अनापेक्षित दुखांत


देश की राजधानी में एक बार फिर स्कूल पढ़ने जा रही एक छात्रा पर दो व्यक्तियों द्वारा तेज़ाब फैंकने की दर्दनाक घटना घटित हुई है। लड़की के चेहरे पर फैंके गए तेज़ाब से उसकी आंखों पर भी प्रभाव पड़ा है। जब भी कहीं ऐसी घटना घटित होती है तो यह मन में पीड़ा पैदा करती है। इसका सीधा मतलब है कि एक मासूम लड़की को पूरी उम्र इस दर्दनाक  हादसे का दर्द सहना पड़ेगा, ज़िन्दगी भर चलने वाला यह एक ऐसा दर्द है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। ऐसे ही एक तेज़ाबी हमले की शिकार एक पीड़ित लड़की ने अपनी व्यथा इस तरह बयां की है ‘मैं कितनी ही सर्जरियों के बाद शारीरिक तौर पर कुछ ठीक तो हो गई हूं परन्तु मेरे पूरे चेहरे पर दिखाई देते बड़े निशान कभी ठीक न हो सके। मैं एक चेहरे को संवारने वाले ब्यूटी पार्लर पर काम करती थी। मेरे बदले रूप के कारण मुझे यह नौकरी छोड़नी पड़ी। मैं एक महिला के पास घरेलू काम करने के लिए गई, उसने मुझे देखते ही चिल्लाना शुरू कर दिया। इससे मैं पूरी तरह निरुत्साहित हो गई। अब चाहे मैं अपनी करियाना की दुकान चलाती हूं परन्तु मुझे अपने चेहरे को लेकर प्रतिदिन संताप झेलना पड़ता है। मुझ पर तेज़ाबी हमला होने से लेकर दुकान शुरू करने तक 7 वर्ष एक गहरे दर्द में ही गुम हो गए।’
देश भर में महिलाओं पर तेज़ाबी हमलों के समाचार मिलते रहते हैं, जो समूचे दर्द को और गहरा कर देते हैं। इन दिनों कई तरह के तेज़ाब मिल जाते हैं। चाहे इसकी बिक्री पर अब पूर्ण रूप में पाबंदी भी लगा दी गई है तथा इसे बेचने वालों को सख्त सज़ाएं भी दी जाने लगी है परन्तु इसके बावजूद आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 182 ऐसे भयानक हादसे घटित हुए थे। अकेले दिल्ली शहर में ही वर्ष 2017 से लेकर 2021 तक 44 घटनाएं घटित हो चुकी हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अभी भी किसी न किसी तरह तेज़ाब की खरीद हो रही है। चाहे 2013 में कानून में संशोधन करके इस संबंध में नियमों को बहुत सख्त बना दिया गया था परन्तु ऐसे हमले की शिकार का पुन: पांव पर खड़ा होना बेहद कठिन हो जाता है। बेरोज़गारी तथा आर्थिक तंगी जैसी समस्याएं उसकी आत्मा को घेर लेती हैं तथा ज्यादातर हमले से पीड़ित हुईं महिलाओं की आंखों की रोशनी तक चली जाती है। पीड़ित महिला की ज़िन्दगी पुन: पटरी पर लाने की सम्भावनाएं बेहद मद्धम हो जाती हैं। दिल्ली में घटित इस घटना की हर तरफ से कड़ी निंदा हो रही है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि आरोपी को सख्त से सख्त सज़ा दी जानी चाहिए। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह कहा है कि तेज़ाब हमला हत्या से भी अधिक भयावह है। दिल्ली में हुए हमले के संबंध में दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने इस घटना की निंदा करते हुए यह कहा कि तेज़ाब की बिक्री पर हाल में रोक लगाई जानी चाहिए।
उप-राज्यपाल ने कहा कि आश्चर्यजनक बात है कि पूर्ण पाबंदी होने के बावजूद तेज़ाब की बिक्री होती है। हम सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से पूरी तरह सहमत हैं कि ऐसा घटनाक्रम हत्या से भी कहीं अधिक भयानक होता है। अक्सर देखा जाता है कि इसके लिए आरोपी तो अपनी सज़ा पूरी करके बाहर आ जाते हैं परन्तु पीड़िता को इसका संताप पूरी उम्र झेलना पड़ता है। इस संबंध में और भी सख्त कानून बनाये जाने की ज़रूरत है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि जब तक पीड़ित के चेहरे या शरीर के अन्य भागों पर पड़े निशान पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते तब तक आरोपी को जेल की सलाखों के पीछी ही रहना पड़ेगा। शायद अस्तित्व में लाये जाने वाले ऐसे सख्त कानून किसी न किसी तरह ऐसे द़ाग और दर्द देने वालों को निरुत्साहित करने में सहायक हो सकें।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द