गम्भीर आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान

 

पाकिस्तान का आर्थिक संकट किसी से छिपा नहीं है और ऐसा रातोंरात नहीं हुआ। पिछले एक दशक से पाकिस्तान लगातार आर्थिक संकट में घिरता जा रहा है। इसके बावजूद भारत से अपनी सनातन दुश्मनी जारी रखते हुए वह न केवल हर साल अपना रक्षा बजट बढ़ाता रहा है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के गलियारे में भारत की छवि खराब करने के लिए हर साल दुष्प्रचार में करीब एक अरब डॉलर की धन राशि खर्च करता है, जिस कारण लगातार बढ़ रहा उसका आर्थिक संकट अब नासूर बन गया है। गत 3 जनवरी, 2023 को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कई ऐसे उपायों का जिक्र किया, जिससे  60 अरब पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
लेकिन अर्थशास्त्र का एक नियम है कि बचत से आप समस्या को थोड़े दिन के लिए आगे तो बढ़ा सकते हैं, लेकिन टाल नहीं सकते। पाकिस्तान का आर्थिक संकट बचत से खत्म नहीं होने वाला बल्कि युद्धस्तर पर उत्पादन बढ़ाना होगा, देश में लगातार कम होती उपभोग दर को भी न सिर्फ बरकरार रखना होगा बल्कि लोगों की क्रयशक्ति को भी बढ़ाना होगा, ताकि उद्योगों को गति मिले। लोगों को नौकरियां मिलें और रोजमर्रा के उपभोग में वृद्धि हो। बहरहाल पाकिस्तान ने जो तात्कालिक तौर पर बचत करके अर्थव्यवस्था को मजबूत करने या ढहने से बचाने के उपाय करने का ऐलान किया है, उसके मुताबिक अब पाकिस्तान में रात 8:30 बजे हर हाल में बाजार बंद हो जाया करेंगे और मैरिज हाल रात में 10 बजे तक बंद हो जाएंगे। 
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री कोई आर्थिक विशेषज्ञ तो हैं नहीं, जिससे वह इस बात को नहीं समझ पा रहे कि अगर बाजार में खरीदारी हो रही है तो वह अर्थव्यवस्था को कमज़ोर नहीं करती बल्कि अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को बनाये रखती है तथा मांग को भी बरकरार रखती है, साथ ही बढ़ावा भी देती है। इससे आर्थिक संकट पैदा नहीं होता बल्कि आर्थिक संकट टलता है। बहरहाल पाकिस्तान ने विदेशी मुद्रा भंडार और नकदी के संकट से निजात पाने के लिए जिन उपायों की घोषणा की है, उसके तहत बाज़ार, रेस्टोरेंट, मैरिज हाल, शाम को जल्द बंद करने का फैसला किया गया है। सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिये गये हैं और ऊर्जा बचाने के लिए तथा आयातित तेल पर निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण योजना को मंजूरी दी गई है। 
पाकिस्तान सरकार की कैबिनेट ने आर्थिक संकट से बचने के लिए जिन उपायों की घोषणा की है, उसमें एक यह भी है कि फरवरी से पारम्परिक बल्बों का उत्पादन बंद कर दिया जायेगा। ज्यादा बिजली के खपत करने वाले पंखों का उत्पादन भी बंद होगा और साल के अंत तक बाज़ार में इलेक्ट्रिक मोटर साइकिलें पेश की जाएंगी। पाकिस्तान सरकार का अनुमान है कि इससे 22 अरब रुपये बच सकेंगे। पाकिस्तान की आर्थिक संकट से उभरने की इन योजनाओं को अर्थशास्त्री बहुत कारगर नहीं मान रहे, बल्कि विशेषज्ञों की तो यहां तक आशंका बढ़ गई है कि कहीं पाकिस्तान के हालात श्रीलंका जैसे न हो जाएं। पाकिस्तान का सबसे बड़ा आर्थिक संकट विदेशी मुद्रा है, चूंकि पाकिस्तान ज्यादातर चीजें आयात करता है और निर्यात करने के लिए उसके पास महज कृषि उत्पाद और कुछ खनिज हैं। निर्यात करने के लिए उसके पास तकनीकी निर्मित चीजों तथा आधुनिक सेवाओं का अभाव है। हां, कुछ कपड़े निर्यात करने में भी उसने कामयाबी हासिल की है, लेकिन इसमें बांग्लादेश, थाईलैंड तथा फिलिपींस से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है, जिससे पाकिस्तान बाजार में टिक नहीं पा रहा।
साल 2022 में पाकिस्तान के इस आर्थिक संकट में बारिश और बाढ़ कोढ़ में खाज की तरह बन गई और पाकिस्तान की मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ते हुए इस साल अगस्त के महीने में ही 28 फीसदी के पार पहुंच गई थी, जिसके कारण खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे थे। पाकिस्तान किस कदर हर गुजरते दिन के साथ आर्थिक संकट की दलदल में धंसता जा रहा है, इसे आईएमएफ की चेतावनी से भी समझा जा सकता है। आईएमएफ  ने इस साल अगस्त में पाकिस्तान को चेताया था कि अगर जल्द से जल्द खाने-पीने की चीज़ों में हो रही बढ़ोत्तरी पर काबू न पाया गया तो 1975 जैसे हालात हो सकते हैं, जब पाकिस्तान में महंगाई 300 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गई थी और गम्भीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया था। लेकिन उस समय सऊदी अरब तथा कुछ दूसरे इस्लामिक देशों ने पाकिस्तान की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद की थी। कई अरब और खाड़ी के देशों ने बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नौजवानों को अपने यहां रोजगार दिया था। साथ ही पाकिस्तान को अरब देशों से भाईचारे वाली मदद के नाम पर काफी मात्रा में मुफ्त पेट्रोल और डीज़ल भी मिला था, लेकिन अब वे स्थितियां नहीं हैं।
पाकिस्तान स्थित कई आतंकी संगठनों से इनके सीधे रिश्ते ने दुनिया के ज्यादातर देशों को पाकिस्तान की मदद करने के नाम पर मुंह फेर लेने को मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान के आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण है उसकी दुनिया में एक आतंकी और आतंक निर्यात करने वाले देश की छवि का होना भी है। 
पाकिस्तान को जल्द से जल्द इस बात पर गौर करना चाहिए कि आखिर उसकी छवि इतनी खराब क्यों हैं? उसे अपनी छवि को दुरुस्त करने हेतु ज़ोर लगाना चाहिए। अगर वह लगातार भारत से उलझता रहा और चीन से गलबहियां डालता रहा तो इसका कोई फायदा नहीं होने वाला।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर