मंदिरों पर हमले : या पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है बांग्लादेश ?

बांग्लादेश में एक बार फिर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने दर्जनों हिंदू मंदिरों पर हमला करके उनमें स्थापित मूर्तियां तोड़ दीं। स्थानीय पुलिस के मुताबिक कुछ अज्ञात लोगों ने ब् और भ् फरवरी, ख्ख्फ् की दरमियानी रात को बांग्लादेश के उारी जिले ठाकुरगांव में बलियाडांगी उपजिला में स्थित क्ब् हिंदू मंदिरों की ख्स्त्र मूर्तियों को तोड़ डाला। गौरतलब है कि पांच महीने पहले स्त्र अतूबर, ख्ख्ख् को कट्टरपंथियों ने इसी तरह काली मंदिर में घुसकर मुय मूर्ति तोड़ दी थी। यह घटना झेनैदाह जिले के दौतिया गांव में हुई थी। इस बार भी इसी तरह कट्टरपंथी मोटरसाइकिलों में आये, मूर्तियों को खंडित किया और अपने साथ ले जाकर इन खंडित मूर्तियों को कुछ किलोमीटर दूर सड़क किनारे फेंक दिया। दो साल पहले दुर्गा पूजा के दौरान भी कुछ अज्ञात लोगों ने फ् दर्जन से अधिक पूजा पंडालों पर इसी तरह बड़ा हमला किया था। हिंदुओं का कोई ऐसा पर्व-त्यौहार नहीं होता जब बांग्लादेश के किसी न किसी हिस्से में कुछ तोड़-फोड़ न हो। हिंदुओं को बांग्लादेश सरकार द्वारा सुरक्षा के दिए जाने वाले तमाम आश्वासनों के बावजूद कट्टरपंथी उन्हें डराने-धमकाने से बाज नहीं आ रहे। ये हिंदुओं के हर पर्व में बाधा पहुंचाने के अपने कुत्सित प्रयासों से पीछे नहीं हटते। कट्टरपंथियों की ये हरकतें दर्शा रही हैं कि वहां उन्मादी ताकतों के हौसले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। शेख हसीना की सरकार अपने तमाम वायदों के बावजूद हिंदुओं को सुरक्षा देने में नाकाम सिद्ध हो रही है। जबकि बांग्लदेश के अस्तित्व में आने के बाद से भारत और बांग्लादेश के मित्रतापूर्ण रिश्ते रहे हैं। बांग्लादेश की विशेषकर अवामी लीग की सरकार अपने कार्यकाल के दौरान कट्टरपंथियों से सती से निपटती भी रही है, उसके कारण भारत को हमेशा यह लगता रहा है कि बांग्लादेश कभी पाकिस्तान के रास्ते पर नहीं चलेगा। लेकिन हाल के सालों में बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिससे न सिर्फ  बांग्लादेश में रह रहे एक करोड़ से ज्यादा हिंदू दहशत में जी रहे हैं बल्कि लगातार उनका बांग्लादेश से चोरी छुपे पलायन भी बढ़ रहा है। क्-त्त् में बांग्लादेश के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वहां हिंदुओं की आबादी क्फ्.भ् फीसदी थी, जबकि क्-ब्स्त्र में जब हिंदुस्तान से अलग होकर पाकिस्तान बना था, तब उसके पूर्वी हिस्से यानी मौजूदा बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी फ् फीसदी थी, जो साल ख्क्क् की जनगणना के मुताबिक घटकर त्त्.भ् फीसदी रह गई। इससे पता चलता है कि बांग्लादेश में लगातार हिंदू घट रहे हैं। जाहिर है इसकी एक बड़ी वजह यहां दहशत में जी रहे हिंदुओं का भारत और दुनिया के दूसरे देशों में हो रहा पलायन है। ढाका यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रो. अदुल बरकत की एक स्टडी के मुताबिक पिछले कुछ सालों में सुरक्षा और आर्थिक वजहों से हर दिन करीब स्त्रभ् हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर रहे हैं और इनमें से ज्यादातर भारत जाने की कोशिश करते हैं। कट्टरपंथी इस बात को भली-भांति जानते हैं कि बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं के अंदर असुरक्षा का डर बैठ गया है। इसलिए वे इस डर को और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द पाकिस्तान की ही तरह बांग्लादेश से हिंदू पलायन कर जाएं। गौरतलब है कि इस बात को बांग्लादेश की मौजूदा सरकार भी कहीं न कहीं स्वीकार करती है। भारत की एक पत्रिका को साक्षात्कार देते हुए बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमा खान ने स्वीकार किया था कि बांग्लादेश से बड़ी संया में हिंदू पलायन कर रहे हैं, लेकिन वह इसे अपनी सरकार की नाकामयाबी नहीं मानते बल्कि बहाना बनाते हैं कि हम लोग ख्क् साल से साा में नहीं थे। इसलिए ख्क् सालों में देश के उन सभी संस्कारों को खत्म कर दिया गया, जो नवनिर्मित बांग्लादेश के मानवीय संस्कारों के रूप में अवामी लीग ने जो संस्कार गढ़े थे । बांग्लादेश के गृहमंत्री के मुताबिक, दूसरी पार्टियों की सरकारें, खासकर एच. एम. इरशाद की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार ने देशवासियों के समक्ष इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया है, जिसके कारण यहां के बहुसंयक समुदाय में अल्पसंयकों को लेकर नफरत भर गई है। बांग्लादेश सरकार के गृहमंत्री ने यह आश्वासन दिया कि उनकी सरकार सभी के लिए आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा की गारंटी देती है। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द से जल्द मंदिरों की मूर्तियां तोड़ने में शामिल लोगों को गिरतार कर लिया जायेगा। ठाकुरगांव के पुलिस अधीक्षक मोहमद जहांगीर हुसैन का भी कहना है कि जल्द ही अपराधियों को गिरतार करके उन्हें उनके किये की सज़ा दी जायेगी। लेकिन जिस तरह से बांग्लादेश में एक के बाद एक हिंदुओं के विरुद्ध घटनाएं घट रही हैं, उससे साफ  लगता है कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाले कट्टरपंथियों को कुछ राजनीतिक पार्टियों का संरक्षम प्राप्त है। बांग्लादेश को ऐसे इन कट्टरपंथी ताकतों को नियंत्रित करना ही होगा वरना वे उसके उस धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को ध्वस्त कर देंगे, जिसे शेख मुजीबुर्रहमान से लेकर शेख हसीना वाजेद तक ने बनाने की कोशिश की है और बांग्लादेश को चरित्र के मामले में पाकिस्तान से बिल्कुल दूर रखा है। अगर कुछ मुट्ठीभर ताकतों ने अपने सियासी फायदों के लिए बांग्लादेश का भी पाकिस्तानीकरण कर दिया तो बांग्लादेश की भी वही आर्थिक और राजनीतिक दुर्दशा होगी, जो इस समय पाकिस्तान की है। इसलिए भारत सरकार को बांग्लादेश सरकार को सत लहजे में कहना होगा कि अल्पसंयकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए नहीं तो इसका असर दोनों देशों के राजनीतिक व कूटनीतिक रिश्तों पर पड़ सकता है। भारत सरकार को जितना जल्दी हो सके हस्तक्षेप करना ही होगा नहीं तो पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश भी हमारे लिए एक स्थायी सिरदर्द बन जायेगा। -इमेज रिलेशन सेंटर