तुर्की व सीरिया में विनाशकारी ज़लज़ले का कहर

तुर्की में भ् फरवरी, ख्ख्फ् की शाम को बर्फीला तूफान रुकने के बाद मूसलाधार बारिश शुरू हो गई थी। तापमान फ्रीज़िग पॉइंट के आसपास था या शायद ज़ीरो डिग्री सेंटीग्रेड से भी नीचे पहुंच गया था। ठंड इतनी अधिक थी कि मेलिसा सलमान नामक महिला में रजाई से निकलकर थर्मामीटर में तापमान देखने की भी हिमत नहीं थी। उसे नहीं मालूम कि कब उसे नींद आ गई, लेकिन सुबह पौ फटने से पहले उसे ज़बरदस्त झटके लगे, वह उठकर घर से बाहर भागी, बारिश, बर्फ  व गिरते मलबे में। बहुत लोग ध्वस्त हुई इमारतों में ही फंस गये थे और मदद के लिए चीख पुकार रहे थे। हर तरफ  अफरा-तफरी का माहौल था। ज़मीन झूले की तरह हिल रही थी, इमारतें एक के बाद एक गिर रही थीं, वातावरण में केवल चीखें, रोने-चिल्लाने व प्रार्थनाओं की आवाज़ें ही गूंज रही थीं। मौत ने आने से पहले दस्तक नहीं दी थी।
मेलिसा सलमान तुर्की के कहरामनमार्स शहर में रहती हैं। यह शहर भकप ज़ोन में स्थित है, इसलिए मेलिसा को भूकप के झटकों को बर्दाश्त करने की आदत पड़ी हुई है, लेकिन उसने बताया, 'सोमवार म् फरवरी, ख्ख्फ् जैसे झटके मैंने जीवन में पहली बार अनुभव किये थे, मुझे लगा जैसे प्रलय आ गई है'। एक अन्य शहर दियारबाकिर में एबुलेंस में बैठते हुए एक महिला ने अपने टूटे हुए हाथ से मलबा बन चुकी अपनी सात मंजिला इमारत की ओर इशारा करते हुए कहा, 'हम पालने में बैठे बच्चे की तरह हिल गये थे। हमारे घर में उस समय नौ सदस्य थे। मेरे दोनों बेटे अब भी मलबे में दबे हुए हैं, मैं उनकी प्रतीक्षा कर रही हूं।' इस महिला के हाथ के अतिरित चेहरे पर भी चोटें आई थीं।
गौरतलब है कि उस सुबह तुर्की व पड़ोसी देश सीरिया में स्त्र.त्त् तीव्रता का विनाशकारी भूकप आया, जिससे  हज़ारों की संया में लोगों की मृत्यु हो चुकी है, हज़ारों गभीर रूप से घायल हो गये हैं और सैंकड़ों इमारतें मलबे का ढेर बन गई हैं। अभी भी हज़ारों लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं। इसलिए अनुमान यह है कि मृतकों की संया बहुत अधिक हो सकती है। राहत कार्य युद्ध गति से चल रहा है। अदाना शहर में राहत कर्मियों ने जब एक व्यति को मलबे से बाहर निकालने का प्रयास किया तो वह बोला, 'अब मुझमें हिलने की भी ताकत नहीं बची है।'
स्त्र.त्त् तीव्रता का भूकप तो उनके लिए कयामत साबित हुआ। इसलिए जहां कभी बहुमंज़िला इमारतें खड़ी थीं वहां कंक्रीट, स्टील रॉड्स व कपड़ों का ढेर ही शेष रह गए है। तुर्की में आपातस्थिति का चौथा स्तर घोषित किया गया है। इसका अर्थ है कि बिना अंतर्राष्ट्रीय मदद के तुर्की इस प्राकृतिक आपदा का सामना करने में सक्षम नहीं है। तुरंत ही विश्व सहायता व राहतकर्मी भेजने के लिए एकजुट हो गया और इसमें पहल भारत ने की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुःख व्यत करते हुए सभी संबंधित सरकारी विभागों को निर्देश दिया कि वह भूकप प्रभावित देशों को हर संभव मदद पहुंचाएं। यूरोपीय संघ ने तलाश व राहत टीमें तुर्की भेजी हैं। जर्मनी ने शेल्टर कैंप लगाये हैं व वाटर ट्रीटमेंट यूनिट्स भेजे हैं। तुर्की के ऐतिहासिक प्रतिद्वंदी यूनान ने सी-क्फ् ट्रांसपोर्ट एयरक्राट मदद के लिए भेजा है और अपनी विशेष आपदा प्रबंधन इकाई के ख्क् सदस्य भी। ब्रिटेन ने तलाश व राहत विशेषज्ञों को भेजा है। रूस ने राहतकर्मियों के साथ दो हवाई जहाज़ भेजे हैं। कतर व जापान ने भी राहतकर्मियों के साथ राहत सामग्री, टेंट्स व विंटर सप्लाइज भेजी हैं। दरअसल यूरोप, एशिया, पश्चिम एशिया, उारी अमरीका आदि के सभी देश संकट की इस घड़ी में तुर्की की मदद कर रहे हैं।
इस भकप से अधिक तबाही इस कारण से भी हुई कि स्त्र.त्त् तीव्रता के भूकप के बाद जो झटका लगा वह भी स्त्र.स्त्र तीव्रता का था। ध्यान रहे कि यह क्षेत्र मेजर फाल्ट लाइंस पर स्थित है, इसलिए यहां भूकप असर आते रहते हैं। म् फरवरी का भूकप क्-फ्- के भूकप जितना ही शतिशाली था, जोकि ऑन रिकॉर्ड तुर्की का सबसे विनाशकारी भूकप माना जाता है। इस भूकप की तीव्रता भी दिसबर क्-फ्- के भूकप जितनी ही थी, जिसमें उारपूर्व तुर्की में लगभग फ्, लोग मारे गये थे।
यूएस जियोलाजिकल सर्वे ने म् फरवरी के भूकप को क्त्त् किमी की गहराई के साथ स्त्र.त्त् तीव्रता वाला मापा। इसका केन्द्र दक्षिण तुर्कीर् में सीरिया की उारी सीमा के निकट था। इसके नौ घंटे बाद क् किमी के फासले पर स्त्र.भ् तीव्रता का भूकप आया। तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी के ओरहान तातार ने इसे नया भूकप बताया, लेकिन यूएस जियोलाजिकल सर्वे के भूकप वैज्ञानिक यारीब अल्तावील ने इसे आटर शॉक बताया योंकि उनके अनुसार यह उसी फाल्ट लाइन पर आया था, जिस पर पहला भूकप आया था। पहले भूकप के बाद अगले क्क् घंटों के दौरान क्फ् महत्वपूर्ण आटर शॉस आये जोकि कम से कम भ् तीव्रता के थे। चूंकि मुय भूकप का दायरा अधिक था, इसलिए आने वाले कुछ दिनों, सप्ताह व महीनों तक आटर शॉस जारी रहेंगे। यह भूकप स्ट्राइक-स्लिप किस्म का था, जिसमें दो टेकटोनिक प्लेट्स एक दूसरे के होरिजोंटली पास करती हैं बजाय ऊपर व नीचे जानेे के। इस मामले में एक लाक पश्चिम की ओर गया और दूसरा पूर्व की ओर। इसलिए यह भूकप इतना विनाशकारी था।
-इमेज रिलेशन सेंटर