राहुल की यात्रा से उत्साहित हुई हरियाणा कांग्रेस

 

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का हरियाणा में दूसरा चरण भी पूरा हो गया है। राहुल गांधी अपने दूसरे चरण की हरियाणा की यात्रा पूरी करके पंजाब में दाखिल हो गए हैं। हरियाणा में दो चरणों में हुई यात्रा में राहुल गांधी 255 किलोमीटर चले और उन्होंने हरियाणा के 7 जिले कवर किए। पहले चरण में राहुल गांधी ने नूंह, फरीदाबाद व गुरुग्राम जिले को कवर किया था। दूसरे चरण में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिलों को कवर किया। इस दौरान राहुल गांधी एक सप्ताह हरियाणा में रहे। अपनी हरियाणा की यात्रा दौरान राहुल गांधी फिल्म अभिनेता व पूर्व कांग्रेस सांसद राज बब्बर के अलावा हरियाणा के खिलाड़ियों, पिछड़े वर्ग के लोगों और विधायकों के साथ-साथ पार्टी की महिला कार्यकर्त्ताओं से भी मिले। इस दौरान उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत सहित विभिन्न किसान प्रतिनिधियों से भी बातचीत की और धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में पूजा अर्चना करने के अलावा वहां महाआरती में भी हिस्सा लिया। राहुल गांधी ने हरियाणा में एक कबड्डी मैच भी देखा और पानीपत में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर की एक टीम से भी मिले। अपनी हरियाणा यात्रा के दौरान पानीपत रैली में उमड़ी भीड़ से राहुल गांधी काफी खुश नज़र आए और रैली में राहुल गांधी ने भाजपा के साथ-साथ आरएसएस पर भी तीखे प्रहार किए। 
कांग्रेस नेताओं को राहत
राहुल की हरियाणा यात्रा सुख-शांति से संपन्न होने पर जहां हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने राहत की सांस ली है, वहीं प्रदेश सरकार, पुलिस और प्रशासन को भी काफी राहत महसूस हो रही है। हरियाणा में पुलिस और प्रशासन राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर बेहद चौकस था और हर संभव प्रयास किए जा रहे थे कि हरियाणा में राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर कहीं कोई चूक न हो और यात्रा बिना किसी विवाद के हरियाणा से आगे निकल जाए। दूसरी तरफ राहुल गांधी की यात्रा को लेकर कांग्रेस पार्टी के सभी खेमें बेहद सक्रिय थे। हरियाणा में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सभी तैयारियां नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान और सांसद दीपेंद्र हुड्डा संभाल रहे थे और कांग्रेस के अन्य सभी नेता व विधायक भी यात्रा को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे थे। राहुल गांधी की हरियाणा की सफल यात्रा ने जहां प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं में एक नया उत्साह पैदा कर दिया है, वहीं गुटबाजी में बंटी हुई कांग्रेस पार्टी के नेता भी इस यात्रा के दौरान एक साथ चलते हुए नज़र आए। राहुल गांधी की यात्रा दौरान भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के अलावा कुमारी शैलजा, सांसद रणदीप सुरजेवाला, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान व अन्य नेता भी काफी सक्रियता से भाग लेते नज़र आए। राहुल गांधी की हरियाणा यात्रा का कांग्रेस को कितना राजनीतिक लाभ मिलेगा यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि दो चरणों में हरियाणा के 7 ज़िलों में सम्पन्न हुई इस यात्रा ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं में एक नया जोश और उत्साह जरूर पैदा कर दिया है। 
विवादों में घिरे मंत्री संदीप सिंह
हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह इन दिनों काफी विवादों में हैं। उनके खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस द्वारा एक महिला कोच की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के बाद उनकी मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। चंडीगढ़ पुलिस संदीप सिंह के खिलाफ शिकायत करने वाली महिला कोच से लंबी पूछताछ करने के अलावा मंत्री संदीप सिंह से भी 2 बार गहन पूछताछ कर चुकी है। संदीप सिंह राजनीति में आने से पहले हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी हुआ करते थे और उनके संघर्षमयी जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है। वे 2019 में भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले की पिहोवा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया। पहले ही चुनाव में संदीप सिंह पिहोवा से विधायक चुने गए। भाजपा-जजपा की ओर से चुनाव जीतने वाले वे एकलौते सिख थे। उन्हें प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में खेल एवं युवा मामलों के स्वतंत्र प्रभार वाला राज्यमंत्री बना दिया गया। इसके साथ ही उनके पास प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग का भी जिम्मा था। राज्यमंत्री रहते वे कई बार विवादों में भी आए, लेकिन विवाद ज्यादा गहरे न होने के कारण उन विवादों से उन्हें कोई आंच नहीं आई। इस बार महिला कोच ने न सिर्फ चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी बल्कि एक पत्रकार सम्मेलन में मंत्री संदीप सिंह पर छेड़छाड़ जैसे कई गंभीर आरोप भी लगा दिए। मामला बढ़ता देख चंडीगढ़ पुलिस ने मंत्री के खिलाफ विभिन्न अपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही संदीप सिंह की मुश्किलें बढ़ गई। 
छोड़ना पड़ा खेल विभाग
महिला कोच क्योंकि अपने आरोपों पर अड़ गई तो पुलिस को महिला कोच के मजिस्टे्रट के समक्ष ब्यान दर्ज करवाने के अलावा मंत्री से न सिर्फ पूछताछ करने पड़ी बल्कि महिला कोच और मंत्री के फोन भी कब्जे में लेकर प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजने पड़े। संदीप सिंह को विश्व स्तर का नामी खिलाड़ी होने के नाते हरियाणा में खेलमंत्री बनाया गया था। लेकिन महिला कोच के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए संदीप सिंह को अपना खेल विभाग छोड़ना पड़ा और अब खेल विभाग को मुख्यमंत्री ने अपने पास रख लिया है। संदीप सिंह अभी तक राज्यमंत्री पद पर बने हुए हैं और इस समय उनके पास केवल मात्र प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग का कार्यभार है। संदीप सिंह को जब भाजपा सरकार में मंत्री बनाया गया था, तो उन्हें यह सोचकर मंत्री बनाया गया था कि वह भाजपा-जजपा गठबंधन के इकलौते सिख विधायक होने के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय, पिछड़ा वर्ग और खिलाड़ियों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें मंत्री बनाने से समाज के एक साथ कईं वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल जाएगा। 
दुविधा में मुख्यमंत्री
अब संदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि उन्हें अगर मंत्रिमंडल से हटाया जाता है तो भी गलत संदेश जाएगा और अगर उन्हें मंत्रिमंडल में बनाए रखा जाता है, तो भी न सिर्फ विपक्ष को सरकार के खिलाफ हमले बोलने का मौका मिल रहा है बल्कि सरकार भी बचाव की मुद्रा में आ गई है। अब सत्ता पक्ष में इस बात को लेकर चिन्ता पाई जा रही है कि अगर आने वाले दिनों में मंत्री संदीप सिंह को चंडीगढ़ पुलिस ने उनके खिलाफ दर्ज अपराधिक मामले में गिरफ्तार कर लिया तो सरकार की छवि और ज्यादा दागदार हो जाएगी। संदीप सिंह के मामले में मुख्यमंत्री फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और वे इस मामले में सरकार की छवि को भी बरकरार रखना चाहते हैं और विपक्ष को भी इस मामले में ज्यादा हमलावर नहीं होने देना चाहते। अब संदीप सिंह का भविष्य पूरी तरह से चंडीगढ़ पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर निर्भर करता है। चंडीगढ़ पुलिस भी इस हाई प्रोफाइल मामले में कोई बड़ा कदम उठाने से पहले मामले के सभी कानूनी व तकनीकी पक्षों को मजबूत करने में लगी हुई है ताकि पुलिस द्वारा उठाए जाने वाले किसी भी कदम पर आने वाले समय में किसी को कोई उंगली उठाने का मौका न मिले। इस मामले में अगले कुछ दिनों में स्थिति पूरी तरह से साफ होने की उम्मीद है, लेकिन तब तक मंत्री संदीप सिंह पर अनिश्चितता की तलवार जरूर लटकी हुई है। कुल मिलाकर संदीप सिंह को लेकर प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी दुविधा में हैं।
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