सच्चई, माफी और बलिदान का संदेश देता है ‘गुड फ्राइडे’

प्रभु यीशू मसीह ने लोगों को समझाया कि नेकी, सच्चाई और धर्म के सही अर्थ क्या हैं? इसी कारण चाहे उस समय दुनिया की आबादी बहुत कम थी। फिर भी हज़ारों लोग उनको सुनने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। कई लोग तो उनकी एक झलक पाने के लिए तरस जाते थे। वह हर समय दीन-दुखियों,  कुष्ठ रोगियों आदि की सेवा और सहायता के लिए तैयार रहते थे परन्तु वह कथित धर्म गुरुओं की हर बुराई की ओर अंगुली अवश्य उठाते थे। इसी कारण उस समय के यहूदी धार्मिक नेता उनके खिलाफ हो गए और उनके प्यार के फलसफे को समझ न सके। वे प्रभु यीशू मसीह को अपने रास्ते से हटाने की साज़िशें रचने लगे। एक दिन जब प्रभु यीशू मसीह यहूदियों के यरुशलम के केन्द्रीय धार्मिक स्थान पर गए तो उनसे रहा न गया और वह उन लोगों को कहने लगे कि ‘यह परमात्मा का घर है, जिसे आपने व्यापार का अड्डा बना रखा है।’ इस पर वे आग बबूला हो गए। प्रभू यीशू मसीह के ही एक लालची चेले यहूदा इसकरयोती को उन्होंने अपने साथ मिला लिया और उसने तीस रुपये लेकर उनको दुश्मनों के हाथ पकड़वा दिया। 
फिर उन धर्म गुरुओं और उनके द्वारा इकट्ठा की गई भीड़ ने प्रभू यीशू मसीह के खिलाफ कई झूठी गवाहियां दीं। उन्होंने प्रभु यीशू पर कई दोष भी लगाये जैसे कि यह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र कह कर अपने आप को उसके तुल्य बताता है। फिर वे स्वयं ही वकील और स्वयं ही जज बन गये और उन्होंने प्रभु यीशू को शारीरिक और मानसिक कष्ट दिये और उनके लिए मृत्यु दंड का ़फतवा जारी कर दिया। इसके लिए वे प्रभु यीशू मसीह को रोमन शासक पिलातूस के पास ले गए।
रोमन शासक पितालूस जब प्रभु यीशू के केस की जांच-पड़ताल कर चुके तो वह इस परिणाम पर पहुंचे कि यह एक निर्दोष मनुष्य है। जो लोग इन्हें मृत्यु दंड दे रहे हैं, वे केवल इनसे ईर्ष्या के कारण ही ऐसा कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने दो बार प्रभु यीशू को बचाने का प्रयास किया। कट्टरपंथी लोग और उनके द्वारा एकत्रित की गई भीड़ ज़ोर-ज़ोर से कहने लगी, ‘यीशू को सलीब दो, सलीब दो।’ अपनी पेश न चलते देख कर पिलातूस ने पानी मंगवाया और सभी के सामने अपने हाथ धो कर कहा कि, ‘मैं इस निर्दोष मनुष्य के खून से बरी हूं। इसका खून आप पर और आपके बच्चों पर पड़े’। इतना कह कर उन्होंने प्रभु यीशू को सलीब पर चढ़ाने के लिए ज़ालिमों के हवाले कर दिया। इसी दौरान प्रभु यीशू मसीह को जिस लालची शिष्य ने पकवड़ाया था, उसे जब पता चला कि उन्हें मृत्यु दंड दिया जा रहा है तो उसने पश्चाताप स्वरूप आत्महत्या कर ली।
उसे भी दुख हुआ कि उसने एक निर्दोष व्यक्ति को पकड़वा कर पाप किया है। राजा भी कह रहा था कि यीशू मसीह बेकसूर हैं। फिर भी उस समय की सबसे घृणित और भयानक सलीबी मृत्यु दंड की सज़ा यीशू को दी गई। उन्होंने प्रभु यीशू मसीह को उनके हाथों और पांवों में कीलें ठुकवा कर सलीब पर लटका दिया और बड़े-बड़े कांटों का एक ताज बना कर उनके सिर पर रख दिया। पास से गुज़रने वाले लोग और सिपाही उन्हें कड़वी बातें कहकर मानसिक पीड़ा भी दे रहे थे, परन्तु यीशू मसीह ने सभी दुख देने वालों के लिए अपने पिता-परमेश्वर के समक्ष प्रार्थना की, ‘हे पिता, उन्हें म़ाफ कर दें क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।’ अंत में वह सलीब पर अपने प्राण न्यौछावर कर गये।  इस तरह हम देखते हैं कि उन्होंने अपना पूरा जीवन दुखी मानवता  को सौंप दिया। पवित्र लेखों के अनुसार वह मानव जाति के उद्धार (निजात) के लिए अपनी जान देकर मनुष्य मात्र को दूसरों के लिए जीने और मरने का ढंग बता गये।
आज 7 अप्रैल को जब भारत सहित विश्व भर में उनके बलिदान दिवस को गुड फ्राइडे के रूप पर मनाया जा रहा है तो यह दिन सभी को इस बात का सन्देश देता है कि हम सेवा, म़ाफी और अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहने जैसे उनके नक्शे-कदमों पर चलें, जिनका सबसे प्रथम उत्तम उदाहरण वह स्वयं बने।
-गांव व डाक. थोबा (अमृतसर)