फतेह दिवस का हासिल


कुछ किसान संगठनों ने घोषणा की है कि 19 नवम्बर को उनके द्वारा ़‘फतेह दिवस’ मनाया जाएगा। केन्द्र द्वारा बनाये गये कृषि संबंधी तीन कानूनों संबंधी एक वर्ष तक दर्जनों किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर धरना लगाये रखा था। इन कानूनों की घोषणा के बाद ही संगठनों में भारी रोष पैदा हो गया था। चाहे ये कानून तो समूचे देश के लिए बनाये गये थे परन्तु इनका अधिक तथा बड़ा विरोध पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में देखने को मिला था। किसान संगठनों द्वारा इन कानूनों को वापिस करवाने हेतु दिखाई गई दृढ़ता ने केन्द्र सरकार को इन कानूनों को क्रियात्मक रूप देने से रोकने हेतु विवश कर दिया था। 
अलग-अलग स्तरों पर तथा अंत में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कुछ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ इस संबंध में बातचीत की थी। इसमें उन्होंने इन कानूनों में उठाई गई ज्यादातर आपत्तियों संबंधी संशोधन करने हेतु सहमति भी व्यक्त कर दी थी। यहां तक कि आगामी डेढ़ वर्ष की अवधि तक इन पर किसी भी तरह का क्रियान्वयन न करने संबंधी भी कहा गया था तथा किसान संगठनों एवं अन्य संबंधित सभी गुटों के साथ विचार-विमर्श करके उनके द्वारा निकाले गये परिणाम की रोशनी में ज़रूर संशोधन करने की बात भी कही गई थी। सरकार द्वारा लिखित समझौते एवं कानूनों पर एक निर्धारित समय तक क्रियान्वयन न करने की पेशकशों के बावजूद  ज्यादातर किसान संगठनों ने इन्हें मानने से इन्कार कर दिया था। वह इस बात पर ही अड़िग रहे थे कि इन कानूनों को सरकार द्वारा वापिस लिया जाए। अंतत: बिना किसी लिखित समझौते के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन कानूनों को वापिस लेने की घोषणा कर दी थी। जिसे किसानों ने अपनी जीत करार दिया था तथा इसे ़फतेह दिवस के रूप में मनाया भी गया था। अब वर्ष के बाद कानून वापिस लेने हेतु केन्द्र सरकार को विवश करने की वर्षगांठ को किसान संगठनों द्वारा ़फतेह दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई है। परन्तु इसके साथ ही यह भी दोष लगाया है कि न तो केन्द्र सरकार तथा न ही प्रदेश सरकार ने उनकी मांगों को पूरी तरह माना है। केन्द्र का तो इन संगठनों के साथ कोई लिखित समझौता हुआ ही नहीं था परन्तु किसानों का यह कहना है कि पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों तथा मुख्यमंत्री के समक्ष उनके द्वारा उठाई जातीं अनेक मांगों संबंधी सरकार ने पिछली 2 अगस्त तथा 6 अक्तूबर को इन मांगों को मानने का वायदा किया था परन्तु उसके बाद इस वायदे पर कोई क्रियान्वयन नहीं किया गया। 
इसलिए ऐसी वायदा-़िखल़ाफी के  विरुद्ध कई किसान संगठनों द्वारा पुन: आन्दोलन की घोषणा करने के साथ-साथ पंजाब में कई स्थानों पर स्थायी मोर्चे भी लगा दिये गये हैं। कई स्थानों पर हाईवे अवरुद्ध किए गए हैं। अब इन मांगों में कई किसान संगठनों द्वारा विगत दिवस से जलाई जा रही पराली से व्यापक स्तर पर फैले प्रदूषण संबंधी कोई कार्रवाई न करने की भी मांग जोड़ दी गई है। धान की फसल सम्भालने के बाद जिस तरह पंजाब में स्थान-स्थान पर पराली को आग लगाई गई हैं तथा उससे जितना ज़हरीला धुआं फैला, वह भी एक कारण था कि समूचे उत्तर भारत सहित दिल्ली तक करोड़ों लोग इस ज़हरीली हवा में सांस लेने हेतु विवश होते रहे हैं। इस संबंध में न तो केन्द्र सरकार तथा न ही उच्च न्यायालय कुछ कर सके। पंजाब सरकार तो इस संबंध में पूरी तरह असफल हो गई। आम आदमी पार्टी के संयोजक को ये बयान देने पड़े कि  चाहे इस बार वह पूरी तरह इस मामले में असफल हो गये हैं परन्तु आगामी वर्ष वह ज़रूर इस संबंध में कोई न कोई समाधान करेंगे। समाचारों के अनुसार पराली को जलाने से पैदा हुए ज़हरीले धुएं में 80 प्रतिशत हिस्सा पंजाब का था। सरकार को ये ब्यान भी देने पड़े कि वह इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करेगी। परन्तु अब कुछ स्थानों पर केस दर्ज करने तथा संबंधित खेतों की ज़मीनों के रिकार्ड में लाल इंदराज किये जाने से किसान संगठन रोष में आ गये हैं एवं धरनों- प्रदर्शनों का दौर भी जारी हो गया है। सड़कों या रेल लाइनों पर ऐसे इन धरनों से जन-जीवन पूरी तरह ठप्प हो जाता है। यहां तक भी समाचार प्राप्त हुए हैं कि एम्बुलैंसों में पड़े गम्भीर मरीज घंटों तक इन जामों में फंसे रहे। इसके साथ-साथ एक बार फिर कई स्थानों पर हाईवे जाम करने के साथ-साथ टोल प्लाज़ाओं की भी शामत आ गई प्रतीत होती है। आगामी दिनों में ऐसे मोर्चों के अधिक ज्वलंत होने के संकेत बने गए हैं, जिनसे एक बार फिर जन-जीवन पूरी तरह उथल-पुथल होकर रह जाएगा।
लोगों को अभी रेल रोकने से होती परेशानी के लिए भी इंतज़ार करना पड़ेगा। इसके लिए हम बड़ी सीमा तक प्रदेश सरकार को भी ज़िम्मेदार समझते हैं जो इस मामले को सुलझाने हेतु किसी तरह का भी कोई प्रभाव दिखाने में असमर्थ रही है। समय के दबाव में आ कर वह कुछ संगठनों के साथ वायदे कर लेती है, जिन्हें पूरा करना उसके वश में नहीं होता। लगातार पैदा होती ऐसी स्थिति पंजाब के दुर्भाग्य का सन्देश बनती जा रही है, जिससे हर तरफ आज बड़ी चिन्ता पैदा होती दिखाई दे रही है।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द