खूबसूरती की बौनी दुनिया बोनसाई 

जापानी भाषा में बोनसाई का मतलब होता है बौने पौधे। जी हां बोनसाई, बौने पौधों की खूबसूरत दुनिया का नाम है। यह एक कला या तकनीक है जिसे जापान ने दुनिया को सिखायी है। इस कला में लघुकृत पौधों का व्यवस्थित विकास किया जाता है। बोनसाई कला या तकनीक के चलते भारी-भरकम पेड़ों को छोटे बर्तनों में उगाया जाता है। अपने गठीले तने के कारण ये पेड़ किसी का भी मन मोह लेने की ताकत रखते हैं। इसी वजह से बोनसाई वर्तमान समय में कलात्मक बागवानी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। पहले बोनसाई की कला सिर्फ जापान तक सीमित थी, लेकिन हाल के कुछ दशकों में इसका विस्तार पूरी दुनिया में हो चुका है। 
बोनसाई तकनीक में भारी-भरकम पेड़ों को इस तरह से विकसित किया जाता है कि उन्हें घर के किसी भी कोने में बर्तन में लगाकर रखा जा सके। यही नहीं ये पेड़ ऐसा रूप अख्तियार कर लेते हैं, जो मूल पेड़ की प्रतिकृति होने के बावजूद एक अलग ही तरह का आकर्षण पैदा करता है। भारतीय परिवेश में जिन पौधों की बोनसाई तैयार की जा सकती है। उनमें हैं- बड़, इमली, बबूल, पीपल, बरगद, अमलतास, चीड़ देवदार, नीम, संतरा, अनार, अडेनियम, जेड प्लांट, कल्पतरु, मौलिना आदि पौधों को शामिल किया जा सकता है। इनमें से ज्यादातर पौधे ऐसे होते हैं जो अपनी कोशिकाओं में पानी एकत्रित कर लेते हैं। इसकी वजह से इनके विभिन्न हिस्से फूल जाते हैं। क्योंकि इन फूले हुए हिस्सों में पानी जमा रहता है, जिन्हें ये पौधे आवश्यकता पड़ने पर इस्तेमाल करते हैं। पानी संग्रह के मामले में बोनसाई पौधों की तुलना ऊंट से की जा सकती है। लेकिन ऊंट की तरह लम्बे न होकर ये पौधे ठिगने होते हैं। ठीक उसी तरह जैसे किसी बौने व्यक्ति के शरीर का ढांचा होता है।
पौधों की बोनसाई बीज एवं कटिंग दोनों से तैयार की जा सकती है। बीज से तैयार करने के लिए पहले बीज से अंकुरित हालत में पौधा प्राप्त किया जाता है। इसी अंकुरित पौधे से बोनसाई विकसित की जाती है। यहां खास बात यह है कि बीज से उगाया गया पौधा बोनसाई के रूप में जल्दी विकसित होता है जबकि कटिंग से बोनसाई विकसित होने में समय लगता है। कटिंग से पौधा तैयार करते समय कटिंग को पहले तीन-चार दिनों तक धूप में सुखा लें। इसके बाद जल्दी जमाव करने वाले हारमोन लगाकर ही कटिंग को रोपें। ध्यान रखें कि रोपे जाने वाली कटिंग बीमार न हो। ऐसा होने से बोनसाई विकसित होने में दिक्कत पैदा हो सकती है या फिर बोनसाई भी उच्च गुणवत्ता की नहीं होगी।
बोनसाई विकसित करने में सारा कमाल कलात्मकता का है। जाहिर है इसमें काफी मेहनत की जरूरत पड़ती है। यह मेहनत वही व्यक्ति कर सकता है जिसे बागवानी का भरपूर शौक हो। अगर आप भी अपनी बगिया की कलात्मकता में इजाफा करने की ठान चुके हैं तो चलिए आपको कलात्मक बोनसाई विकसित करने के लिए कुछ टिप्स दे दें। जब बोनसाई विकसित होने के क्रम में हो तो केवल महत्वपूर्ण शाखाओं को छोड़कर बाकी को काट दें। ऐसा करने से बोनसाई आपका मनचाहा आकार ले लेगी। इसके साथ ही बोनसाई को आकर्षक आकार देने के लिए धातु के तारों एवं रबर बैंड का इस्तेमाल करें। तारों एवं रबर बैंड को विकसित होती बोनसाई की शाखाओं पर इस तरह से लपेटें कि उसे अजूबे का आकार दिया जा सके।
जिस पात्र में बोनसाई पौधा लगा होता है वह पात्र भी बोनसाई को आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए पात्र का चयन सावधानी से करना चाहिए। सबसे पहले तो यही कि पात्र की गहराई कम हो। दरअसल, कम गहराई वाले पात्र ही बोनसाई के लिए उपयुक्त होते हैं क्योंकि इसमें तना आसानी से मिट्टी से बाहर रखा जा सकता है।


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