तेंदुआ सील दबे पांव करती है इन्सान पर हमला

 

तेंदुआ सील विश्व की सर्वाधिक दुस्साहसी और कुख्यात सील है। यह इंसानों पर भी आक्रमण करके उसे अपना आहार बना लेती है। तेंदुआ सील को कभी-कभी सरीसृप समझ लिया जाता है, जबकि यह दूसरी सीलों के समान एक स्तनधारी जीव है। तेंदुआ सील अंटार्कटिक क्षेत्र में अत्यंत दुर्गम स्थानों पर पाई जाती है। यह ऐसे सागरों में रहना अधिक पसंद करती है, जो चारों तरफ से जमी हुई बर्फ से घिरे हों। इससे इसे पैंगुइन का शिकार करने में विशेष सुविधा रहती है। तेंदुआ सील प्राय: रात्रि में सागर से निकलकर बर्फ पर आती है, पैंगुइन का शिकार करती है और फिर सागर में वापस लौट जाती है। यह अपना अधिकांश समय सागर में ही व्यतीत करती है। तेंदुआ सील दिन के समय भी बर्फ पर दिखाई देती है, किंतु दिन में यह विश्राम करने अथवा धूप सेंकने के लिए ही बर्फ पर आती है। यह दिन में प्राय: पैंगुइन का शिकार नहीं करती।
तेंदुआ सील हमेशा अकेली रहती है। इसके तीन-चार से अधिक के झुंड कभी भी देखने को नहीं मिलते। तेंदुआ सील जमीन अथवा बर्फ पर अपने शिकार को ऊंचा उठाकर और पीछे के किनारों की सहायता से इल्ली (कैटर पिलर) की तरह चलती है। इसकी चाल बहुत तेज़ होती है। तेंदुआ सील बहुत अच्छी तैराक भी है। यह सागर में बड़ी कुशलता से तैरती है और लंबी-लंबी यात्राएं करती है। सर्दियों में दक्षिण जार्जिया हर्ड, मैक्वारी, केरग्यूलेन आदि अंटार्कटिक द्वीप तेंदुआ सीलों से भर जाते हैं। कभी-कभी यह दक्षिण अमरीका और दक्षिण अफ्रीका के दक्षिणी भागों तक पहुंच जाती है। तेंदुआ सील सागर में यात्रा के मध्य प्राय: भटक जाती है और कभी-कभी भटक कर दक्षिणी आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड के बर्फीले सागर तटों तक पहुंच जाती है। 
तेंदुआ सील की शारीरिक संरचना अन्य सीलों से कुछ भिन्न होती है। यह विश्व की एकमात्र ऐसी सील है, जिसमें मादा का आकार नर से बड़ा होता है और मादा नर से अधिक शक्तिशाली होती है। मादा तेंदुआ सील की अधिकतम लंबाई 3.6 मीटर एवं वजन 450 किलोग्राम तक होता है, जबकि नर की अधिकतम लंबाई 3 मीटर एवं वजन 270 किलोग्राम से अधिक नहीं होता। तेंदुआ सील के डर से पैंगुइन समुद्र तट से काफी दूर आ जाते है एवं कुछ समय बाद थक जाते है व सुस्त पड़ जाती है, तब तेंदुआ सील आगे बढ़कर उसे दबोच लेती है और चटकर जाती है। तट के पास रहने वाली पैंगुइन प्राय: तेंदुआ सील को धोखा देकर भागने में सफल हो जाते है और जमीन पर अपने को अधिक सुरक्षित अनुभव करती है, क्योंकि तेंदुआ सील प्राय: जमीन अथवा बर्फ पर पैंगुइन का पीछा नहीं करती। 
तेंदुआ सील मानव पर आक्रमण करती है और उसे अपना आहार बनाती है, अत: यह विश्व की सर्वाधिक खतरनाक और घातक सील समझी जाती है। तेंदुआ सील बर्फ पर आने-जाने वाले व्यक्तियों का तेंदुए के समान चुपचाप, दबे पैर पीछा करती है तथा मानव द्वारा छेड़े जाने पर आक्रमण कर देती है। यह सागर के भीतर गोताखोरों के निकट तैरती रहती हैं और बार-बार उनके निकट आने का प्रयास करती है। गोताखोर यदि सागर से निकटकर तट पर आता है तो यह भी तट पर आ जाती है। इसी तरह यदि सागर तट के किनारे तैरती हुई तेंदुआ सील को मानव का पता चल जाए तो यह सागर से निकलकर जमीन अथवा जमी हुई बर्फ पर आ जाती है। तेंदुआ सील बड़ी घातक होती है। यह प्राय: सागर में छोटी-छोटी नौकाओं का पीछा करती है यह नाव के आसपास पानी में उछलती-कूदती है और कभी-कभी कूदकर नाव पर आ जाती है।
तेंदुआ सील लंबे समय से जीव वैज्ञानिकों के आकर्षण का केन्द्र रही है। जीव वैज्ञानिक भी पहले इसे एक खतरनाक सील मानते थे, किंतु इसका अध्ययन करने के बाद उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि यह मानव के लिए घातक नहीं होती। वास्तव में यह मानव के प्रति बड़ी जिज्ञासु होती है और इसी जिज्ञासा के कारण मानव के निकट आने का प्रयास करती है। तेंदुआ सील प्राय: अकेली रहती है और इसे अभी तक खतरनाक सील समझा जाता रहा है, अत: इसका अन्य सीलों के समान शिकार नहीं किया गया, जिससे यह अभी तक पूरी तरह सुरक्षित है। तेंदुआ सील की वर्तमान संख्या ढाई लाख से अधिक है और यह आराम से फल-फूल रही है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर