फसली विभिन्नता में फलों की काश्त का महत्व


फसली विभिन्नता में फलों की काश्त का महत्वपूर्ण रोल है। पंजाब के कुल क्षेत्र का 82-83 प्रतिशत हिस्सा कृषि अधीन है, जिसमें 93-95 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्र पर फलों की काश्त की जा रही है। फलों की काश्त के साथ रोज़गार का दायरा बढ़ता है और आमदन में भी वृद्धि होती है। सेहत के लिए भी फल ज़रूरी हैं। फलों से महत्वपूर्ण विटामिन, मिनरल और एंटी-आक्सीडैंट मिलते हैं। गांवों और शहरों में फलों के पौधे लगाने का शौक भी लोगों में बहुत बढ़ रहा है और राष्ट्रीय बागवानी मिशन में बागबानी विभाग द्वारा नए बाग लगाने के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। परन्तु व्यक्तियों का बहुमत यह शिकायत करता है कि वह पौधे लगाते हैं, लेकिन वह चलते नहीं। फलों के पौधे और बाग लगाने में तकनीकी जानकारी की बहुत ज़रूरत है। जो आम लोगों के पास नहीं है। बागबानी विभाग के पास साधन नहीं कि वह फलों की काश्त संबंधी ज्ञान-विज्ञान गांवों और शहरों में हर प्रकार के फलों के पौधे लगाने वाले इच्छुक व्यक्तियों को पहुंचा सकें। बागबानी विभाग में प्रसार सेवा की बहुत कमी है। कृषि और बागबानी विभाग अलग हो चुके है और दोनों अलग-अलग विभाग के तौर पर काम करते है।
फलदार पौधों के लिए दिसम्बर-जनवरी-फरवरी के महीनों का समय बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे फलों के पौधे जिनके पत्ते दिसम्बर-जनवरी के महीने तक गिर जाते हैं, उनको पतझड़ फलदार पौधे कहा जाता है। इनको खाद डालने के लिए दिसम्बर का महीना योग्य है। आडू, नाख, अनार, अंगूर और आलू बुखारा, फालसा आदि पतझड़ फलों के पौधों को देसी रूड़ी खाद और दूसरे सिफारिश शुदा सिंगल सुपरफास्फेट और मियूरेट ऑफ पोटाश (एम.ओ.पी.) खाद इसी महीने डाल देनी चाहिए। बागबानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान अनुसार नाख की हार्ड पीयर किस्में पंजाब नाख, पत्थर नाख और साफ्ट पीयर किस्में पंजाब गोल्ड, पंजाब नैक्टर, पंजाब ब्यूटी और बब्बू गोशा जनवरी-फरवरी में लगा देने चाहिएं। इसी तरह इन महीनों में ही आड़ू की शान-ए-पंजाब, अरली ग्रैंड, फलोरडा प्रिंस, प्रताप किस्में लगा देनी योग्य हैं। अंगूर की सुपीरियर सीडलैस, फलेम सीडलैस, ब्यूटी सीडलैंस और परलिट किस्में लगाई जा सकती है। आलू बुखारे की सतलुज पर्पल और काला अमृतसरी किस्मों का लगाना ठीक रहेगा। अनार की किस्में भगवां, गनेश और कंधारी लगाई जा सकती है। फालसे की देसी/लोकल और अंजीर की ब्राऊन टरकी किस्में लगाई जा सकती है। 
