ज़िन्दगी की ह़क़ीकतों को पेश करता है प्रधानमंत्री का कार्यक्रम ‘मन की बात’

 


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को स्वाभाविक तौर पर एक प्रतिभावान प्रवक्ता के रूप में स्वीकार किया जाता है, जो जनता के साथ शीघ्र संवाद-संबंध स्थापित कर सकते हैं। उनकी शानदार भाषण कला, इस अद्भुत सामर्थ्य का सिर्फ एक उदाहरण है। उनके समावेशी दृष्टिकोण को देश के सभी भागों में स्वीकार किया गया है। यह प्रधानमंत्री मोदी के विकास का जन-केन्द्रित मॉडल है, जिसने उन्हें बड़ी संख्या में जन-साधारण का लोकप्रिय बना दिया है। लोगों के साथ निरन्तर संवाद है, जिसे हम ‘मन की बात’ के रूप में जानते हैं। इससे जुड़े उनके विचार को नॉन-ऐलीटिस्ट या साधारण स्तर का कहा जा सकता है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम को अक्तूबर 2014 में शुरू किया गया था, जोकि हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है।
‘मन की बात’ से पता चलता है कि मोदी जी की दो शख्सियतें  हैं— मज़बूत, शक्तिशाली तथा उद्देश्यपूर्ण प्रधानमंत्री तथा विनम्र, दयालु तथा परिवार के कोमल पिता। यदि आप आंखें बंद करके ‘मन की बात’ सुनें तो आप सोचेंगे कि मोदी जी गांव की सत्थ में ही बैठे लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं। उनकी बातें सुन रहे हैं, उनके साथ संवाद कर रहे हैं। जहां ज़रूरत हो वहां ज्ञान भरी सलाह दे रहे हैं या किसी अच्छे काम के लिए प्रशंसा भी कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने दुर्घटना के पीड़ित परिवारों के साथ अपनी बातचीत साझी की, जिन्होंने बहादुरी के साथ अपने रिश्तेदारों को अंग दान करने के फैसले किए हैं। मोदी जी ने इस बातचीत का उपयोग अंगदान के अच्छे विचार को प्रोत्साहित करने के लिए किया। 
ऐसे कई अन्य उदाहरणे हैं, जिनमें पर्यावरण के विपरीत हालात से निपटने से लेकर स्वास्थ्य तथा साफ-सफाई (स्वच्छता) के साथ जुड़े लोगों के अच्छे कामों के लिए उन्हें बधाई देना आदि शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी जी की ‘मन की बात’ आवश्यक रूप से वास्तविक जीवन की कहानियों और अनुभवों संबंधित है। ऐसी कहानियां, जो वास्तविक भारत को दर्शाती हैं तथा लुटियन्ज़ दिल्ली की भीड़भाड़ वाली सीमाओं से दूर हैं। इसी कारण ‘मन की बात’ का प्रत्येक धारावाहिक (एपीसोड) लोगों द्वारा बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है तथा इसे लाखों प्रतिक्रियाएं मिलती हैं।
‘मन की बात’ का पहला धारावाहिक 3 अक्तूबर, 2014 को प्रसारित किया गया था। यह 30 अप्रैल, 2023 को 100 धारावाहिक पूरे करेगा। ‘मन की बात’ अपनी विषय वस्तु, ढांचा, बातचीत तथा जन-साधारण से समूचे रूप तथा समाज के साथ संवाद करने के अभिनव ढंग के मामले में बेमिसाल है। 262 रेडियो स्टेशनों तथा 375 से अधिक निजी तथा समुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ दुनिया के सबसे बड़े रेडियो नैटवर्क ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के माध्यम से, भारतीय प्रधानमंत्री सामाजिक-आर्थिक तथा सांस्कृतिक रूप से विभिन्नता वाली विशाल जनसंख्या तक पहुंचते हैं। उन्हें न सिर्फ सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक मुद्दों पर, अपितु पर्यावरण परिवर्तन, वेस्ट मैनेजमैंट, ऊर्जा संकट जैसी चुनौतीपूर्ण समस्याओं के प्रति प्रेरित एवं सक्रिय करते हैं, जिनका विश्व आज सामना कर रहा है।
भारतीय जन-प्रसारण, प्रसार भारती ‘मन की बात’ का अनुवाद तथा प्रसारण 52 भाषाओं में करता है, जिसमें 11 विदेशी भाषाएं शामिल हैं। ‘मन की बात’ भारत का पहला वर्चुअल तौर पर समृद्ध रेडियो कार्यक्रम है, जिसे टी.वी. चैनलों द्वारा एक ही समय प्रसारित किया जाता है। दूरदर्शन नैटवर्क के 34 चैनल तथा 100 से अधिक निजी सैटेलाइट टी.वी. चैनल इस अद्वितीय कार्यक्रम को देश भर में प्रसारित करते हैं। फरवरी, 2022 से हर माह विशेषर्ज्ञों तथा जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के साथ जुड़े अग्रणी व्यक्तियों के लेखों के साथ एक अत्य-आधुनिक ढंग से तैयार पुस्तक भी प्रकाशित की जा रही है, जो डिजीटल तौर पर 6 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचती है।
