मेरी शिक्षा का मका माहिलपुर

सिख एजुकेशन कौंसिल माहिलपुर का अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह राय चुना जाना कुछ समय से चली आ रही रंजिश के खात्मे के रूप में देखा जा सकता है। यह बात जगजाहिर है कि इस कालेज की स्थापना करने वाले प्रिंसीपल हरभजन सिंह को तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह का समर्थन प्राप्त था जो अम्बाला के स्कूल में प्रिंसीपल साहिब का विद्यार्थी रहा चुका था। याद रहे कि बलदेव सिंह की देन माहिलपुर की शैक्षणिक संस्था ही नहीं, अपितु पंजाब, हरियाणा तथा चंडीगढ़ प्रशासन की राजधानी चंडीगढ़ भी है। इस सभी कार्यों में बलदेव सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का समर्थन प्राप्त था। 
मुझे कल की भांति याद है कि 1954 में मेरे दीक्षांत समारोह में पंजाब के विकास मंत्री प्रताप सिंह कैरों मुख्यातिथि थे। उस समय क्षेत्र वासियों ने उनके समक्ष तीन मांगें रखी थीं। वे चाहते थे कि माहिलपुर के कालेज में एम.ए. की व्यवस्था भी की जाए और फगवाड़ा-जेजों रेल लाइन होशियारपुर से जोड़ी जाए तथा माहिलपुर-फगवाड़ा सड़क को पक्का किया जाए। 
प्रताप सिंह कैरों ने इन मांगों का क्रमवार यह उत्तर दिया था। 1. एम.ए. की शिक्षा अगले सत्र से शुरू हो गई समझो। 2. रेलवे लाइन केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में है जिसके लिए आपके साथ पंडित नेहरू तक जाकर निवेदन करूंगा जिस पर क्रियान्वयन केन्द्र ने करना है। 3. माहिलपुर-फगवाड़ा मार्ग का मामला भी हल समझो। 
आप क्षेत्र-वासियों द्वारा उस सड़क पर मिट्टी डलवा दें। इसे पक्की करने का काम पंजाब सरकार करेगी। यहीं बस नहीं, यदि कोई अन्य सड़क भी पक्की करवानी चाहते हैं तो मिट्टी आप डाल दें, तारकोल सरकार बिछा देगी। 
मुझे गर्व है कि मैं श्री गुरु गोबिन्द सिंह खालसा कालेज माहिलपुर में पढ़ा हुआ हूं और यहां की सिख एजुकेशन कौंसिल ने अपना अध्यक्ष कर्मशील व्यक्ति को चुना है। उसने आगे पंडित नेहरू, कौरों तथा बलदेव सिंह जैसा समर्थन किस से लेना है, वह जाने। 
पंजाबी भाषा संबंधी विपक्ष की सुनें
अब जबकि पंजाब का मुख्यमंत्री भाषा साहित्य तथा सांस्कृति की प्रफुल्लता के लिए प्रतिदिन नई घोषणाएं कर रहा है, उसे पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के 13 मार्च, 2023 वाले पत्र की ओर भी ध्यान देना चाहिए। बाजवा ने मांग की है कि पंजाब सरकार को पंजाबी भाषा के प्रचार तथा प्रसार के लिए पंजाब कला परिषद् को दो करोड़ की राशि, पंजाबी भाषा विभाग को एक करोड़ रुपये, पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना तथा दोनों केन्द्रीय लेखक सभाओं को कम से कम 50 हज़ार रुपये की राशि दी जाए। 
उन्होंने यह भी मांग की है कि पंजाब की नौजवानी को सही रास्ते पर लाने के लिए पंजाब के बुद्धिजीवियों की एक कमेटी गठित होनी चाहिए, जो उनके लिए ज़रूरी दिशा-निर्देश जारी कर सके, विशेषकर नशों तथा प्रदूषण से संबंधित मसलों का समाधान करने के लिए।   
यह भी चिन्ता का विषय है कि पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला को गत वर्ष 200 करोड़ रुपये की ग्रांट दी गई थी, जो इस वर्ष कम करके 164 करोड़ रुपये कर दी गई थी, परन्तु विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रो. अरविंद की दलीलों के दृष्टिगत 300 करोड़ कर दी गई है। इससे अध्यापकों के वेतन का मसला तो हल हो सकता है, परन्तु पंजाबी भाषा के प्रचार व प्रसार का नहीं। ये मसले विशेष ध्यान मांगते हैं। 
अंतिका
(लवली तथा मौंटू भंगू जर्मनी)
जट्ट जम्मदा
मिट्टी दा बाणा पा के
लोकां ’च अनाज वंडदा
जट्ट जम्मदा 
कुख जट्टी दी 
शेरनी वरगी 
शींह पुत्त पैदा करदी
कुख जट्टी दी।