पी.ए.यू. और आई.सी.ए.आर.-भारतीय कृषि खोज संस्थान से सम्मानित धर्मगढ़ (अमलोह) का अग्रणी किसान बलबीर सिंह जड़ीया जोकि बागबानी में भी मुहारत रखता है, कहता है कि पंजाब में अनार की सफल काश्त नि:संदेह की जा सकती है। अनार के पौधे को आजकल 5 से 6 किलो अच्छी गली सड़ी खाद डालने की जरूरत है। वह अपनी बागीची में पैदा किए अनार अपने घर के सदस्यों के प्रयोग के लिए सफलता से प्रयोग कर रहा है। डा. मान कहते हैं कि पतझड़ फलों के पौधे अपने पत्ते इस मौसम में गिरा देते हैं और स्थिर अवस्था में चले जाते हैं। वह ज्यादा ठंड और कोहरे को बर्दाश्त कर लेते हैं। परन्तु सदाबहार पौधों को कोहरे से बचाना ज़रूरी है। उनका ठंड में विकास रूक जाता है। संतरा, मालटा, ग्रेफ्रूट, बारामासी निम्बू और कागजी निम्बू आदि भी काफी हद तक कोहरे को सहार लेते हैं। आम में लंगड़ा, मालदा, सफेदा आदि किस्में कोहरे का मुकाबला करने की कुछ शक्ति रखती हैं। बाकि सदाबहार पौधे जिनमें पपीता, आम, लीची आदि शामिल हैं, वह ज्यादा ठंड और कोहरे को सहारने की शक्ति नहीं रखते। उत्पादकों को सलाह दी जाती है कि वह इन पौधों को सर्दी में पराली के साथ ढ़क दें। जिन्होंने घरों में बगीची लगाई हुई है, वह शाम के समय पारदर्शी पोलिथीन के साथ सदाबहार पौधों को ढक दें।
पतझड़ पौधों संबंधी नाख के फलदार पौधों को 5 से 6 साल बाद सपर (टुंड) लगते हैं। फल तोड़ने के समय सपर टुटने नहीं चाहिएं। अनार के पौधे को झाड़ी नहीं बनने देना चाहिए। सिंगल तने पर ही रखना चाहिए। अनार का फल जनवरी-फरवरी महीने के बजाए अक्तूबर-नवम्बर में लेने के लिए फुलों से ही फल लेने के लिए पहल देनी चाहिए। फालसे के पौधे को सिंगल तना पर रखना चाहिए। इसका फल मई-जून तक पक सकता है। अंजीर का फल भी मई-जून के महीने पक जाता है। आलू बुखारे में सतलुज परपल किस्म का फल बड़े आकार का होता है। लेकिन इस अकेली किस्म को फल नहीं लगता। इसके लिए 85:15 अनुपात में सतलुज परपल और काला अमृतसरी किस्म का फल आकार में छोटा होता है।
फलदार पौधे लगाने से पहले 2.5 फुट गुणा 2.5 फुट या 3 फुट गुणा 3 फुट का खड्डा करने की ज़रूरत है। सप्ताह के बाद गोबर की खाद आधी मिट्टी के साथ मिलाकर खड्डे में डाल देनी चाहिए फिर पानी लगा देना चाहिए। समय आने पर पौधा लगा देना चाहिए। ब़ाग लगाने वालों को 10 प्रतिशत पौधे ज्यादा पहले ही खरीद लेने चाहिएं ताकि जहां पौधे मर जाएं वहां तुरंत नया पौधा लगाया जा सके। पौधे पी.ए.यू. या बागबानी विभाग या नैशनल बागबानी बोर्ड से प्रमाणित निजी या अर्ध-सरकारी नर्सरियों से खरीदने चाहिएं। घरों में पौधे लगाने के लिए पौधे फेरी वालों से या अनधिकृत नर्सरियों से नहीं लेने चाहिए। ब़ाग लगाने वालों को खेत के इर्दगिर्द जामुन, देसी आम, शहतूत, बोगनविलिया, करौंदा, जट्टी खट्टी आदि हवा-रोक वाड़ों के तौर पर लगा देने चाहिएं। पियोंद वाले स्थानों पर फुटिया फुटारा लगातार तोड़ते रहना चाहिए। जनवरी-फरवरी में ब़ाग लगाने के लिए बागबानी पौधों की अभी से बुकिंग करवा लेनी चाहिए। पौधे को सियोंक से बचाने के लिए गड्डे की मिट्टी में क्लोरोपाइरीफास मिला देना चाहिए।