जीवन ही नहीं, अबूझ पहेली भी है पानी...! 22 मार्च विश्व जल दिवस पर विशेष

 

पानी धरती में पाया जाने वाला एकमात्र ऐसा पदार्थ है जिसका न कोई रंग है, न स्वाद है, न आकार यानी शेप है। यह धरती का सबसे सरल लेकिन अपने आपमें अनगिनत रहस्यों को समेटे धरती के 71 प्रतिशत भू-भाग में राज करता है। पानी धरती के ऊपर भी और धरती के नीचे भी है। यह कभी बादल बनकर आसमानों में उड़ता है, तो कभी बूंदें बनकर आसमान से धरती में बरस भी जाता है। पानी प्रलय भी है और पालनहार भी। पानी धरती का अकेला तत्व है, जिसे विज्ञान एक जीवित पदार्थ मानता है। यह धरती का एकमात्र ऐसा तत्व है- जो लिक्विड, स्वालिड और गैस तीनों ही रूप में पाया जाता है। पानी धरती का एकमात्र ऐसा पदार्थ है, जो भौतिकी के सारे मूलभूत नियमों को चुनौती देता है। इस धरती के चारो तरफ फैला पानी एक अबूझ पहेली है।
पानी में अपने आसपास की हज़ारों-लाखों सालों की सूचनाओं को सहेजकर रखने की क्षमता है। पानी की यह मेमोरी किसी सुपर कम्प्यूटर से भी ज्यादा स्पष्ट और विलक्षण होती है। पानी न सिर्फ दुनिया की किसी भी भाषा में बोले गये शब्दों को समझकर बल्कि इंसान के दिलोदिमाग में उमड़ घुमड़ रही भावनाओं को भी पढ़कर उनके अनुरूप त्वरित रिएक्शन करने की क्षमता रखता है। यहां तक कि यह चीजों की मॉलीक्यूल संरचना को बदलकर भी अपनी तीव्र और तीक्ष्ण प्रतिक्रिया देता है।
धरती में आखिर पानी कहां से आया? यह अपने आप आया या इसे कहीं से लाया गया या फिर यह इस धरती में पहले से ही मौजूद था? ऐसे अनेक रहस्यों की खोज में विज्ञान कई दशकों से लगा हुआ है। लेकिन दशकों की माथापच्ची के बाद आजतक विज्ञान, पानी के बारे में जो समझ पाया है, वह इसके वास्तविकता के महासागर की महज एक बूंद के बराबर है। विज्ञान ने पिछले कुछ दशकों की गहन रिसर्च के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि पानी की अपनी एक मेमोरी होती है। सुनने में यह थोड़ा अटपटा लग रहा होगा कि खुद की बुद्धि यह तो असंभव है। लेकिन यह असंभव सी लगने वाली बात आज विज्ञान के निष्कर्षों से सही साबित हो चुकी है।
इंसान के ब्रेन को ही ले लीजिए, यह भी तो 80 प्रतिशत पानी ही है। इंसान का ब्रेन जिसका वजन महज 1300 से 1400 ग्राम के बीच होता है, लेकिन इसे विज्ञान अभी अस्तित्व में भी नहीं आये किसी सुपर क्वांटम कम्प्यूटर से भी ज्यादा सुपर ताकतवर मानता है। जब पानी का महज 1300 से1400 ग्राम का इंसानी मस्तिष्क इतना ताकतवर हो सकता है, तो जो पानी की विशाल जलराशि धरती का 70-71 प्रतिशत है, उसकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह किसी भी संकल्पना से ज्यादा जटिल और ताकतवर कम्प्यूटर है।
कई वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह साबित हुआ है कि पानी में भी इंसान की बॉडी के माफिक अपने सेल्स होते हैं और उसकी सैलुलर संरचना भी होती है। एक खास तरह के स्ट्रक्चर में पानी के मॉलीक्यूल आपस में समूह में जुड़े होते हैं। ये कलस्टर इंसानी मेमोरी की तरह काम करते हैं। पानी की हर मेमोरी सेल में 4 लाख 40 हजार इनफार्मेशन पैटर्न होते हैं, जिससे पानी की हर सेल अपने आसपास के वातावरण से इंट्रैक्ट करने की क्षमता रखती है। पानी अपने आसपास की समूची इंर्फोमेशन को हज़ारों लाखों साल तक स्टोर करने की ताकत रखता है। आज विज्ञान हैरान है कि किसी एक पदार्थ में इतनी एनर्जी और सूक्ष्म संरचनाएं कैसे हो सकती है? विज्ञान अपनी कई दशकों की रिसर्च के बाद इसे सुपर लिक्विड कम्प्यूटर भी कहता है।
इंसान के विचारों मात्र से पानी की संरचना में बदलाव देखा गया है और पानी सिर्फ अकेले नहीं बदलता, उसका यह बदला हुआ स्ट्रक्चर किसी भी इंसान को बदलने की पूरी क्षमता रखता है। पानी पर शब्दों का, भावनाओं का और माहौल का भी भरपूर असर पड़ता है। यही नहीं पानी किसी भी मौके पर अपनी त्वरित प्रक्रिया भी व्यक्त करता है। वैज्ञानिकों ने इसे जांचने, समझने और परखने के लिए हाल के सालों में कई प्रयोग किये हैं। मसलन उन्होंने दो समान आकार के गिलासों में एक ही किस्म का पानी भरा और एक गिलास को संबोधित करते हुए खूब कड़वी बातें कहीं, गालियां दीं, अपशब्द बोले और जो कुछ नकारात्मक हो सकता था, वह सब कुछ कहा। जबकि दूसरे गिलास के पानी को जितनी सकारात्मक बातें हो सकती थीं, सब कहीं। उसे धन्यवाद दिया, उसे कहा तुम अमृत हो, तुम जीवन हो, तुम प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण तत्व हो आदि। बाद में इन दोनों गिलासों के पानी को एक खास टेम्प्रेचर पर फ्रीज किया गया और फिर माइक्रोस्कोप से इन दोनों के स्ट्रक्चर को देखा गया। 
दोनों ही पानी के स्ट्रक्चर में हैरान करने वाली भिन्नताएं देखने को मिलीं। जिस पानी को बहुत भला बुरा कहा गया था, उसकी संरचना बहुत खराब, बदसूरत और बेहद भद्दी थी। जिस गिलास के पानी को बहुत अच्छी-अच्छी बातें कही गई थीं, उस पानी के स्ट्रक्चर से बनी संरचना बेहद शानदार थी। वैज्ञानिकों ने एक नहीं पानी के जीवित तत्वों की तरह रिएक्शन करने के अनेक प्रयोग किये हैं और उनके सभी प्रयोग हैरान करने वाले रहे हैं। इस तरह देखा जाए तो दुनिया का सबसे रहस्यमयी तत्व है पानी।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर