तेज़ी से अपनी स़ाख गंवाती जा रही है ‘आप’ सरकार

पंजाब में लोगों का भारी समर्थन लेकर बनी आम आदमी पार्टी की भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाली है। इस सरकार के मुख्यमंत्री ने 16 मार्च को शहीद भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां में लोगों की भारी उपस्थिति में अपने पद की शपथ ग्रहण की थी तथा लोगों के साथ वायदे किए थे कि वह पंजाब को प्रत्येक क्षेत्र में आगे लेकर जाएंगे। नि:सन्देह प्रदेश की पारम्परिक पार्टियां कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा को नज़र अंदाज़ करते हुए लोगों ने आम आदमी पार्टी तथा उसके नेताओं पर विश्वास करके उन्हें एक बड़ा अवसर प्रदान किया था।
परन्तु अब जैसे-जैसे समय व्यतीत होता जा रहा है, लोगों में निराशा तथा अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। जिस उम्मीद-उमंग से लोगों ने इस पार्टी को वोट डाले थे, उन उम्मीदें-उमंगों की पूर्ति होना तो दूर की बात है, अपितु प्रतिदिन बिगड़ती जा रही प्रदेश की अमन-कानून की स्थिति लोगों में गहरी चिन्ता पैदा कर रही है। लगभग प्रतिदिन बड़ी-बड़ी आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। पुलिस ऐसी घटनाओं को रोकने में असफल होती जा रही है। इस तरह प्रतीत हो रहा है कि पुलिस को सरकार की ओर से स्पष्ट नेतृत्व न मिलने के कारण वह दृढ़ता के साथ अमन-कानून की स्थिति पर नियन्त्रण पाने से झिझक रही है, इस कारण अपराधियों के हौसले बढ़ रहे हैं। ज्यादा पीछे न जाएं तो पिछले कुछ दिनों में घटित घटनाएं ही आंखें खोलने वाली हैं।
* 23 फरवरी को अमृतपाल सिंह तथा उसके साथियों ने अजनाला थाना पर धावा बोल दिया तथा वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी लेकर थाने में दाखिल हो गए तथा उनके द्वारा पुलिस कर्मचारियों से मारपीट की गई। एक एस.एस.पी. सहित अनेक पुलिस वाले इस घटना में घायल भी हो गए। इस घटना ने देश-विदेश में पंजाब तथा पंजाबियों की छवि को भारी क्षति पहुंचाई है, क्योंकि बहुत-से नैशनल तथा स्थानीय टी.वी. चैनलों तथा मीडिया के अन्य स्रोतोें में इस घटनाक्रम की व्यापक स्तर पर कवरेज़ हुई है। नैशनल चैनलों में इसे इस प्रकार पेश किया गया कि ़खालिस्तानियों के एक समूह ने थाने पर कब्ज़ा कर लिया है। इस घटनाक्रम के दौरान तथा बाद में भी न केवल पुलिस, अपितु सरकार भी बचाव की स्थिति में विचरती दिखाई दी। अमृतपाल सिंह ने अपने जिस साथी लवप्रीत सिंह त़ूफान की गिरफ्तारी के विरुद्ध यह प्रदर्शन किया था, उसे पुलिस ने शीघ्र निर्दोष करार देते छोड़ दिया। चाहे जिस सिख युवक वरिन्दर सिंह ने अमृतपाल सिंह तथा उसके साथियों पर मारपीट के गम्भीर लगा कर अजनाला थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी, वह अपने बयानों पर कायम है। अजनाला थाने में तोड़-फोड़ तथा मारपीट करने वाले लोगों के विरुद्ध भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पुलिस के मनोबल में और अधिक अवसान आना स्वाभाविक है।
* अभी अजनाला थाने में घटित घटनाक्रम की चर्चा हो रही थी कि 26 फरवरी को गोइंदवाल की जेल में एक और बड़ी घटना हो गई। यह अत्याधिक सुरक्षा वाली जेल है तथा यहां दर्जनों गैंगस्टर विशेष रूप से सिद्धू मूसेवाला की हत्या से संबंधित गैंगस्टर नज़रबंद हैं। इस जेल में गोल्डी बराड़-लारैंस बिश्नोई के गैंगस्टरों तथा जग्गू भगवानपुरिया के गैंगस्टरों के बीच जमकर झगड़ा हुआ, इस झगड़े में राडों तथा तेज़धार हथियारों का प्रयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप मनदीप सिंह तूफान तथा मनमोहन सिंह मोहना दो गैंगस्टर मारे गये तथा अनेक अन्य जेल में नज़रबंद आरोपी घायल भी हो गए। गैंगस्टरों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि इस घटनाक्रम की बाकायदा गोल्डी बराड़ की ओर से ज़िम्मेदारी भी ली गई है। यह समझ नहीं आ रहा कि सुरक्षा के पक्ष से इतनी संवेदनशील जेल में अधिक पुलिस बल क्यों नहीं था तथा यदि मौजूद था तो वह गैंगस्टरों के बीच हुए इस खूनी टकराव को रोकने में असफल क्यों रहा?
