मानव के लिए बहुत उपयोगी है  लट्टू घोंघा


लट्टू घोंघा एक प्राचीन जलचर है। दिखने में यह लट्टू की तरह होता है, इसलिए इसे लट्टू घोंघा कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे टॉप शेल के नाम से जाना जाता है। इसका आवरण रंग-बिरंगा और सुंदर होता है। इसे पर्ल टॉप शेल, ग्रे टॉप शेल, पिंकरेड टॉप शेल, पेंडेड टॉप शेल आदि नाम दिये गये हैं। लट्टू घोंघे के 50 के अधिक वंश तथा अनेक जातियां और उपजातियां हैं। लट्टू घोंघा विश्व के अधिकांश उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय सागरों में बड़ी संख्या में मिलता है। यह गहरे पानी में रहना पसंद करता है और सागर तट से दूर 150 मीटर से 200 मीटर तक गहरे पानी में मिलता है। यह रेतीले और कीचड़ वालों तलों की अपेक्षा चट्टानी और मूंगे वाले तलों में रहना अधिक पसंद करता है। क्योंकि रेत, मिट्टी और कीचड़ आदि से इसके गलफड़े खराब हो जाते हैं। मरने के बाद लट्टू घोंघा सागर की लहरों के साथ बहता हुआ तटों पर आ जाता है। विश्व में बहुत से ऐसे सागर तट हैं जहां इसके खाली आवरणों के बड़े-बड़े ढेर देखने को मिलते हैं।  इसकी शारीरिक संरचना जटिल होती है। इसका आवरण मोटा और भारी होता है। आवरण सुंदर और रंग-बिरंगा होता है, जिनमें अलग-अलग जातियों के अनुसार अलग-अलग रंग होते हैं। इनके आवरणों पर विभिन्न प्रकार की धारियां, पट्टे अथवा डिजाइनें भी पायी जाती है। लट्टू घोंघे का शरीर आवरण के साथ जुड़ा होता है। इसे सरलता से आवरण से अलग नहीं किया जा सकता। इसके दो गुर्दे, एक गलफड़ा, मुंह तथा इसी तरह के अंग होते हैं। लट्टू घोंघा जब पूरी तरह अपनी आवरण के भीतर होता है तो यह अपने पैर को भीतर खींच लेता है और प्लेट के आवरण के द्वार को बंद कर लेता है।
यह एक शाकाहारी समुद्री जीव है। इसका प्रमुख भोजन विभिन्न प्रकार के समुद्री घोंघे हैं। यह चट्टानों पर जमने वाली अतिसूक्ष्म डाइएटम से लेकर छोटे-छोटे पौधे आराम से खा लेता है। इसकी जीभ फीते की तरह होती है और उस पर छोटे-छोटे दांतों की कतारे होती हैं, इन्हीं की सहायता से यह समुद्री चट्टानों पर उगने वाली विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां तथा समुद्री पौधे खुरचता है और खाता है। ल्टटू घोंघे में नर और मादा अलग-अलग होते हैं। इसके प्रजनन पर पानी के तापमान का सीधा असर होता है। ये गुर्दे से अंडे और शुक्राणु बाहर निकालते हैं। नर लट्टू घोंघा दाएं अथवा बाएं किसी भी गुर्दे से शुक्राणु बाहर निकाल सकता है, किंतु मादा केवल दाएं गुर्दे से ही अंडे निकालती है। कुछ जातियाें के लट्टू घोंघों में जब नर और मादा निकट होते हैं तभी प्रजनन करते हैं, किंतु अधिकांश जातियों में नर स्वतंत्र रूप से सागर में शुक्राणु छोड़ता है और मादा अनिषेचित अंडे देती है। अंडों का निषेचन स्वतंत्र रूप से खुले सागर में होता है।
लट्टू घोंघा मानव के लिए बहुत उपयोगी होता है। बड़े आकार के ल्टटू घोंघों से बटन बनाये जाते हैं। इसी उद्देश्य के लिए इसे पकड़ा जाता है। बटन बनाने के लिए दो वर्ष की आयु के अधिक के वयस्क लट्टू घोंघे पकड़े जाते हैं, जिनके आधार का व्यास 4 सेंटीमीटर से अधिक हो। विश्व का सबसे बड़ा लट्टू घोंघा है बटन शेल। इसके आवरण का आधार 12 सेंटीमीटर से लेकर 15 सेंटीमीटर तक के व्यास का होता है। यह ग्रेट वेरियर रीफ, उत्तरी अमरीका और प्रशांत क्षेत्र के सागर तटों पर बड़ी संख्या में मिलता है। बटन शेल के आवरण का ऊपरी भाग सफेद होता है और इसमें कत्थई रंग के लहरेदार पट्टे होते हैं। बटन बनाने के लिए इसे बहुत बड़ी संख्या में एकत्रित किया जाता है। विश्व युद्ध के पहले जापान बटन शेल का सबसे बड़ा खरीदार था, अब संयुक्त राज्य अमरीका इनका सबसे बड़ा खरीदार है।  -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर