तेज़ हो रही है पुरानी पेंशन बहाली की मांग


राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा आज प्रत्येक राज्य में पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए कई बड़े आंदोलन कर चुका है। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में देश के सभी  एनपीएस कार्मिक पुरानी पेंशन को लेकर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पुरानी पेंशन न्याय यात्रा निकाल चुके है आज जन-जन की आवाज़ पर पेंशन का मुद्दा है। पुरानी पेंशन बहाली मांग का स्वर्णिम समय चल रहा है आज देश में पुरानी पेंशन बहाली की आवाज़ हर तरफ  बुलंद हो रही है केंद्र सरकार को छोड़कर सभी राजनीतिक दल पुरानी पेंशन बहाली मांग को लेकर गंभीर दिखाई दे रहे हैं। देश के 75 लाख एनपीएस कार्मिक राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के माध्यम से हर रोज पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए चिंतित है हर दिन पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रहे है। पुरानी पेंशन बहाली मांग को लेकर केन्द्र सरकार को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए देश के एनपीएस कार्मिकों के हित में पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय लेना चाहिए जिस तरह से सबसे पहले राजस्थान सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेकर एनपीएस काला कानून व्यवस्था को खत्म करते हुए एक बड़ा संदेश देने का साहस किया है जिससे पूरे देश के एनपीएस कार्मिकों में एक उम्मीद जगी है जिसका परिणाम यह हुआ कि देखते-देखते छत्तीसगढ़ झारखंड पंजाब ने भी पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय लिया है जिसका देश के सभी एनपीएस कार्मिक स्वागत करते हैं।
आज कर्मचारी शिक्षक अधिकारी डाक्टर नर्स स्वास्थ्य कर्मी सफाई कर्मी बैंक कर्मी पुलिस कर्मी रेलवे कर्मी सभी अपने बुढ़ापे का सहारा पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए  परेशान हैं इससे कही न कहीं कार्मिकों की नैतिक ड्यूटी पर भी असर पड़ेगा क्योंकि एनपीएस कार्मिक अधिकतर समय आज अपनी पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए सोचता है समय रहते हुए मोदी जी को 2024 के चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय लेना चाहिए पुरानी पेंशन बहाली मांग का निर्णय होने से कर्मचारी 8 घंटे ड्यूटी की बजाय 10 घंटे काम करने के लिए तैयार है जिससे देश और सभी राज्य सरकारों में एक बड़ा संदेश जाएगा जब कोविड संकट था तो देश सेवा में अग्रणी भूमिका में सरकारी कर्मचारी ही थे जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश सेवा में दिन रात मेहनत की है एक तरफ  सांसद विधायक मात्र एक दिन के कार्यकाल में भी पुरानी पेंशन के हकदार हो जाते हैं 
दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारी अपने जीवन के 35 वर्ष से अधिक समय देश सेवा में समर्पित करता है उसको एनपीएस काला कानून व्यवस्था जो बाज़ार आधारित व्यवस्था है। जिसमें मात्र एक हजार रुपए पेंशन के रूप में मिल रहे हैं तो ये क्या सरकारी कर्मचारी के साथ मजाक नहीं है जब सरकारी कर्मचारी 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत होकर अपने घर जाता है तो उसको सहारे की जरूरत होती है न शरीर काम करता है और न पेंशन व्यवस्था कैसे घर परिवार चलेगा आजकल कई लेखक सरकार की चाटुकारिता में अंधे हो चुके हैं, हर रोज एनपीएस के लाभ और पुरानी पेंशन बहाल करने के दोष बताते जा रहे है आर्थिक बोझ बता कर भ्रम पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है जो देश हित में नहीं है।
सरकारी कर्मचारी सरकार के अभिन्न अंग होते हैं दिन रात संविधान की रक्षा करते हुए सरकार के साथ हर स्तर से सभी जनहित की योजनाओं को धरातल पर ले जाना का काम सरकारी कर्मचारी ही करते हैं इन सरकारी कर्मचारियों के बुढ़ापे के सहारे के लिए पूर्व से चली आ रही व्यवस्था पुरानी पेंशन दुबारा से लागू होनी चाहिए ये पुरानी पेंशन व्यवस्था का सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है। जब देश आर्थिक रूप से कमजोर था तब उस समय की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन दी है और आज मोदी जी कहते हैं कि हमारा देश 2022 का देश है आर्थिक रूप से मजबूत देश है तो फिर सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बोझ क्यों? जब एक सरकारी कर्मचारी को पुरानी पेंशन मिलती है तो उससे  कहीं न कहीं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पचास युवाओं को रोज़गार मिलता है। उससे उस गांव का विकास होता है उस नगर का विकास होता है ज़िले का विकास होता है राज्य का विकास होता है। सरकार की चाटुकारिता को छोड़ कर हमारे सभी अर्थशास्त्रियों को  गंभीरता पूर्वक सोचना होगा और पुरानी पेंशन के सही मायने में देश के लिए इसके कल्याणकारी लाभ को ज़मीनी हकीकत के रूप में केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को अवगत कराना होगा।