ सकता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ  इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा अगस्त के लिए अपडेट किये गये आंकड़ों में फ ोनपे ने 3.14 अरब रुपये का यूपीआई लेन-देन किया और इस तरह उसकी हिस्सेदारी 48 प्रतिशत रही। गूगलपे के 2.2 अरब रुपये के लेन-देन के साथ डिजिटल भुगतान बाज़ार में उसकी 34 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही। व्हाट्सएप पे की कुल यूपीआई बाजार में केवल 1 प्रतिशत से भी कम की हिस्सेदारी थी, जिसमें केवल 67.2 लाख रुपयों का लेन-देन किया।
व्हाट्सएप के भुगतान के क्षेत्र में कदम रखने और नए ट्विटर मालिक एलन मस्क की इस घोषणा के साथ कि उनका माइक्रो ब्लॉगिंग साइट भी डिजिटल भुगतान व्यवसाय में शीघ्र ही कदम रखेगा, भारतीय बाज़ार पर बड़े व्यावसायिक कम्पनियों का और भी ध्यान केंद्रित होगा। टेस्ला बॉस एलन मस्क ने पहले ही संकेत दिया है कि ट्विटर जल्द ही सोशल प्लेटफॉर्म के व्यावसायिक उपयोग के लिए डिजिटल भुगतान शुरू करेगा। दोनों के लिए भारत सबसे बड़े लक्षित स्थलों में से एक होगा।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक पेपर में एनसीपीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिलीप असबे के हवाले से कहा गया है कि व्यक्तिगत डिजिटल भुगतान उपयोगकर्ताओं की वृद्धि पांच साल में तीन गुना बढ़कर 75 करोड़ हो जायेगी जबकि व्यापारी उपयोगकर्ता दोगुना होकर 10 करोड़ हो सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक, रुपे, राष्ट्रीय वित्तीय स्विच कैश मशीन नेटवर्क और बैंकिंग को कम सेवा वाले क्षेत्रों में लाने के लिए आधार कार्यक्रम का उपयोग करके भुगतान प्रणाली सहित भुगतान प्रणालियों के एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है। यूपीआई उपभोक्ताओं के लिए लगभग मुफ्त है और सरकार प्रदान कर रही है। यूपीआई कारोबारी भुगतान को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार प्रोत्साहन दे रही है।
तेजी से बढ़ते मुद्राविहीन समाज के साथ करोड़ों युवा डिजिटल भुगतान को दूसरी प्रकृति के रूप में लेते हैं जिससे डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों को अपनी रैंक बढ़ाने में मदद मिलती है। इस बीच एनपीसीआई यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र में व्यक्तिगत खिलाड़ियों की बाज़ार हिस्सेदारी को सीमित करने के लिए कार्यान्वयन की समयसीमा में देरी के निहितार्थ पर सरकार इस उद्योग के हितधारकों के साथ बातचीत कर रही है। समय सीमा मूल रूप से जनवरी 2023 के लिए निर्धारित की गयी थी लेकिन वर्तमान में विचाराधीन समय-सीमा तीन साल दूर है।
अग्रणी प्लेटफार्मों ने तर्क दिया है कि जैसे-जैसे अधिक तृतीय-पक्ष खिलाड़ी यूपीआई के दायरे में आते हैं, इसे बाज़ार हिस्सेदारी पर सीमा निर्धारित करने के बजाय व्यवस्थित रूप से बढ़ने दिया जाना चाहिए। वर्तमान बाज़ार के अगुवे कह रहे हैं कि उन्होंने अग्रणी निवेश किया है और इसलिए वे अपने बाज़ार हिस्सेदारी को कम से कम तब तक सीमित नहीं करना चाहते जब तक कि वे अपने शुरुआती निवेशों की भरपाई नहीं कर लेते। वे चाहते हैं कि उपभोक्ताओं को अपने यूपीआई ऐप चुनने की आज़ादी दी जाये बजाय इसके कि किसी खास ऐप को उन पर थोपा जाये।
इसी पृष्ठभूमि में रिज़र्व बैंक ने अपनी डिजिटल करेंसी का पायलट परीक्षण एक नवम्बर से शुरू कर दिया है। यह विचार वित्तीय स्थिरता और कुशल मुद्रा और भुगतान संचालन के मौद्रिक नीति उद्देश्यों को प्लेटफार्मों में विस्तारित करना है ताकि उद्योग के विकास को अधिक व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित किया जा सके। भुगतान प्रणालियों और वित्तीय प्रौद्योगिकी की देखरेख करने वाले रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रबी शंकर का मानना है कि इस तरह के अग्रिम से मुद्रा प्रबंधन, निपटान, जोखिम और सीमा पार भुगतान के लिए लाभ होगा। (संवाद)