* अभी कुछ दिन पूर्व ही मोहाली में कुछ अपराधी एक युवक का अपहरण कर उसे एकांत स्थान पर ले गए तथा वहां उसके हाथ की अंगुलियां काट दीं।
* यदि 27 फरवरी की ही बात करें तो तरनतारन में कांग्रेस नेता तथा मार्किट कमेटी के पूर्व चेयरमैन मेजर सिंह धालीवाल को उसकी अपने मैरिज पैलेस में ही काम करने वाली एक लड़की ने गोली मार कर हत्या कर दी। चाहे अभी इस घटनाक्रम के कारणों संबंधी पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई परन्तु इस घटना ने क्षेत्र में दहशत फैला दी है।
* पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में विद्यार्थियों के दो गुटों में झगड़ा हुआ तथा 20 वर्षीय विद्यार्थी नवजोत सिंह की चाकू मार कर हत्या कर दी गई। प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में इस तरह की घटना होना बेहद चिन्ताजनक बात है।
जबकि प्रदेश में लगभग प्रतिदिन इस तरह की बड़ी घटनाएं हो रही हैं फिर भी प्रदेश के मुख्यमंत्री की कोई प्रभावशाली कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही। वह बयानबाज़ी करके समय निकाल रहे प्रतीत हो रहे हैं। अनेक बार जब प्रदेश में स्थिति बड़ी गम्भीर बनी होती है तो वह अक्सर यहां से नदारद होते। यह सभी जानते हैं कि आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने में अधिक दिलचस्पी रखती है तथा इस उद्देश्य के लिए वह पंजाब सरकार तथा इसके स्रोतों का भी व्यापक स्तर पर उपयोग कर रही है। इस उद्देश्य के लिए भगवंत मान को कभी दिल्ली, मुम्बई, गुजरात तथा तेलंगाना के दौरे करने पड़ते हैं। जबकि ज़रूरत इस बात की है कि वह टिक कर पंजाब में बैठें तथा प्रदेश की दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही स्थिति को नियन्त्रित करें।
अमन-कानून की बिगड़ रही स्थिति के साथ-साथ प्रदेश सरकार की अपनी स्थिरता भी ़खतरे में पड़ी दिखाई देती है। पिछले कई महीनों से आम आदमी पार्टी की सरकार तथा प्रदेश के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित के मध्य किसी न किसी मुद्दे को लेकर टकराव चलता आ रहा है। प्रदेश सरकार के संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्यपाल को प्रतिदिन अनेक लोग मिलते हैं, जिनमें राजनीतिक पार्टियां तथा सामाजिक संगठनों के नेता भी शामिल होते हैं। उनके द्वारा विभिन्न मुद्दें उठाये जाते हैं तथा वे लिखित रूप में अपनी शिकायतें भी राज्यपाल को देते हैं। राज्यपाल आम संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ये शिकायतें पंजाब सरकार को भेज देते हैं तथा कुछ महत्त्वपूर्ण विषयों पर वह प्रदेश सरकार से जानकारी भी मांगते हैं। महत्त्वपूर्ण नियुक्तियों संबंधी भी राज्यपाल यह सुनिश्चित बनाते हैं कि उनके लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया जाए। आज के समाचार पत्रों में यह समाचार भी प्रकाशित हुआ है कि प्रदेश सरकार ने दो योगा सलाहकार एक-एक लाख रुपये के वेतन पर होशियारपुर की गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी में नियुक्त कर दिए हैं, पहले ये दिल्ली में सी.एम. की योगशाला में काम करते थे। वहां लैफ्टिनैंट गवर्नर ने यह कार्यक्रम बंद करवा दिया तो दिल्ली वालों ने इन्हें पंजाब भेज दिया। इन दोनों योगा सलाहकारों ने दसवीं तक भी पंजाबी नहीं पढ़ी, जबकि कुछ दिन पूर्व ही मान सरकार ने यह कहा था कि प्रदेश में कर्मचारियों की नियुक्तियों के लिए दसवीं तक पंजाबी की पढ़ाई की शर्त को सुनिश्चित बनाया जाएगा। इस तरह की नियुक्तियों संबंधी राज्यपाल द्वारा सवाल उठाये जाने स्वाभाविक ही हैं। पूरे देश में राज्यपाल तथा प्रदेश सरकारें इस तरह के आदान-प्रदान से अपना कामकाज़ चलाती हैं।
