कांग्रेस ने दिया धर्म-निरपेक्ष पार्टियों को यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण

 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा समान विचारधारा वाली 21 धर्म निरपेक्ष पार्टियों के नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। सूची में डी.एम.के., जे.डी. (यू.), जे.डी. (एस.), टी.डी.पी., आर.जे.डी, जे.एम.एम., समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, शिव सेना, एन.सी.पी., आई.यू.एम.एल. नैशनल कांफ्रैंस, पी.डी.पी., एम.डी.एम.के., एच.ए.एम., आर.एल.एस.पी., आर.एस.पी., के.एस.एम., वी.सी.के., तृणमूल कांग्रेस, सी.पी.आई., सी.पी.आई. (एम.) जैसे नाम शामिल हैं। सभी धर्म निरपेक्ष पार्टियों को 30 जनवरी को श्रीनगर में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन समारोह में शामिल होने के कहा गया है, इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि उनकी उपस्थिति यात्रा के उद्देश्य तथा सच्चाई, दया तथा अहिंसा के संदेश को मज़बूत करेगी। दूसरी तरफ ए.आई.यू.डी.एफ., ए.आई.एम.आई.एम., बी.जे.डी., वाई.एस.आर.सी.पी., ए.आई.ए.डी.एम.के., टी.आर.एस. तथा ‘आप’ को निमंत्रण भेजा गया। पार्टियों के अध्यक्षों को लिखे पत्रों में खड़गे ने कहा कि इस समारोह में हम ऩफरत तथा हिंसा के विरुद्ध लड़ने, सच्चाई, दया तथा अहिंसा का सन्देश देने तथा सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता, भाईचारक तथा न्याय के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए स्वयं को परिपक्व बनाएंगे। हमारे देश में संकट के इस समय में जहां जनता के मुद्दों से ध्यान योजनाबद्ध ढंग से हटाया जा रहा है, यह यात्रा एक शक्तिशाली स्वर के रूप में उभरी है। मुझे उम्मीद है कि आप इसमें शामिल होंगे तथा इसके सन्देश को और मज़बूत करेंगे। 7 सितम्बर, 2022 को तमिलनाडू के कन्याकुमारी से शुरू हुई ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का समापन 30 जनवरी को श्रीनगर में राहुल गांधी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होगा। यह यात्रा अब तक तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा जैसे प्रदेशों से गुज़रती हुई 3300 कि.मी. से अधिक का स़फर तय कर चुकी है।
नितीश कैबिनेट में फेरबदल की सम्भावना
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चल रहे खरमास की अवधि समाप्त होने के उपरान्त 14 जनवरी के बाद बिहार मंत्रिमंडल में फेरबदल की सम्भावना है। इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने तेजस्वी यादव के अलावा किसी अन्य को उप-मुख्यमंत्री नियुक्त करने की सम्भावना को स्पष्ट रूप से रद्द कर दिया है, जिसने उन अनुमानों को खत्म कर दिया, जिसके अनुसार उनके द्वारा जे.डी. (यू.) के एक वरिष्ठ नेता को यह पद देने की बात पर विचार किया जा रहा था। हालांकि मंत्रिमंडल में सहयोगी दल आर.जे.डी. तथा कांग्रेस में कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। आर.जे.डी. कोटे से दो मंत्रियों सुधाकर सिंह तथा कार्तिक कुमार ने पिछले वर्ष अगस्त में महागठबंधन की सरकार बनने के कुछ महीने के भीतर ही त्याग-पत्र दे दिया था। इसके अलावा कांग्रेस जिसे दो सीटें दी गई थीं, विधानसभा में अपनी संख्या के हिसाब से प्रतिनिधित्व की मांग कर रही है।
अखिलेश की नज़र यादव वोट बैंक पर
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के हर राजनीतिक कदम को लेकर लगातार रहस्य बढ़ता जा रहा है। पार्टी की अगली चाल का अनुमान लगाना कठिन है, क्योंकि अखिलेश द्वारा पत्ते छिपा कर रखे हुए हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट उप-चुनाव में अपनी पत्नी डिम्पल यादव की जीत तथा चाचा शिवपाल यादव को बड़ी पार्टी में लाने के बाद अब वह घर से नये ढंग से राजनीतिक ज़मीन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। वह पहली बार इटावा, मैनपुरी, ऐटा, फिरोज़ाबाद, औरइया, फारुखाबाद, कन्नौज, कानपुर (ग्रामीण) तथा बदायूं जैसी यादव भूमि सीटों पर प्रत्येक गांव के युवाओं के साथ सीधे जुड़ कर भविष्य की राजनीति बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में लगभग 8 प्रतिशत मतदाता यादव समुदाय से हैं, जो ओ.बी.सी. समुदाय की कुल जनसंख्या का बीस प्रतिशत है। मंडल आयोग के बाद यादव समाज में ज़बरदस्त लामबंदी हुई तथा आज यह समाजवादी पार्टी का कोर वोट बैंक बन गया। यह यादव वोट ही हैं, जिन्होंने स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को तीन बार तथा बेटे अखिलेश यादव को एक बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में स्थापित किया, जो भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश के शक्तिशाली मुख्यमंत्री थे। जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी, यादव समुदाय ने न सिर्फ राजनीतिक तौर पर, अपितु आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप पर भी बहुत प्रभाव प्राप्त किया। इस कारण विरोधी पक्ष सत्ता में रहते समाजवादी पार्टी पर यादव समर्थक होने का आरोप लगा रहा था।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने आगामी वर्ष होने वाले प्रदेश चुनावों से पहले पार्टी के सभी विभाजित गुटों को एकजुट करने हेतु अपनी देश-व्यापी यात्रा (भारत जोड़ो यात्रा) के हरियाणा पड़ाव की समाप्ति की। इस यात्रा के निर्धारित रूट के संबंध में रणनीतिक योजनाबंदी बनाई गई, जैसे कि इसमें नूह तथा मेवात के मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्रों के साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (करनाल) तथा गृह मंत्री अनिल विज (अम्बाला) के क्षेत्रों को शामिल करना, किसानों के साथ एकता का संदेश देने के लिए अनाज मंडी या गांवों में राहुल गांधी के लिए रात के ठहरने का प्रबन्ध करना, भीड़ इकट्ठा करना, प्रदेश सरकार तथा ज़िला प्रशासन से स्वीकृति  लेना शामिल था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्द्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष उदय भान सहित कई वरिष्ठ नेता भी गांधी के साथ इस यात्रा में शामिल हुए। (आई.पी.ए.)