शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह


महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के सर्वाधिक विख्यात और लोकप्रिय शासक थे। वह शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध थे। चालीस साल तक पंजाब पर शासन करने वाले महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवम्बर, 1780 को पाकिस्तान में हुआ था। उन्हें सिखों के बड़े महाराजाओं में गिना जाता है। महान देशभक्त रणजीत सिंह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा अपितु उन्होंने जीवित रहते हुए अंग्रेज़ों को अपने साम्राज्य के पास तक नहीं फटकने दिया। 
1798 में जमन शाह के पंजाब से लौटने पर लाहौर पर कब्ज़ा कर उसे राजधानी बनाया। भारत पर हमला करने वाले आक्रमणकारी जमन शाह दुर्रानी को उन्होंने महज 17 साल की उम्र में धूल चटाई थी।  वह 21 वर्ष की आयु में पंजाब के महाराजा बन गए थे। महाराजा रणजीत सिंह ने 10 वर्ष  की आयु में पहला युद्ध लड़ा था और 12 वर्ष  की आयु में गद्दी संभाल ली थी। वहीं 18 वर्ष  की आयु में लाहौर को जीत लिया था। बचपन में चेचक की बीमारी से उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी।
महाराजा रणजीत सिंह ने अपने राज्य में शिक्षा और कला को बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पंजाब में कानून और व्यवस्था कायम की। उनकी न्याय प्रियता दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी। 
 पंजाब को एक सूत्र में पिरोकर उसे पख्तूनख्वा से कश्मीर तक विस्तारित करने वाले महाराजा रणजीत सिंह 500 साल के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ शासक साबित हुए। महाराजा रणजीत सिंह के निधन के 180 साल बाद अमरीकन यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा के सर्वे में इसकी पुष्टि हुई है। उनकी कार्य शैली, रण कौशल, प्रजा नीति, सेना के नवीनीकरण, आर्थिक और व्यापारिक नीतियों को आधार मान कर शीर्ष 10 शासकों को सूचीबद्ध किया गया। महाराजा रणजीत सिंह पहले स्थान पर रहे। इसी तरह शीर्ष 5 श्रेष्ठ शासन कालों की सूची में महाराजा का शासन काल पहले स्थान पर आया है। 
भारत में भले ही महाराजा को वह महत्ता नहीं मिली, लेकिन सारी दुनिया उनके शासन काल और कुशल शासक होने का लोहा मानती है।  विदेशी हमलावरों के दौर में महाराजा रणजीत सिंह ने देश के पश्चिमी छोर पर उनको रोका और प्राय सभी को शिकस्त देते हुए सिख साम्राज्य की स्थापना की। रणजीत सिंह के शासनकाल में सुधार, आधुनिकीकरण, बुनियादी ढांचे और सामान्य समृद्धि में निवेश की शुरुआत हुई।
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