यह ठीक है कि जब भी केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी है, तभी से राज्यपाल अनेक बार अपनी संवैधानिक मर्यादा पार करते हुए विपक्षी पार्टियों की प्रदेश सरकारों के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं। जिस कारण राज्यपालों की आलोचना भी होती है, परन्तु यदि पंजाब में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित तथा आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच चल रहे टकराव को देखा जाए तो इसमें अधिक दोष प्रदेश सरकार का और विशेषकर मुख्यमंत्री भगवंत मान का दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा यह ट्वीट करना कि मैं पंजाब के तीन करोड़ लोगों के प्रति उत्तरदायी हूं, केन्द्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल के प्रति उत्तरदायी नहीं हूं या मुख्यमंत्री द्वारा यह कहना कि राज्यपाल पहले यह बताए कि देश में राज्यपालों की नियुक्ति के लिए केन्द्र द्वारा कौन से मापदंड अपनाए जाते हैं, बिल्कुल नासमझी है। इस संदर्भ में आवश्यकता तो इस बात की थी कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बातचीत करके राज्यपाल के साथ अपने इस बढ़ते हुए टकराव को रोकते। परन्तु इसके बजाय राज्यपाल द्वारा बजट अधिवेशन को स्वीकृति  न दिये जाने का मुद्दा वह सुप्रीम कोर्ट में ले गए हैं। सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में क्या रवैया अपनाती है और राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अपने-अपने पक्ष पेश करते हुए कौन-सी दलीलें दी जाती हैं, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। परन्तु इससे पंजाब सरकार का कामकाज ज़रूर प्रभावित होगा और इसकी कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ेगी। 
नि:संदेह मुख्यमंत्री भगवंत मान जिस प्रकार सरकार चला रहे हैं, उसमें उनकी राजनीतिक परिपक्वता तथा कार्रवाइयों में भी दूरदर्शिता तथा अनुभव का अभाव दिखाई देता है। इस तरह की पहुंच से पंजाब जैसे सीमावर्ती प्रदेश का प्रशासन चलाना सम्भव नहीं है। ऊपर से पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर से ड्रोनों द्वारा हथियार तथा नशों की बढ़ रही तस्करी ने पंजाब सरकार तथा लोगों की समस्याओं में और भी वृद्धि की है। इसे मुख्य रखते ही कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने मांग करना शुरू कर दी है कि प्रदेश में राज्यपाल शासन लगाया जाये। एक ऐसी सरकार जिसने अभी अपने कार्यकाल का एक वर्ष भी पूरा नहीं किया, उसकी छवि इतनी तेज़ी से यदि धूमिल होती है तथा दिन-प्रतिदिन पंजाब की स्थिति उसके नियन्त्रण से बाहर निकल जाती है तो इस संबंध में मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा उसके सभी वरिष्ठ नेताओं को गम्भीरता के साथ सोचना चाहिए। यदि प्रदेश में इस तरह की स्थितियां बनी रहती हैं तो देश-विदेश के उद्योगपतियों तथा व्यापारियों ने और निवेश तो जहां क्या करना है, यहां पर पहले हुआ निवेश भी पलायन करता दिखाई देगा। युवाओं को भी यहां अपना कोई भविष्य दिखाई न देने के कारण वह +2 के बाद विदेशों में उड़ान भरते रहे हैं तथा प्रदेश के कालेज तथा यूनिवर्सिटियां खाली होती जा रही हैं। यह भगवंत मान तथा उसकी सरकार के लिए जागने का समय है।