आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध लामबंदी


एक ओर विश्व भर के देश आतंकवाद से पीड़ित होकर चिन्तातुर हुये दिखाई दे रहे हैं, दूसरी ओर कुछ देश अपने-अपने कारणों के दृष्टिगत आतंकवादियों को भारी आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवा रहे हैं। प्राय: यह देखा गया है कि जिन देशों में भी भांति-भांति के आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, वे देश ़गरीबी एवं भूख-लाचारी में ही विचरण करते रहते हैं। वहां रहने वाले लोगों का जीवन नरक बना दिखाई देता है तथा इन देशों की सरकारों को स्वयं भी ़खतरे की घंटियां सुनाई देती रही हैं। 
पाकिस्तान आज जिस दयनीय हालत में से गुज़र रहा है, उसे पूरा विश्व जानता है। समय के व्यतीत होने के साथ-साथ आतंकवादियों का जितना कुनबा वहां एकत्रित हो चुका है, उसने जन-जीवन को बदहाल किया हुआ है। वहां विचरण करते आतंकवादियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण विश्व भर की नज़रें भी उस पर टिकी रही हैं। इसीलिए लम्बी अवधि तक अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता के लिए मंजूरी देने वाली संस्था फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स जिसे संक्षेप रूप में एफ.ए.टी.एफ. भी कहा जाता है, ने इस देश को आतंकवादियों की सहायता करते रहने के कारण ग्रे सूची में रखा जिसमें से निकलने के लिए उसे लम्बा संघर्ष करना पड़ा था परन्तु आज भी इस देश पर विश्व भर की नज़रें लगी हुई हैं। इसके साथ ही अ़फगानिस्तान में पुन: तालिबान की ओर से कब्ज़ा किये जाने से दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। वहां तालिबान सरकार को भी नित्यप्रति इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों की ओर से हमलों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2001 में 11 नवम्बर को अल-कायदा आतंकवादी संगठन ने अमरीका के शहर न्यूयार्क में वर्ल्ड ट्रेड सैंटर के टावरों पर हमला किया था जिसमें हज़ारों लोग मारे गये थे। भारत को भी प्राय: ऐसे हमलों में से गुज़रना पड़ा है। वर्ष 2008 के नवम्बर महीने में मुम्बई में पाकिस्तान से भेजे गये आतंकवादियों ने पूरी तरह से कोहराम मचाये रखा था। इस्लामिक स्टेट नामक संगठन भी कई अरब देशों में खून का नंगा नृत्य कर रहा है जिसके कारण ये देश विनाश के कगार पर पहुंचे गये हैं। ऐसे ़खतरों को भांपते हुये ही विश्व के अधिकतर देश एकत्रित होकर नियोजित ढंग से आतंकवाद की समाप्ति के लिए लामबंदी कर रहे हैं। 
इसी संबंध में अप्रैल 2018 में फ्रांस की ओर से आतंकवादियों को निरन्तर मिल रही आर्थिक सहायता पर विचार करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया था। इसी तज़र् पर नवम्बर 2019 में आस्ट्रेलिया के मैलबोर्न में ऐसा ही एक सम्मेलन करवाया गया था। इसी कड़ी में नई दिल्ली में (आतंकवाद के लिए कोई राशि नहीं) के विषय पर 77 से अधिक देशों एवं 16 अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सम्मेलन हुआ है जिसमें इन सभी देशों ने आपस में गहन एवं विस्तृत विचार-विमर्श किया। पाकिस्तान एवं अ़फगानिस्तान को आतंकवादियों का गढ़ होने के कारण इस सम्मेलन में नहीं बुलाया गया था परन्तु चीन क्योंकि आज प्रत्येक पक्ष से पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा रहता है, इसलिए उसने भी अपने प्रतिनिधि यहां नहीं भेजे। अब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व भर के देशों को उन संस्थाओं एवं व्यक्तियों की पहचान करके उन्हें अलग-थलग करने की अपील की है जो इन संगठनों की सहायता करते हैं तथा इसके लिए उन्होंने समूचे विश्व को भी एकत्रित होने की अपील की है। नि:सन्देह इस संगठन को बड़ी शक्ति मिलनी चाहिए जो आतंकवादियों के उत्साह को ध्वस्त करने की सामर्थ्य रखती हो। निर्दोष लोगों के रक्त की होली खेलने वालों को प्रत्येक ढंग से निशाने पर लिया जाना ज़रूरी है। विगत समय में किये गये अन्तर्राष्ट्रीय यत्नों ने ऐसी कार्रवाइयों पर काफी सीमा तक अंकुश लगाया है परन्तु इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना शेष है जिसके लिए सभी देशों को एकत्रित होकर भरसक यत्न करने पड़ेंगे।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द