महिलाओं को अपने अधिकारों की पूरी जानकारी होनी चाहिए

 

भारतीय समाज में महिलाओं को कमतर समझकर कई तरह की महत्त्वपूर्ण जानकारी उन तक पहुंचने नहीं दी जाती। महिलाओं से कानूनी या वित्तीय पहलुओं की जानकारी रखने की उम्मीद सदियों से कभी नहीं की गईं जिससे वे अपनी ही बनाई हुई दुनियाँ में सिमटती चली गईं। औरतों को हर बात की जानकारी होनी चाहिए। पारम्परिक रूप से भारतीय स्त्री से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह धन के प्रबंध या सम्पत्ति एकत्र करने के बारे में जानकारी रखे या वह राजनीतिक या सामाजिक विषयों में हस्तक्षेप करे। उसके लिए कानून या वैधानिक प्रक्रिया के बारे में जानना ज़रूरी नहीं समझा जाता। यह अज्ञानता उसके जीवन पर विपरीत प्रभाव डाल रही है।
अपने देश, संप्रदाय और समाज के बारे में जानकारी रखना स्त्रियों के लिए आवश्यक है। सदियों से घर में रहने की आदत और अपना दायरा इर्द-गिर्द के लोगों तक ही सीमित रखने के कारण स्त्री को अपना संसार सीमित करने की आदत सी हो गई है। सामाजिक घटनाओं की जानकारी रखना आज की स्त्री के लिए बहुत ज़रूरी है । 
महिला को अपने अंदर के हुनर को बाहर लाना चाहिए। नई क्षमताओं द्वारा आत्मिक विकास और निरंतर प्रगति पर ध्यान देते हुए खुशीं के साथ रहना चाहिए। ऊर्जा को केवल अच्छे स्वास्थ्य और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए ही पाया जा सकता है। औरतों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी धर्म उसे द्वितीय श्रेणी का नागरिक करार न दे सके। आध्यात्मिक प्रगति और शांति का मार्ग अपनाना किसी भी विशेष वर्ग की संपत्ति नहीं है।  आज की शिक्षित महिलाएं अपने कानूनी हक के लिए काफी सक्रि य हैं । शिक्षित महिलाएं ही एक दूसरी महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों के लिए जागरूक कर सकती हैं। 
वर्तमान में महिलाएं पहले से काफी सजग हो रही हैं जो आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत हैं। आज प्राय: यह देखा जाता है कि महिलाएं समाज में मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य , जिला परिषद , मेयर, डिप्टी मेयर, मंत्री जैसे पदों पर विराजमान हैं, लेकिन उनके पति या उनके सहयोगी साथी के द्वारा ही उनके कार्य को संपादित किया जाता है। यह अब बदलने की जरूरत है। वे किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। सभी जगहों पर उनकी उपस्थिति देखी जा रही है। इसलिए महिलाओं को अपने अधिकारों को समझने की ज़रूरत है। (युवराज)