इतने व्यापक प्रभाव के साथ, ‘मन की बात’ को एक सामाजिक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है (जो उचित भी है)। इस कार्यक्रम को जनभागीदारी के साथ ठोस आधार प्राप्त होता है। इस कार्यक्रम की अवधारणा तथा प्रसारण, नागरिकों के साथ जुड़ने तथा भागीदारी के विचार पर आधारित है, जो कार्यक्रम के नाम से लेकर विषयों की पसंद तथा लोगों द्वारा सक्रियता से कार्य करने के निमंत्रण तक प्रतिबिम्बित होते हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में शामिल करते हैं। प्रत्येक धारावाहिक व्यक्तियों की परिवर्तनकारी शक्ति में प्रधानमंत्री के अटूट विश्वास के आधार पर तैयार किया जाता है तथा शासन में जन-भागीदारी को उत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रधानमंत्री देश भर के लाखों लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे हैं। वह इस मंच का देश के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करने में उपयोग करते हैं तथा राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी चाहते हैं।
‘मन की बात’ का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री तथा नागरिकों के बीच सीधा सम्पर्क बनाना है। हर माह, प्रधानमंत्री को देश भर से लाखों पत्र मिलते हैं, जिन पर वह कार्यक्रम दौरान रौशनी डालते हैं। प्रसारण के दौरान प्रधानमंत्री का लोगों के साथ टैलीफोन पर बातचीत करना भी असाधारण नहीं है। चुने हुए नेता तथा जनता के बीच संचार का ऐसा ढंग लोकतंत्र तथा शासन में लोगों के विश्वास को बहुत मज़बूत करता है। 8 वर्षों में अपने 99 धारावाहिक कार्यक्रमों की सफल प्रस्तुति के दौरान, ‘मन की बात’ ने  न सिर्फ महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे जनता में जागरूकता पैदा करने का यत्न किया है, अपितु उन्हें सामाजिक व राष्ट्रीय कारणों पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है। कार्यक्रम की एक मुख्य विशेषता परिवर्तन करने वालों की प्रेरणादायक कहानियां हैं, जो धरातल पर लगातार तथा नि:स्वार्थ कार्य कर रहे हैं, जो न सिर्फ उनके लिए कार्य करते रहने हेतु प्रेरणा स्रोत बनते हैं, अपितु अन्य को भी प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा दिये गए सामाजिक संदेश कुछ घंटों में एक सोशल मीडिया रुझान तथा कुछ सप्ताह में  एक जन-आन्दोलन बन जाते हैं। ‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘कोविड टीकाकरण’ तथा ‘हर घर तिरंगा’ इसके कुछ मुख्य शानदार उदाहरण हैं। हाल ही में ‘मन की बात’ के 88वें धारावाहिक में प्रधानमंत्री ने पानी की संभाल के महत्व को उजागर किया और नागरिकों को अपने क्षेत्र में ‘अमृत सरोवर’ बनाने की अपील की। कुछ महीनों के भीतर संदेश को जन-आन्दोलन में परिवर्तित कर दिया गया और देश भर में बहुत-से अमृत सरोवर उभर कर सामने आए, जो स्थानीय लोगों द्वारा क्षेत्र की सरकारी संस्थाओं की मदद से बनाए गए थे। इसके बाद 92वें धारावाहिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने नागरिकों के तुरंत यत्नों की प्रशंसा की क्योंकि उन्होंने उत्तर प्रदेश के ललितपुर में भगत सिंह अमृत सरोवर तथा कर्नाटक के बिलकेरुर में अमृत सरोवर जैसे भिन्न-भिन्न सरोवरों का ज़िक्र किया। 
इस कार्यक्रम की 89वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने भारत में यूनिकॉर्न की संख्या के 100 के आंकड़े तक पहुंचने पर प्रकाश डाला। इसकी 91वीं कड़ी में ‘हर घर तिरंगा अभियान’ की सामूहिक भागीदारी तथा देशव्यापी सफलता का उत्सव मनाया गया, जिससे प्रत्येक भारतीय का मन गर्व से भर गया। ऐसे कई अन्य उदाहरण हैं, जो यह दिखाते हैं कि कैसे ‘मन की बात’ सिर्फ एक रेडियो कार्यक्रम नहीं है, अपितु यह भारत के समूचे विकास का प्रतिबिम्ब तथा सार्वजनिक भागीदारी का प्रकटावा है। 
‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सफलतापूर्वक जल कल्याण योजनाओं तथा नीतियों को प्रत्येक स्तर पर लोगों तक पहुंचाने तथा इसके बारे जागरूकता पैदा करने  के लिए एक नया नैटवर्क स्थापित किया है।  इतना ही नहीं, इसके माध्यम से प्रधानमंत्री यह भी बताते हैं कि कैसे योजनाएं धरातल पर लोगों को लाभ पहुंचा रही हैं और अधिक से अधिक लोगों को इन योजनाओं का लाभपात्री बनने की ओर प्रेरित करती हैं।  इस कार्यक्रम के संकट के समय विशेष तौर पर कोविड महामारी के दौरान लोगों को सूचित करने तथा उन्हें टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की टीके की कहानी की सफलता का श्रेय काफी सीमा तक ‘मन की बात’ कार्यक्रम को जाता है। ‘मन की बात’ की सार्थकता तथा हमारे जीवन में इसके महत्व के लिए यही श्रद्धांजलि है।   
-लेखक भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण तथा युवा मामलों एवं खेल मंत्री हैं।